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बीजेपी को घेरने की रणनीति फेल, अरुणाचल की लड़ाई में लोकसभा में अकेली दिखी कांग्रेस

सरकार और बीजेपी पर लगे आरोपों का जवाब देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. गृह मंत्री ने अरुणाचल को कांग्रेस का आंतरिक संकट करार दिया और आरोप लगाया कि स्थायी सरकारों को अस्थिर करने का काम कांग्रेस ने अपने शासनकाल में 105 बार राष्ट्रपति शासन लगाकर किया है.

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे
कुमार विक्रांत/रोहित गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 8:59 AM IST

अरुणाचल प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से दोबारा सत्ता में आने वाली कांग्रेस की तमाम रणनीति मंगलवार को लोकसभा में धरी की धरी रह गई.

शून्य काल में लोकसभा में अरुणाचल का मामला उठाते हुए कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोल दिया. खड़गे ने कहा कि भीमराव अंबेडकर की याद में 125वीं जयंती मनाते हैं और उन्हीं के बनाए संविधान की कद्र नहीं करते. खड़गे लगातार हमलावर थे, कांग्रेसी सांसद भी राहुल गांधी की मौजूदगी में लगातार मेजें थपथपाते रहे. लेकिन सदन में पार्टी को बाकी विरोधी दलों का उम्मीदों के मुताबिक साथ नहीं मिला.

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राजनाथ बोले- कांग्रेस की नाव में हैं छेद, डूबना तय
सरकार और बीजेपी पर लगे आरोपों का जवाब देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. गृह मंत्री ने अरुणाचल को कांग्रेस का आंतरिक संकट करार दिया और आरोप लगाया कि स्थायी सरकारों को अस्थिर करने का काम कांग्रेस ने अपने शासनकाल में 105 बार राष्ट्रपति शासन लगाकर किया है. राजनाथ ने उत्तराखंड-अरुणाचल के राजनीतिक संकट के लिए कांग्रेस की आंतरिक राजनीति को जिम्मेदार ठहराया. गृह मंत्री ने कांग्रेस की तुलना ऐसी नाव से की, जिसमें छेद हैं और उसका डूबना तय है.

कांग्रेसी सांसदों ने किया सदन से वाकआउट
राजनाथ के बयान से नाराज कांग्रेसियों ने नारेबाजी शुरू कर दी. इसके बाद खड़गे लगातार जवाब देने की मांग करते रहे, लेकिन स्पीकर ने मौका नहीं दिया. किसी और विरोधी दल के नेता ने भी इस पर कांग्रेस का साथ नहीं दिया और न ही इस मुद्दे पर बोलने की मांग की. आख‍िरकार कांग्रेस ने सदन से वाकआउट करके अपनी नाराजगी जाहिर कर दी.

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फुस्स साबित हुई रणनीति
कांग्रेस बैकडोर से लगातार कई क्षेत्रीय दलों के संपर्क में थी. उसको लगता था कि केंद्र के खिलाफ इस मुद्दे पर सभी मिलकर सरकार को घेर लेंगे. लेकिन धरातल पर वो रणनीति नाकामयाब दिखी. शायद तमाम क्षेत्रीय दलों को एहसास रहा होगा कि इस मामले में कांग्रेस और बीजेपी की केंद्र सरकारों का रुख एक जैसा ही रहा है.

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