
दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव नतीजे घोषित होने में अब महज कुछ घंटे ही शेष बचे हैं. विभिन्न एजेंसियों के एक्जिट पोल में आम आदमी पार्टी के मुकाबले भाजपा या कांग्रेस दूर-दूर तक नहीं है. हालांकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दावा किया है कि भाजपा 48 सीट जीतने जा रही है, लेकिन वोटिंग के ट्रेंड से यही अंदाजा लग रहा है कि भाजपा अपने मजबूत गढ़ में भी वोट बटोरने से चूक गई है.
दक्षिणी दिल्ली और नई दिल्ली में वोटिंग कम होना भाजपा के लिए चिंता की बात है.
भाजपा नेता परोक्ष रूप से यह कह रहे हैं कि जिस तरह से मुस्लिम बाहुल्य इलाके में जबरदस्त वोटिंग हुई है उसका साफ मतलब है कि इन इलाकों में भाजपा के खिलाफ वोटर एकजुट हुए हैं. लेकिन इसके मुकाबले उन इलाकों में जहां गैर-मुस्लिम वोटर अधिक है वहां कम वोटिंग हुई है. मतलब काउंटर पोलराइजेशन नहीं हो पाया.
झुग्गियों में और पूर्वी तथा उत्तर-पूर्वी दिल्ली तथा बाहरी दिल्ली में भी वोटिंग का फीसदी अधिक है. इन इलाकों में ज्यादातर गरीब लोग रहते हैं और यहां फ्री पानी, बिजली को लेकर वोटर आम आदमी की तरफ गए हैं. यदि वोटिंग 70 फीसदी से अधिक हुआ होता तो यह भाजपा के लिए फायदेमंद है.
इस हकीकत के बाद भी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जीत के दावे कैसे कर रहे हैं?
पार्टी के एक नेता कहते हैं कि, आम आदमी पार्टी यह मान कर चल रही है कि कांग्रेस को वोट नहीं पड़ा है. यदि कांग्रेस को वोट मिला है तो फिर उन इलाकों में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहेगा.
लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा ने 70 में से 35 सीटों पर लीड लिया था. कांग्रेस 5 विधानसभा सीटों पर आगे रही थी. आप एक भी सीट पर नंबर एक या दो नहीं रही थी. लेकिन इस बार भाजपा के लिए यह प्रदर्शन दोहराना मुश्किल है.
एक्जिट पोल के आंकड़ों में एक दिलचस्प बात यह है कि जिन इलाकों में दोपहर 3 बजे तक 45 फीसदी वोट पड़े थे वह ऐसे इलाके थे जहां आप मजबूत मानी जाती है. बाद में इन इलाकों में 20 फीसदी और वोट पड़े. ऐसे में 65 फीसदी वोट में भाजपा बराबर के टक्कर में होगी इसकी संभावना कम दिख रही है.
नई दिल्ली और दक्षिण दिल्ली में दोपहर 3 बजे के बाद वोटरों की संख्या में बहुत साधारण बढ़त हुई है. यदि एक्जिट पोल के अनुमान सही हैं तो यह तथ्य सामने आता है कि आप-भाजपा के मुकाबले कमोबेश सभी सीटों पर 18 से 20 फीसदी अधिक वोट हासिल कर रही है. तीसरी पार्टी कांग्रेस बहुत पीछे है और वोट शेयर में दहाई के आंकड़े में भी नहीं है. ऐसे में आप से 20 फीसदी वोट शेयर में पीछे रहते हुए भाजपा के लिए कोई भी सीट जीतना कठिन दिख रहा है.
यदि मुकाबला त्रिकोणीय होता तो शायद भाजपा सीट निकालने में कामयाब होती दिखती. आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि 50 फीसदी से अधिक वोट हासिल करने के बावजूद किसी राज्य में विरोधी पार्टी की सीट तभी निकल सकती है जब मुकाबला त्रिकोणीय हो. जैसा 2019 के लोकसभा चुनाव में हुआ.
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