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पहली बार वोटर बन रहे युवाओं पर BJP और RSS की नजर

RSS की यूथ विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद  (ABVP) ने पहली बार वोटर बनने जा रहे युवाओं से जुड़ने के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत अन्य दक्षिण भारत के राज्यों में व्यापक स्तर पर अभियान शुरू किया है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
राम कृष्ण/राकेश रंजन
  • नई दिल्ली,
  • 22 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 4:13 PM IST

लोकसभा चुनाव अगले साल होने वाले हैं, लेकिन बीजेपी समेत सभी राजनीतिक दलों ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी है. इस बार बीजेपी अपने परंपरागत वोटरों के अलावा उन युवाओं पर भी निगाह लगाए हुए है, जो पहली बार मतदान करने जा रहे हैं.

18 साल की उम्र पूरी करके मतदान का अधिकार पाने वाले युवाओं की संख्या 1.8 करोड़ है, जो पहली बार मतदान करेंगे. इस बार के लोकसभा चुनाव में इन युवा मतदाताओं की अहम भूमिका होगी. लिहाजा बीजेपी इनको अपने पाले में लाने की पूरी कोशिश कर रही है. इसी कड़ी में बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यकर्ता कॉलेज परिसरों में युवाओं को आकर्षित करने में जुट हुए हैं.

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RSS की यूथ विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद  (ABVP) ने पहली बार वोटर बनने जा रहे युवाओं से जुड़ने के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत अन्य दक्षिण भारत के राज्यों में व्यापक स्तर पर अभियान शुरू किया है. ABVP के एक कार्यकर्ता ने मेल टुडे को बताया कि हाल ही में ABVP ने पटना, भागलपुर और मुजफ्फरपुर की यूनिवर्सिटी में 25 साल बाद पहली बार छात्र संघ चुनावों में जीत दर्ज की है.

अब साल 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं और इनके जरिए पहली बार वोटर बने छात्र-छात्राओं को जोड़ने की कोशिश की जा रही है. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नए वोटरों से जुड़ने की बात कह चुके हैं. उन्होंने बताया कि इस साल करीब 1.8 करोड़ नए वोटर पंजीकृत होंगे, जो आगामी लोकसभा चुनाव में मतदान करेंगे.

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इसके अतिरिक्त बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पिछले तीन साल से RSS छात्रों को विचारधारा से जोड़ने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चला रहा है. पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में आदिवासी युवाओं के लिए RSS ने कई शैक्षणिक और स्पोर्ट्स कार्यक्रम लॉन्च किए हैं. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उनकी पार्टी ने हाल ही में हुए त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड विधानसभा चुनाव में भी ऐसी ही रणनीति अपनाई थी, जिसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले थे.

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