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चिंकारा केस: 18 साल बाद इन 5 कारणों से जेल जाने से बच गए सलमान

पुलिस को उम्मेद भवन में सलमान के कमरे की तलाशी में बंदूक की गोलियां मिली थीं. जबकि जिप्सी में मिले छर्रे, उन गोलियों के नहीं थे.

जोधपुर सेंट्रल जेल से बाहर आते सलमान जोधपुर सेंट्रल जेल से बाहर आते सलमान
स्‍वपनल सोनल/शरत कुमार
  • जोधपुर,
  • 25 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 11:51 PM IST

साल 1998 के चिंकारा शि‍कार मामले में जोधपुर हाई कोर्ट सोमवार को फैसला सुना सकता है. सलमान की निगरानी याचिका पर यह फैसला होना है कि सेशन कोर्ट की पांच साल कैद की सजा बरकरार रहेगी या फिर अभि‍नेता को संदेह का लाभ मिलेगा. केस की सुनवाई के दौरान ऐसी पांच बातें सामने आई हैं, जिस पर अदालत ने गंभीरता दिखाते हुए सलमान को बरी किया है.

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1) छर्रे अलग, चाकू भी छोटा
पुलिस को उम्मेद भवन में सलमान के कमरे की तलाशी में बंदूक की गोलियां मिली थीं. जबकि जिप्सी में मिले छर्रे, उन गोलियों के नहीं थे. पुलिस ने हिरण का गला रेतने वाला कथि‍त चाकू बरामद किया था, लेकिन यह पॉकेट चाकू है, जिससे गला रेतना मुश्किल होता है.

2) जिप्सी सर्च की अलग रिपोर्ट
वन विभाग ने सलमान खान की जिप्सी जब्त कर तलाशी ली. इसकी सर्च रिपोर्ट में सिर्फ खून के धब्बे मिले. बाद में पुलिस ने भी जिप्सी की तलाशी ली. उन्हें जिप्सी में छर्रे, हिरण के बाल मिले, लेकिन वन विभाग को ये चीजें तलाशी में नहीं मिले. इस तरह दोनों सर्च रिपोर्ट भी अलग-अलग हो गई.

3) सह-आरोपी बरी तो सलमान दोषी कैसे?
भवाद और घोड़ा फार्म हाउस के मुकदमों में सलमान के साथ 12 आरोपी थे. इनमें से 10 को संदेह का लाभ मिला. कोर्ट के सामने कुछ ऐसे सवाल हैं, जिन पर गौर किया जाए तो सलमान को संदेह का लाभ मिल सकता है. मुंबई का रहने वाला शिकार के लिए कैसे उम्मेद पैलेस से निकला? कैसे पता चला कि हिरण यहां मिलेंगे? कोई तो उसे ले गया होगा? जब दूसरे बरी हो गए तो सलमान अब तक आरोपी क्यों हैं?

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4) सूत्रधार ही हो गया गायब
वन अधिकारी ललित बोड़ा ने दवा व्यापारी अरूण के ड्राइवर हरीश दुलानी के बयान पर शिकार के मुकदमे दर्ज करवाए थे. वन विभाग ने मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान करवा कर उसे छोड़ा था, जबकि डिफेंस की ओर से उसका क्रॉस वेरिफिकेशन ही नहीं हुआ. वह इसके बाद से ही गायब हो गया.

5) सजा बढ़ाने की अपील क्यों?
सरकार ने सलमान खान की एक साल की सजा को कम माना. अभ‍िनेता की सजा बढ़ाने और गोरधन सिंह को फिर से आरोपी मानने के लिए दो अपीलें की गईं. ऐसे में सवाल ये है कि सरकार ने दूसरे 11 लोग जो बरी हो चुके, उन्हें गोरधन की तरह फिर से आरोपी बनाने की अपील क्यों नहीं की? प्रोसिक्यूशन के पास इसका ठोस जवाब नहीं था.

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