
जीतनराम मांझी और नीतीश कुमार के बीच शक्ति प्रदर्शन अब रोमांचक अंत की ओर बढ़ चला है. शुक्रवार को मुख्यमंत्री मांझी को सदन में बहुमत साबित करना है. मांझी के लिए खुशी की बात यह है कि बीजेपी ने उनके समर्थन में वोट देने के लिए विधायकों को व्हिप जारी कर दिया है. वहीं मांझी के खिलाफ फाइनल जंग के लिए नीतीश के घर गुरुवार को डिनर टेबल सजी. 98 विधायकों ने डिनर पार्टी में हिस्सा लिया, जबकि मुख्य विपक्षी दल का दर्जा मिलने से भी जेडीयू के हौसले बुलंद हैं.
बिहार में दोनों सदनों में जेडीयू को प्रमुख विपक्षी दल के रूप में मान्यता मिल गई है. बीजेपी नेता और प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी कहते हैं, 'बीजेपी मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का साथ देगी और शुक्रवार को यदि विश्वास मत आता है तो उनके पक्ष में मतदान करेगी.' पार्टी ने सदन में शक्ति परीक्षण के दौरान मांझी का समर्थन करने के लिए अपने विधायकों को व्हिप जारी किया है. इसके बारे में सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यह नीतीश कुमार द्वारा एक महादलित का अपमान किए जाने का बदला लेने पर केंद्रित है.
उन्होंने स्पष्ट किया कि बीजेपी सत्ता में हिस्सेदारी नहीं करेगी और न ही सरकार में शामिल होगी. पार्टी ने सदन में गुप्त मतदान करवाने की मांग भी की है. राजभवन के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि बिहार के कार्यवाहक राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी कोलकाता से गुरुवार रात पटना पहुंच रहे हैं. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव पहले ही पटना पहुंच चुके हैं, लेकिन आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यहां नहीं होंगे, क्योंकि वह अपनी सबसे छोटी बेटी के सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के पौत्र के साथ तिलक समारोह में सैफई में होंगे.
इससे पहले दिन में विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने जेडीयू का आग्रह स्वीकार कर लिया और शुक्रवार को इसे विपक्षी दीर्घा में बैठने की अनुमति दे दी. उन्होंने विजय चौधरी को बीजेपी के नंद किशोर यादव की जगह नेता विपक्ष का भी दर्जा दे दिया. इस पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया की और विधानसभा के प्रवेश द्वार के सामने धरने पर बैठ गई.
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, 'विधानसभा सचिवालय को संख्याबल के हिसाब से काम करना होता है और चूंकि जेडीयू ने मुख्य विपक्षी दल का दर्जा मांगा था, हमारे पास इस संख्या पर विचार करते हुए इनकार करने का कोई कारण नहीं था.' शरद यादव द्वारा जेडीयू से निकाले जाने के बाद मांझी को विधानसभा में असंबद्ध सदस्य घोषित किया गया है.
इसके कुछ घंटे बाद ही जेडीयू को विधान परिषद में भी प्रमुख विपक्षी दल के रूप में मान्यता मिल गई. सभापति अवधेश नारायण सिंह ने विधान परिषद में नीतीश कुमार को सुशील कुमार मोदी की जगह नेता विपक्ष के रूप में मान्यता दे दी. मांझी के लिए बुरी खबर यह आई कि पटना हाईकोर्ट ने उनसे जुड़े चार विधायकों को सदन में परीक्षण के दौरान मतदान की अनुमति देने से इनकार कर दिया. इसने मंत्री विजय बिहारी की याचिका भी खारिज कर दी, जिसमें अध्यक्ष चौधरी को विश्वास मत से दूर रखने का आग्रह किया गया था.
जेडीयू ने लगाया खरीद-फरोख्त का आरोप
इन सब के बीच जेडीयू ने मांझी खेमे पर विधायकों के खरीद-फरोख्त करने का न केवल आरोप लगाया, बल्कि सबूत के तौर पर एक ऑडियो भी जारी किया. जेडीयू विधायक शरफुद्दीन ने आरोप लगाया कि मांझी का समर्थन करने के लिए सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की ओर से उन्हें पद और पैसों का लालच दिया गया. शरफुद्दीन ने पप्पू यादव से हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग पत्रकारों को सुनाई.
शिवहर के विधायक ने कहा कि पप्पू यादव ने अपने ही मोबाइल पर उन्हें मांझी से भी बात करवाई. मांझी ने कहा, 'जल्द आइए, आपको बड़ा पद मिलने वाला है.' शिवहर विधायक ने मीडिया से कहा कि मांझी खेमे के लोगों ने समर्थन लेने के लिए उन्हें कई बार फोन किया गया है. जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि विधायकों को पैसों और पदों का लालच देकर खरीदने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने दावा किया कि मांझी की सरकार मात्र 12 विधायकों के समर्थन से चल रही है. उन्होंने राज्य के मौजूदा हालत के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया.
क्या और कितनी है जरूरत
बिहार विधानसभा का बजट सत्र शुक्रवार से ही शुरू हो रहा है. सत्र के पहले दिन मांझी सरकार को बहुमत साबित करना है. मांझी के पक्ष में कितने विधायक खड़े होंगे, यह किसी को नहीं पता. लेकिन नीतीश खेमा 130 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहा है. 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में 10 सीटें रिक्त हैं. बहुमत साबित करने के लिए कुल 117 विधायकों की संख्या जरूरी है. मौजूदा समय में विधानसभा में जेडीयू के 111, बीजेपी के 87, कांग्रेस के पांच, आरजेडी के 24, निर्दलीय पांच और सीपीएम के एक सदस्य हैं.
-इनपुट भाषा से