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अमीर खुसरो और आधार, उषा और अरुंधती...विश्व पुस्तक मेला 2020 में जलसाघर में जो खास घटा

विश्व पुस्तक मेला 2020 बीत चुका है, पर इसका खुमार अभी बना रहेगा. मेले के दौरान हर दिन नयी किताबों के लोकार्पण का सिलसिला जारी रहा

विश्व पुस्तक मेला 2020 में अरुंधती राय और उषा उथुप एक साथ मंच पर विश्व पुस्तक मेला 2020 में अरुंधती राय और उषा उथुप एक साथ मंच पर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 2:26 PM IST

नई दिल्लीः विश्व पुस्तक मेला बीत चुका है, पर प्रकाशकों, लेखकों और पाठकों के ऊपर इसका खुमार अभी बना रहेगा. खासकर बड़े प्रकाशकों ने लोकार्पण और परिचर्चा की मार्फत एक बड़े पाठक वर्ग को अपनी तरफ लुभाया. मेले के दौरान हर दिन नयी किताबों के आगमन का सिलसिला जारी रहा. मेले में राजकमल के स्टॉल पर अरुंधती राय और उषा उथुप एक साथ एक मंच पर दिखीं. चर्चित लेखिका अरूंधति रॉय अपनी किताब ‘एक था डॉक्टर एक था संत’  पर और उषा उथुप अपनी जीवनी ‘उल्लास की नाव’ पर बातचीत करने के लिए राजकमल के जलसाघर पहुंची थीं. दोनों ने कई पुराने किस्सों को याद किया. अरूंधति रॉय ने अपनी पुस्तक के हिंदी अनुवादक अनिल जयहिंद और रतन लाल से बात करते हुए कहा, ''इतिहास, सबसे बड़ा फेक न्यूज प्रोजेक्ट है. इस किताब में जाति और नस्लवाद को लेकर दोनों के मतभेदों को उजागर किया है. इस किताब में अंबेडकर पर अच्छा विश्लेषण है लेकिन दोनों व्यक्तित्व की तुलना नहीं की गई है. मैंने इसमें कहीं नहीं लिखा है कि गांधी कम महान हैं और अंबेडकर ज्यादा दिमाग वाले हैं.

याद रहे कि ‘एक था डॉक्टर एक था संत’ डॉ बी. आर. अंबेडकर के 1936 के प्रसिद्ध लेख ‘जाति के विनाश’ को आधार बनाकर लिखी है. इस लेख के बाद सबसे ज्यादा आपत्ति महात्मा गांधी ने जताई थी. तब से लेकर आज तक वो बहस का मुद्दा बना हुआ है. पिछले साल अरुंधती के चर्चित उपन्यास ‘मिनिस्ट्री ऑफ़ अटमोस्ट हैप्पीनेस’ उपन्यास का हिंदी अनुवाद राजकमल प्रकाशन से हिंदी और उर्दू में एक साथ प्रकाशित हुआ था. कार्यक्रम में किस्सागो हिमांशु बाजपेयी ने अरूंधति रॉय के उपन्यास के हिंदी अनुवाद 'अपार खुशी का घराना' से एक अंश पढ़कर सुनाया.

उषा उथुप ने भी अपने गानों से पाठकों का खूब मनोरंजन किया. पाठकों की फरमाईश पर उषा ने उन्हें अपनी फिल्मों के कई मशहूर गाने गा कर सुनाये. ‘उल्लास की नाव' के जीवनीकार विकास कुमार झा भी इस दौरान मौजूद थे. उन्होंने पाठकों को बताया की उषा उथुप ने अपने जीवन की ऐसी कई सनसनीखेज बातों को भी किताब में जगह दी, जिससे प्रकाशक भी घबरा गए कि उथुप अपने जीवन की इन सच्चाइयों को सबके सामने लाना चाहती हैं.

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राजकमल प्रकाशन के जलसाघर में जिन किताबों का लोकार्पण हुआ उनमें चर्चित कवयित्री अनामिका के बहुप्रतीक्षित उपन्यास ‘आईनासाज़’ का लोकार्पण शामिल है. इस कार्यक्रम में लेखिका अनामिका के साथ साहित्यकार प्रभात रंजन शामिल थे.

अमीर खुसरो के जीवन पर आधारित उपन्यास आईनासाज़ अनामिका का पहला उपन्यास है. दिल्ली के सात बादशाहों के दरबार में इतिहास लेखक के रूप में काम करने वाले अमीर खुसरो को हिंदी और उर्दू ज़ुबानों के आरम्भिक कवि के रूप में याद किया जाता है. फ़ारसी ज़ुबान के वे विद्वान थे. सबसे बढ़कर सूफ़ी संत थे. वह अपने आप में इतिहास के एक बड़े किरदार थे. अनामिका ने बताया कि इस उपन्यास में अमीर खुसरो को मैंने अपने अनुकूल गढ़ा है. इतिहास की कतरनों से मैंने एक गुड़िया सिली है, आईनासाज़ मेरी गुड़िया है. इस मौके पर मशहूर गायिका चिन्मयी त्रिपाठी ने कबीर और अनामिका के लिखे गीतों को गाकर सुनाया. चिन्मयी ने राधावल्लभ त्रिपाठी के नाटक ‘कथा शकुंतला की’ से एक छोटा अंश पढ़ कर भी सुनाया.

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आधार एक ऐसा विषय है जिस पर लंबे समय से बहस चल रही है. उसी बहसों और चर्चाओं को लेकर रीतिका खेड़ा ने तथ्यों के हिसाब से ‘आधार से किसका उद्धार’ किताब को लिखा है. इसी मंच पर पत्रकार महताब आलम से बात करते हुए रीतिका खेड़ा ने कहा, ''2010 में भारत सरकार ने ऐलान किया कि हर एक रेजीडेंट को एक यूनिक नंबर दिया जाएगा. सरकार ने बताया इससे भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा. आधार के लोगों ने मुझसे बात की, लेकिन उन्होंने मुझे ऐसे अजीब उदाहरण दिए कि मुझे लगा कि कुछ गड़बड़ है. तब मैंने इस पर काम करना शुरू किया."

रीतिका खेड़ा ने बताया, आधार एक ऐसा प्रोग्राम है, जिसे हर सरकार रखना चाहती है क्योंकि इससे लोगों को नियंत्रित किया जा सकता है. यूपीए सरकार तो इस मामले में शेर थी तो वर्तमान सरकार सवा शेर निकली. 2016 में आधार को मनी बिल बना दिया गया. जबकि ये मनी बिल बनने के लायक नहीं था. लेखिका ने बताया, किताब में आधार की कई कहानियां आपको इस किताब में मिल जाएंगी.  

चरण सिंह के कहानी संग्रह ‘दो बहनें’ का लोकार्पण भी मेले में किया गया. फिल्म के बारे में लेखक चरण सिंह बताया कि, दो बहनें कहानी पढ़ने के बाद विशाल भारद्वाज के जब हाथ लगी तो मुझे फोन किया. विशाल ने मुझसे कहा, आप मुंबई नहीं आओगे, मुंबई आपके घर आएगा. उसके बाद उन्होंने इस कहानी पर ‘पटाखा’ फिल्म बनायीं.

जलसाघर में ही उमा शंकर चौधरी की ‘दिल्ली में नींद’, प्रत्यक्षा सिन्हा की ‘ग्लोब के बाहर लड़की’ और अनुपम मिश्र के लेखों का संग्रह ‘विचार का कपड़ा’ और ‘बिन पानी सब सून’ और स्वयं प्रकाश की ‘प्रतिनिधि कहानियां’ का भी लोकार्पण हुआ. इसके अलावा अनिल कुमार यादव की ‘गौ सेवक’ लम्बी कहानी का भी मेले में लोकार्पण किया गया. कहानी पर अपनी बात रखते हुए आलोचक संजीव ने कहा, ''गौसेवक जिस तरह की कहानी है वह कमरे में बैठकर आपके पास नहीं आ सकती इस कहानी के लिए आपको कहानी के पास जाना पड़ेगा.'' किताब पर बात करते हुए अनिल यादव ने कहा, ''हमारे आस पास का यथार्थ हमारे कल्पना से ज़्यादा जटिल है. जब कोई कहानी छप जाती है तो उसकी अपनी दुनिया हो जाती है.''

इस साल कई युवा कवियों की कवितायेँ भी प्रकाशित हुईं, जिसे पाठकों ने खूब पसंद किया. इसमें सुधांशु फिरदौस की ‘अधूरे स्वांगों के दरमियान’, अभिषेक शुक्ल की ‘हर्फ़े आवारा’ और व्योमेश शुक्ल की ‘काजल लगाना भूलना’, प्रियदर्शन की 'यह जो काया की माया है', अरुण देव की 'उत्तर पैगम्बर' शामिल है. मेले में जलसाघर के स्टॉल पर प्रतिनिधि कहानियां चन्द्रकांता का लोकार्पण किया गया अपनी किताब पर बातचीत करते हुए चंद्रकांता ने कहा, "मैं एक कश्मीर विस्थापित हूं. कश्मीरियत हमें सामाजिक संस्कृति विरासत में मिली है. वो मेरे स्वभाव और लेखनी में भी ढल गई." अपनी आलोचना की किताब 'कठिन का अखाड़ेबाज़ और अन्य निबंध' पर बात करते हुए व्योमेश शुक्ल ने कहा, 'वाद-विवाद और आलोचना की संस्कृति को ये निजाम दबाना चाहता है.'

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कुमार विश्वास कविताओं की दुनिया का जाना-माना नाम है. वह जहां जाते हैं लोग उनको सुनने को आतुर रहते हैं. विश्व पुस्तक मेले जलसाघर में कुमार विश्वास ने अपनी किताब फिर मेरी याद पर बातचीत की और अपने प्रशंसकों से मिले. फिर मेरी याद, कुमार विश्वास का कविता संग्रह है जो उनकी पहली किताब के प्रकाशन के 12 साल बाद प्रकाशित हुई है. जिसमें उन्होंने अपनी जीवन के कुछ पहलुओं, यात्राओं को कविताओं के माध्यम से साझा किया है. इस संग्रह में गीत, कविता, मुक्तक, कला और अशआर सबकी बहार है. नामवर सिंह ने किताब के बारे में लिखा था, "कुमार विश्वास ने अपने नाम को और विश्वास शब्द को सार्थक किया है. नए लेखकों और कवियों के लिए उनके प्रयासों में भी उन्हें बड़ी कामयाबी मिली है." कुमार विश्वास ने कहा, किताब अपने आप में मुश्किल चीज है. पाठकों की ज़बरदस्त भीड़ के बीच उन्होंने अपनी कुछ कविताओं का पाठ भी किया.

राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने यह माना कि, ''विश्व पुस्तक मेले में पाठकों को देखकर किताब के प्रति भरोसा मजबूत हुआ है. बारिश और कड़कती ठण्ड के बावजूद पाठक किताब के पक्ष में डटे रहे. युवा पाठकों और हिन्दी के युवा लेखन में मेरा विश्वास दृढ़ हुआ. लगातार लगता रहा कि हमारे युवा लेखक अपनी परम्परागत विरासत को संभालने के साथ लेखन के क्षेत्र में नए मानक गढ़ने के लिए तैयार हैं. मुझे विश्वास है कि आने वाला साल मेरी इस सोच को सही सबित करेगा. मेले में हमने साठ से अधिक नई पुस्तकें का प्रकाशन किया. प्राय: सभी पुस्तकें युवा लेखकों द्वारा विभिन्न विधाओं में लिखी पहली-दूसरी कृतियां हैं. मैं आशा करता हूं की भविष्य में यह सिलसिला और बढ़ेगा.''

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