
कर्नाटक विधानसभा के आगामी चुनाव हों या 2019 लोकसभा चुनाव, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पार्टी की भारी बहुमत के साथ जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नजर आते हैं. पक्के इरादे वाले शाह उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में पार्टी की हार के बावजूद बेफिक्र हैं.
देश के नंबर 1 न्यूज चैनल ‘आजतक’ का फ्लैगशिप शो ‘सीधी बात’ शनिवार 24 मार्च को सवालों में नई धार और तेवरों के साथ दोबारा शुरू हुआ. इसी शो की पहली कड़ी में श्वेता सिंह के बेबाक सवालों के अमित शाह ने बिना किसी लाग लपेट सीधे जवाब दिए. बीजेपी अध्यक्ष ने माना कि उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में कम वोटिंग प्रतिशत और ऐन मौके पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच हुआ गठबंधन भी बीजेपी की हार की वजहों में शामिल रहे. शाह के मुताबिक पार्टी उपचुनाव में हार के कारणों की विस्तार से जांच कर रही है. इस पर पार्टी विचार और आत्मचिंतन भी करेगी. हालांकि, अगली ही सांस में शाह ये जोड़ना नहीं भूले कि ‘पार्टी 2019 में 50 फीसदी वोट शेयर के लिए लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं.’
शाह ने कहा, ‘हमने हार के कारणों की जांच के लिए कमेटी बनाई है और उसकी जो रिपोर्ट आएगी उस पर काम किया जाएगा. उपचुनाव स्थानीय मुद्दों को ध्यान में रख कर लड़े जाते हैं. हर स्थानीय चुनाव की अलग डायनामिक्स होती है. लेकिन आम चुनाव में, बड़े नेता और मुद्दे शामिल होते हैं. 2019 में बीजेपी और नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (NDA) अधिक सीटें हासिल करेंगे.’
‘जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बीजेपी उपचुनाव में अति विश्वास की वजह से हारी तो क्या ये उन्होंने अपनी ओर से कहा या बीजेपी या मोदी सरकार की ओर से?’ इस सवाल के जवाब में शाह ने कहा कि उन्होंने योगी आदित्यनाथ से नहीं पूछा कि उन्होंने किस संदर्भ में ऐसा कहा.
शाह ने योगी सरकार के एक साल पूरा होने पर उसके कामकाज की तारीफ भी की. शाह ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश सही दिशा में है. वहां जीरो भ्रष्टाचार है. किसानों की समस्याएं सुलझाई जा रही हैं. कानून और व्यवस्था कंट्रोल में है. कई इंवेस्टमेंट सम्मिट किए जा रहे हैं. अखिलेश यादव (पूर्व मुख्यमंत्री) ने लखनऊ में कभी ऐसे सम्मिट नहीं किए बल्कि दिल्ली में एक किया क्योंकि उन्हें डर था कि लखनऊ में कोई अप्रिय घटना होने से कहीं उलटा असर ना पड़ जाए. राज्य सही दिशा में बढ़ रहा है और वो दिन दूर नहीं जब यहां दो अंकों वाली विकास दर से तरक्की होगी.’
शाह से जब पूछा गया कि विशेषज्ञ कयास लगा रहे हैं कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी 2019 में दोबारा साथ आते हैं तो उन्हें 50 से ज्यादा सीटें हासिल होंगी? इस सवाल के जवाब में शाह ने कहा, ‘ये सरल नहीं है. मीडिया दो सीटों (गोरखपुर और फूलपुर) के नतीजों को लेकर बाग बाग है. कांग्रेस की ओर से संसद परिसर में मिठाई बांटी गई कि हमने उपचुनाव में आठ सीटें खोई हैं लेकिन ये कोई नहीं कह रहा कि हमने उनसे 11 प्रदेश छीने हैं. कोई भी त्रिपुरा का नाम नहीं ले रहा, जहां दो हफ्ते पहले ही हमने भारी जीत हासिल की.’
जब शाह से उनके इस बयान के बारे में पूछा गया कि बीजेपी उपुचनाव में हार की भरपाई कर्नाटक में कर लेगी तो उन्होंने कहा, ‘हम कर्नाटक जीतेंगे. जिस तरह सिद्धारमैया (कर्नाटक के मुख्यमंत्री) राज्य को चला रहे हैं, उसमें निश्चित तौर पर एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर काम करेगा. इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी की अपार लोकप्रियता भी फैक्टर है.’
कर्नाटक कांग्रेस के आखिरी गढ़ों में बचा है और पार्टी इस पर कब्जा बरकरार रखने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है- मसलन लिंगायत कार्ड खेलना, इस संदर्भ में शाह ने कहा, ‘कर्नाटक के लोग और लिंगायत समुदाय अच्छी तरह जानते हैं कि कांग्रेस ने 2013 में इस समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. कांग्रेस इस मुद्दे को हवा दे रही है क्योंकि वो जानती है कि विकास के नाम पर वो चुनाव नहीं लड़ सकती.’
शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से वोटरों को लुभाने के लिए मंदिर, चर्च और मस्जिदों में जाने को हल्के में लेते हुए कहा, ‘वो गुजरात और हिमाचल में भी मंदिरों में गए थे. लेकिन क्या हुआ? 1967 के बाद कांग्रेस कभी भी 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करने में सफल नहीं हुई है. हमने 50 फीसदी वोट गुजरात, हिमाचल और त्रिपुरा में हासिल किए. बहुदलीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में 50 फीसदी से अधिक वोट जीतना बड़ा जनादेश होता है.’
गुजरात की तरह कर्नाटक में बीजेपी की जीत के लिए सीटों का लक्ष्य नहीं तय करने के सवाल पर शाह ने कहा, ‘सब कुछ इस पर निर्भर करता है कि क्या सिचुएशन होगी और विपक्ष का गठबंधन क्या होगा. लेकिन ये तय है कि हम बहुमत के साथ जीतेंगे.’
पार्टी की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है जिसे वो आम चुनाव में आगे करेगी? इस सवाल पर शाह ने कहा, ‘बीजेपी ने गरीबों के रहन सहन के स्तर को ऊंचा किया है, निष्पक्ष और निर्णायक सरकार दी है, साथ ही भारत के मान-सम्मान को बढ़ाया है.’
मिशन 2019 पर शाह ने कहा, 2014 में सरकार के शपथ लेने के अगले दिन से ही हमने इसके लिए तैयारी करना शुरू कर दिया था. क्या गुजरात की तरह, मोदी 2019 में भी मोदी ट्रम्पकार्ड साबित होंगे? इस पर शाह ने कहा, ‘हां, हम चुनाव उनके नेतृत्व में और उनकी लोकप्रियता को आगे रखकर लड़ेंगे. जिस तरह नरेंद्र मोदी ने चार साल सरकार चलाई है, देश के हर हिस्से में महसूस किया जा रहा है कि भारत आगे बढ़ रहा है. मोदी दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं.’
मोदी की प्रशंसा को और विस्तार देते हुए शाह ने कहा, ‘क्या कोई सोच सकता था कि भारत अपने सैनिकों का बदला लेने के लिए अमेरिका और इजराइल की तरह सरहद पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक करेगा. इसरो एक साथ 104 उपग्रहों को आकाश में स्थापित करेगा या भारतीय प्रधानमंत्री को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करने का मौका मिलेगा.
सोनिया गांधी ने कहा है कि बीजेपी के 2004 वाले ‘इंडिया शाइनिंग’ जैसे ही इस पार्टी के 2014 के जिताऊ स्लोगन ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’ का 2019 में हश्र होगा, इस पर शाह ने कहा, ‘आप उनसे और क्या उम्मीद करते हैं, क्या वो ये कहेंगी कि मोदी जीतेंगे.’
बीजेपी अध्यक्ष को पश्चिम बंगाल में भी 22 से ज्यादा सीटें जीतने का भरोसा है. शाह ने कहा, ‘मैं पश्चिम बंगाल 18 बार जा चुका हूं. वहां लोग तृणमूल कांग्रेस की हिंसा की संस्कृति से तंग आ गए हैं.’
एनडीए से तेलुगु देशम पार्टी के अलग होने और शिवसेना के 2019 में बिना गठबंधन अकेले चुनाव लड़ने के संदर्भ में शाह ने कहा, ‘2014 में कई नई पार्टियों ने हमारे साथ हाथ मिलाया था. 11 पार्टियां हमसे जुड़ी थीं और इनमें से सिर्फ एक अलग हुई है. एनडीए नहीं टूटेगा.’
सर्जिकल स्ट्राइक के बावजूद पाकिस्तान के साथ लाइन ऑफ कंट्रोल पर स्थिति में बदलाव नहीं आया है? पाकिस्तान से आतंकवादी लगातार भारत में घुसपैठ कर रहे हैं?, इस सवाल के जवाब में शाह ने कहा, ‘पाकिस्तान की हर गोली का भारत बम से जवाब देगा. यही एकमात्र समाधान है. हम गोली और बमों के बीच शांति वार्ता नहीं कर सकते.’