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बुक रिव्यू: जिनके पास 'पाव' भर भी नहीं है गर्लफ्रेंड, उनके लिए है चेतन की 'हाफ गर्लफ्रेंड'

ये कहानी है माधव झा और रिया सोमानी के इश्क की. इश्क की एक ऐसी दास्तान जिसमें एक बॉलीवुड फिल्म की तरह हर मोड़ पर आप एक ट्विस्ट से रूबरू होंगे. इसमें कॉलेज का रोमांस भी है, दिल जुड़ना भी है, दिल टूटना भी है, पास आना भी है और दूर जाना भी है. लेकिन अंत में एक बेहद ही नाटकीय अंदाज में हमेशा के लिए एक हो जाना भी. कुल मिलाकर कहें तो ये कहानी कभी तो आपको बहुत अपनी सी लगेगी और कभी कभी बेहद ही फिल्मी.

चेतन भगत की 'हाफ गर्लफ्रेंड' चेतन भगत की 'हाफ गर्लफ्रेंड'
सुवासित दत्त
  • नई दिल्ली,
  • 16 अक्टूबर 2014,
  • अपडेटेड 5:15 PM IST

किताब का नाम: हाफ गर्लफ्रेंड
लेखक: चेतन भगत
पब्लिकेशन: रूपा पब्लिकेशन
कीमत: 176 रुपये

ये कहानी है माधव झा और रिया सोमानी के इश्क की. इश्क की एक ऐसी दास्तान जिसमें एक बॉलीवुड फिल्म की तरह हर मोड़ पर आप एक ट्विस्ट से रू-ब-रू होंगे. इसमें कॉलेज का रोमांस भी है, दिल जुड़ना भी है, दिल टूटना भी है, पास आना भी है और दूर जाना भी है. लेकिन अंत में एक बेहद ही नाटकीय अंदाज में हमेशा के लिए एक हो जाना भी. कुल मिलाकर कहें तो ये कहानी कभी तो आपको बहुत अपनी सी लगेगी और कभी-कभी बेहद ही फिल्मी.

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क्या बला है ये 'हाफ गर्लफ्रेंड'!
जिस दिन से चेतन भगत ने इस किताब के नाम का खुलासा किया था उस दिन से ही मेरे मन में इस 'हाफ गर्लफ्रेंड' से मिलने की इच्छा थी. नाम सुनकर मन में कई सवाल हिलोरे मार रहे थे कि ये 'हाफ गर्लफ्रेंड' आखिर बला क्या है. पहले तो लगा कि चेतन उन लोगों के लिए कोई नया फॉर्मूला ला रहे हैं जिनके पास हाफ क्या, 'पाव' भर भी गर्लफ्रेंड नहीं है. वाकई नाम ने इस किताब का बेसब्री से इंतजार करने पर मजबूर कर दिया था. लेकिन जब किताब पढ़कर 'हाफ गर्लफ्रेंड' की परिभाषा जानी तो निराशा ही हाथ लगी. किताब में कहीं भी उसके नाम को परिभाषित करने पर ज्यादा जोर नहीं दिया गया है.

कहानी क्या है:-
माधव नाम का एक बिहारी लड़का होता है और दिल्ली की एक खूबसूरत लड़की रिया सोमानी. माधव एक आम बिहारी लड़का होता है जिसे अंग्रेजी नहीं आती. लेकिन बास्केटबॉल का एक बेहतरीन खिलाड़ी होने के नाते माधव को दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में एडमिशन मिल जाता है. यहीं उसकी मुलाकात रिया से होती है.

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रिया...एक बेहद ही खूबसूरत मारवाड़ी लड़की जिसके पिता का करीब 500 करोड़ रुपये का कोरोबार होता है. संयोग से रिया भी बास्केटबॉल की अच्छी प्लेयर होती है और इसी बास्केटबॉल से माधव, रिया के दिल में बास्केट करने में कामयाब हो जाता है.

दोनों अच्छे दोस्त बन जाते हैं. कुछ ही दिनों में रिया माधव के लिए बेहद खास हो जाती है. लेकिन माधव सिर्फ ये सोच कर कुछ नहीं कह पाता कि BMW से कॉलेज आने वाली रिया माधव जैसे एक बेहद ही आम लड़के को क्यों भाव देगी. एक दिन हिम्मत कर के माधव रिया को प्रपोज भी कर देता है लेकिन रिया का जवाब भी फिल्म 'हम तुम' के उस गाने की तरह ही मिलता है कि 'हम अच्छे दोस्त हैं मगर उस बारे में कभी सोचा नहीं.'

'किस' का किस्सा
कहानी में किस का किस्सा भी लाजवाब है. कमिटमेंट की चाहत में माधव कई बार रिया को अप्रोच करता है लेकिन रिया है कि 'हाफ गर्लफ्रेंड' से ज्यादा बनने को राजी ही नहीं. 'एक अच्छी दोस्त से भी थोड़ी अच्छी दोस्त', यही है रिया की 'हाफ गर्लफ्रेंड' की परिभाषा. इसी दौरान माधव अपने हॉस्टल के कमरे में रिया के साथ कोजी होने की कोशिश करता है. लेकिन रिया उसे 'अच्छे दोस्त' की दुहाई देकर उसका साथ देने से इंकार कर देती है, और यहीं बिहार के डुमरांव के रहने वाले माधव झा के आत्मसम्मान को ठेस पहुंच जाती है. असली माधव झा जाग उठता है और गुस्से में माधव के मुंह से एक लाइन निकलती है 'देती है तो दे वरना कट ले'. यकीन मानिए अगर ये एकता कपूर का सीरियल होता तो इस लाइन को कम से कम 5 बार रिपीट किया जाता वो भी स्पेशल इफेक्ट्स के साथ. बहरहाल, माधव के इस ठेठ बिहारी अंदाज में बोले गए शब्दों से गहरी ठेस पहुंचती है और फिर यहीं से माधव झा और रिया सोमानी के रास्ते अलग हो जाते हैं.

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फिर वो होता है जो बॉलीवुड के करीब दर्जनों फिल्म में आपने देखा होगा. रिया के प्यार में पड़ा माधव झा एक दिल टूटे आशिक की तरह उसे मनाने की कोशिश करता है. लेकिन एक दिन पता चलता है कि रिया की शादी एक NRI से तय हो जाती है. टूटे दिल के साथ माधव झा अपने घर डुमरांव लौट अपने पुश्तैनी स्कूल को चलाने लगता है. उसी दौरान कई सालों बाद एक बार फिर माधव की मुलाकात रिया से होती है. पता चलता है कि रिया का डाइवोर्स हो चुका है. मुलाकातों का सिलसिला फिर चल पड़ता है.

लेकिन यहां फिर आपका सामना एक जबरदस्त ट्विस्ट से होता है और दोनों फिर बिछड़ जाते हैं. फिर कहानी डुमरांव से उठकर न्यूयॉर्क चली जाती है. यहां एक फिल्मी सीक्वेंस की तरह एक क्लाइमेक्स होता है और एक अंजान विदेशी शहर में एक बार फिर माधव झा और रिया सोमानी मिल जाते हैं. लेकिन शुक्र है इस बार हमेशा के लिए एक हो जाते हैं.

क्यों पढ़ें
अगर आप चेतन भगत और उनके चॉकलेटी रोमांटिक नॉवेल के फैन हैं तो आपको ये किताब जरूर पढ़नी चाहिए.

क्यों ना पढ़ें
कहानी में ट्विस्ट की भरमार है. चेतन ने इस कहानी को आम आदमी से जोड़ने की कोशिश तो जरूर की है लेकिन कई मोड़ पर कहानी ऐसी हो जाती है कि आप उसे खुद से जोड़कर नहीं देख सकते. न्यूयॉर्क की कहानी तो पचती ही नहीं. ऐसा लगता है किताब को नॉवेल की तरह नहीं बल्कि एक हिंदी फिल्म की स्क्रीनप्ले की तरह लिखा गया है.

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ये तो अभी पता नहीं कि ये किताब कितनी चलने वाली है लेकिन इतना तय मानिए कि आपको बहुत जल्द चेतन भगत की ये 'हाफ गर्लफ्रेंड' एक हिट बॉलीवुड फिल्म के रूप में तैयार मिलेगी.

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