
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई की विवादित आदर्श सोसायटी को गिराने का फैसला सुनाया है. यही नहीं, कोर्ट ने केंद्र सरकार और पर्यावरण मंत्रालय को निर्देश दिए हैं कि मामले में जिम्मेदार अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
हाई कोर्ट ने मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए 12 हफ्तों का समय दिया है, तब तक इमारत गिराने के आदेश पर रोक रहेगी. कोर्ट ने सरकार से कहा है कि उन सभी नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, जिन्होंने अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया.
तटवर्ती नियमों का उल्लंघन कर बनाई गई इमारत
गौरतलब है कि आदर्श हाउसिंग सोसायटी मुंबई के कोलाबा क्षेत्र में स्थित है. यह इमारत तटवर्ती नियमों का उल्लंघन कर बनाई गई जिस पर 1999 से ही विवाद है. मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भी आरोपी हैं. फरवरी 2016 में महाराष्ट्र के राज्यपाल सीवी राव ने अशोक चव्हाण के खिलाफ सीबीआई को मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी. सीबीआई ने 8 अक्टूबर 2015 को राज्यपाल को खत लिखकर चव्हाण के खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी.
आदर्श सोसायटी से जुड़े प्रमुख घटनाक्रम-
जुलाई 1999 : आदर्श सोसायटी ने कोलाबा क्षेत्र में भूमि के लिए सरकार से संपर्क किया.
09 जुलाई 1999 : सरकारी प्रस्ताव के तहत सोसायटी को प्लॉट आवंटित किया गया.
04 अक्टूबर 2004 : मुंबई के जिलाधिकारी ने भूमि का कब्जा सोसायटी को सौंपा.
27 अक्टूबर 2009 : पश्चिमी नौसेना कमान को-ऑपरेटिव के उपपंजीयक से सोसायटी की विस्तृत जानकारी मांगी.
16 सितंबर 2010 : आदर्श सोसायटी एमएमआरडीए से कब्जा प्रमाणपत्र मिला.
25 अक्टूबर 2010 : नौसेना ने इस बात की पुष्टि की कि उसने सुरक्षा कारणों से आदर्श सोसायटी पर विरोध जताया है.
28 अक्टूबर 2010 : मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री की सास और अन्य रिश्तेदारों के सोसायटी में फ्लैट हैं.
31 अक्टूबर 2010 : बृहन्मुम्बई बिजली आपूर्ति एवं परिवहन (बेस्ट) ने कब्जा प्रमाणपत्र मांगते हुए नोटिस जारी किया.
03 नवंबर 2010 : एमएमआरडीए ने आदर्श सोसायटी का कब्जा प्रमाणपत्र रद्द किया. बेस्ट ने सोसायटी की विद्युत आपूर्ति, जबकि बीएमसी ने पानी की आपूर्ति बंद की. आदर्श सोसायटी ने कहा कि वह हाई कोर्ट जाएगा.
09 नवंबर 2010 : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का इस्तीफा मंजूर.
11 नवंबर 2010 : पृथ्वीराज चव्हाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने.
22 नवंबर 2010 : आदर्श सोसायटी कब्जा प्रमाणपत्र रद्द करने और पानी व बिजली आपूर्ति काटे जाने के विरुद्ध हाई कोर्ट पहुंचा.
21 दिसंबर 2010 : हाई कोर्ट ने कहा कि यह सीधे-सीधे धोखेबाजी का मामला है.
23 दिसंबर 2010 : हाई कोर्ट ने आदर्श सोसायटी को अंतरिम राहत देने से इनकार करने के साथ ही मामले की सुनवाई एक महीने के लिए स्थगित की.
16 जनवरी 2011 : केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सिफारिश की कि इमारत को तीन महीने के अंदर गिरा दिया जाए.
2011 : जांच के लिए कमीशन का गठन किया गया. जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में चार पूर्व मुख्यमंत्रियों- अशोक चव्हाण, विलासराव देशमुख (दिवंगत), सुशील कुमार शिंदे और शिवाजीराव नीलांगेकर-पाटिल (तत्कालीन राजस्व मंत्री) समेत कई शीर्ष अफसरों व अन्य अधिकारियों के खिलाफ इस हाई प्रोफाइल मामले में मुकदमा चलाने को कहा.
दिसंबर 2013 : कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने जांच आयोग की रिपोर्ट खारिज कर दी.