
चुनाव नतीजों का अनुमान लगाने वाले अच्छे मंझे हुए विशेषज्ञ भी कई बार गलत हो जाते हैं, ऐसे में अगर राजनीति में नया आया कोई नेता नतीजों का बिल्कुल सटीक अनुमान लगाए, तो हर किसी का चौकना लाजमी हो जाता है. दरअसल कुछ ऐसा ही कुछ हुआ पुणे से बीजेपी के राज्यसभा सांसद संजय काकड़े के साथ.
पेशे से बिल्डर रहे काकड़े मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी माने जाते हैं. निगम चुनाव के एक दिन बाद उन्होंने पत्रकारों ने अनौपचारिक बातचीत में बीजेपी को शहर में 92 से ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान लगाया था. कांकड़े के इस अनुमान पर कोई तब सहमत भले ना हुआ हो, लेकिन उन्होंने अपने अनुमान पर इस कदर यकीन था कि उन्होंने शर्त लगा ली कि अगर उनकी बात गलत निकली, तो वह सक्रीय राजनीति से संन्यास ले लेंगे. हालांकि उनके इस शर्त को भी लोगों ने ज्यादा भाव नहीं दिया.
काकड़े के इन दावों को जहां पुणे के पुराने बीजेपी नेताओं ने हंसी में उड़ा दिया, वहीं यह भी पता चला सीएम देवेंद्र फडणवीस भी संजय काकड़े की इन बातों से नाराज थे और फोन करके उन्होंने अपनी नाराजगी जताई भी थी. हालांकि जब नगर निगम चुनाव के नतीजे घोषित हुए, तो संजय काकड़े के बताए आकड़े सही साबित हुए.
काकड़े का अनुमान
बीजेपी- 92 के ऊपर, एनसीपी- 42, कांग्रेस- 12, शिवसेना- 10, मनसे- 3, अन्य- 3
घोषित नतीजे
बीजेपी- 98, एनसीपी- 40, कांग्रेस- 11, शिवसेना-10, मनसे- 2, अन्य - 1
नतीजों के बाद शुक्रवार श्याम सभी दलों के नेता जब दोबारा मिले, तो सबने संजय काकड़े की खूब तारीफ़ की. हालांकि यहां सबका एक ही सवाल था कि उनका अनुमान इतना सटीक कैसे रहा. वहीं आजतक से बातचीत में काकड़े ने बताया कि 41 प्रभाग में वे खुद जाकर अनुमान लगाया. इसके अलावा बीजेपी प्रत्याशी की लोकप्रियता तथा पार्टी के स्थायी वोटरों की संख्या का हिसाब लगाकर उन्होंने यह अनुमान लगाया था. काकड़े कहते हैं, उन्हें पहले से ही यकीन था कि बीस प्रभागों के उनके प्रत्याशी निश्चित रूप से जीत रहे हैं. यहां हर प्रभाग में चार वार्ड यानि 80 प्रत्याशी हैं. इसके अलावा 4 प्रभागों में 3-3 प्रत्याशियों का पैनल था. इसी हिसाब से काकड़े ने बीजेपी के 92 प्रत्याशियों के जीतने का अनुमान लगाया.
बता दें कि संजय काकड़े कुछ साल एनसीपी पार्टी में थे. तब एनसीपी के वरिष्ठ नेता अजित पवार से उनकी काफी नजदीकियां थी. वहीं करीब दो साल पहले वह बतौर निर्दलीय उम्मीदवार राज्यसभा पहुंचे और इसके बाद बीजेपी का दामन थाम लिया. यहां भी उनकी वैसी अहमीयत बनी रही और पुणे महानगरपालिका चुनाव के वक्त प्रत्याशी चुनने में उन्होंने खासी अहम भूमिका निभायी थी.