
आज हम एक ऐसी टीचर की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने भले ही स्कूल जाना छोड़ दिया लेकिन बच्चों का पढ़ाना नहीं छोड़ा. उमा शर्मा सहारपुर में नेशनल पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल हैं और पिछले 10 सालों से बेड पर लेटे हुए ही स्कूल चला रही हैं.
उमा पिछले कई सालों से वह पैरालाइज्ड है. उनके चेहरे और हाथ को छोड़कर कोई भी अंग काम नहीं करता है, बावजूद इसके उन्होंने कभी हार नहीं मानी. उमा बेड पर लेटकर ही स्कूल चलाती है और बेड से ही सारे निर्देश देकर अच्छी तरह से स्कूल का संचालन करती हैं.
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उमा को साल 2007 पैरालाइसिस का अटैक आया था. जिसके बाद स्थितियां बिगड़ती रही है और वह पैरालाइज्ड हो गई.सहारपुर की रहने वाली उमा पूरी तरह से अकेली हैं. संर्घषों के साथ उनका चोली दामन जैसा साथ रहा है.
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उनके पति की हार्ट अटैक से मौत हो गयी थी अभी वह पति की मौत से उभर ही नहीं पाई थी कि एक हादसे में उनके बेटे की भी मौत हो गई. इस सब के बावजूद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी क्योंकी उनको अपनी बेटियों की शादी भी करनी थी और अपनी टीचिंग को जारी रखनी थी. इसी दौरान पति की मौत के बाद वह अपने घर में चाय पी रही थी की अचानक उसे पैरालाइसिस का अटैक आया और उसके बाद कभी वह आज तक बेड पर से उठ नहीं पाई.
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आज वह सीसीटीवी कैमरे और इंटरनेट के जरिए अपने कमरे से ही पूरे स्कूल पर नजर रखती हैं. उनका कहना है स्कूल के प्रिंसिपल रहते हुए उन्होंने जो काम कर रही है उनसे उन्होंने एक हिम्मत मिलती है और उनका अकेलापन भी दूर होती है.