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Being Salman: 'भाईजान' को जानने-समझने की एक अधूरी कोशिश...

यह किताब सलमान की जीवनी नहीं है. बल्कि हमेशा विवादों से जुड़े रहने वाले बॉलीवुड के 'सुल्तान' के बारे में यह जानने की कोशिश की है कि वह जैसे हैं, वैसे क्यों हैं? कैसे एक ही इंसान बॉलीवुड का 'बैड ब्वॉय' भी है और वही सबका 'भाईजान' भी

'बीइंग सलमान' किताब का कवर पेज 'बीइंग सलमान' किताब का कवर पेज
स्‍वपनल सोनल
  • नई दिल्ली,
  • 27 दिसंबर 2015,
  • अपडेटेड 7:39 PM IST

किताब का नाम- बीइंग सलमान

लेखक- जसीम खान

प्रकाशक- पेंग्वुइन ग्रुप

कीमत- 599 रुपये (हार्ड कवर)

1) सलमान खान अपनी निजी जिंदगी को लेकर कभी खुलकर बात नहीं करते. बात संगीता बिजलानी से रिश्तों में दरार की हो या सोमी अली से प्यार के बाद तकरार की. ऐश्वर्या राय से अलगाव की हो या कटरीना कैफ से अलग होने के बाद बिखराव की. सलमान का एक ही जवाब होता है कि वह बीती बातों को याद कर सामने वाले की खुशहाल जिंदगी में कोई दखल देना नहीं चाहते. यानी भावनाओं को समझने वाला एक संवेदनशली इंसान. लेकिन अगले ही पल सलमान पर आरोप हैं कि वह अपनी लेडी लव के साथ सख्ती से पेश आते हैं. आरोप यह भी हैं कि सलमान ने कई मौकों पर अपनी प्रेमिकाओं से मारपीट भी की है. यानी दोनों बातें एक-दूसरे से बिल्कुल उलट.

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2) सलमान खान को जानने वाले मानते हैं कि वह दोस्ती में किसी भी हद तक जा सकते हैं. यही बात उनसे दुश्मनी पर भी लागू होती है. सलमान और शाहरुख के बीच दोस्ती के बाद तकरार का अब अंत हो चुका है. सलमान खुद कहते हैं, 'हर चीज की एक्सपायरी होती है.' साल 2008 में कटरीना की बर्थडे पार्टी में शाहरुख से टकराव के बाद जिस सलमान ने बयान दिया था कि वह और शाहरुख अब कभी दोस्त नहीं हो सकते. उन्हीं सलमान और शाहरुख के बीच अब करण-अर्जुन की तर्ज पर दोस्ती और भाईचारा दिख रहा है. लेकिन इन्हीं सलमान ने विवेक ओबराय को अभी तक माफी नहीं दी है और ओबराय की ओर से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के बाद भी उन्हें अनदेखा किया.

कह सकते हैं कि निजी जिंदगी में कमोबेश हर मोर्चे पर हमें दो सलमान देखने को मिलते हैं. रील लाइफ से इतर रीयल लाइफ में बड़ा सवाल यही है कि सलमान अगर ऐसे हैं तो ऐसे क्यों हैं? पत्रकार से लेखक बने जसीम खान की पहली किताब 'बीइंग सलमान' इसी एक सवाल पर केंद्रित है. एक आम समझ है कि किसी भी व्यक्ति‍ की समझ और उसका व्यक्ति‍त्व उसके परिवेश और इर्द-गिर्द के लोगों के कारण बनती है. जसीम इसी सूत्र को ध्यान में रखकर अपनी यात्रा शुरू करते हैं.

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किताब की शरुआत में ही वह यह भी स्पष्ट करते हैं कि यह कोई जीवनी नहीं है. बल्कि हमेशा विवादों से जुड़े रहने वाले बॉलीवुड के 'सुल्तान' के बारे में यह जानने की कोशिश की है कि वह जैसे हैं, वैसे क्यों हैं? कैसे एक ही इंसान बॉलीवुड का 'बैड ब्वॉय' भी है और वही सबका 'भाईजान' भी.

जवाब ढूंढ़ने की कवायद
जसीम बताते हैं कि इस एक सवाल का जवाब ढूंढ़ने के लिए उन्होंने तीन साल तक शोध किया. सलमान के पिता सलीम खान से लेकर इंदौर में उनके चाचा नईम खान, सलमान के बचपन के दोस्तों, चचेरे भाई, चाची सबसे मुलाकात की. सलमान के नए-पुराने इंटरव्यूज, उनके बारे में छपी खबरों, उन पर चल रहे मुकदमों से जुड़े लोगों से लेकर इतिहास के उन पन्नों की भी खाक छानी जो सलमान के पूर्वजों के अफगानिस्तान से भारत आने की कहानी कहती और सुनाती है.

गहन शोध, खूब सारे लोगों से मुलाकात और सलमान के बारे में हर सच्चाई और अफवाह की पड़ताल के बाद जसीम करीब 200 पन्नों में 'बीइंग सलमान' लेकर आए हैं. लेकिन तीन साल यानी करीब 1095 दिनों के 26,280 घंटों तक दिमागी कसरत के बावजूद उनकी यह किताब कई मोर्चों पर विफल नहीं तो कम से कम सतही जरूर साबित होती है. दरअसल, सलमान की प्रसिद्धि‍ उनकी किताब का सबसे कमजोर पहलू भी है और सबसे मजबूत भी.

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क्या है समस्या, कहां रह गई चूक
साल 2015 में Salman Khan गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च किए गए पर्सनैलिटी में से एक हैं. बीते 27 वर्षों से उनके देर सुबह जगने से लेकर देर रात या यह कहें तड़के सोने तक की हर बात चर्चा में रहती है. सलमान 27 दिसंबर 2015 को 50 साल के हो गए हैं. यानी उनकी जिंदगी के 18,250 से अधि‍क दिनों के 4 लाख 38 हजार घंटों में से एक बड़े हिस्से की बानगी हम अखबार, पत्रिकाओं, टीवी, वेबसाइट और अब सोशल मीडिया के जरिए किसी न किसी रूप में जानते हैं.

लेखक जसीम खान ने भी अपनी किताब के शोध के लिए बहुत हद तक इन्हीं को आधार बनाया है. ऐसे में सलमान के पूर्वजों और इंदौर में उनके स्कूली दिनों को छोड़ दें तो अधि‍कतर बातें बतौर सलमान के प्रशंसकों को पहले से पता हैं. जबकि सही मायने में यह किताब उन्हीं के लिए महत्व भी रखती है.

किताब में नया क्या है
जसीम इस मायने में प्रशंसा के पात्र हैं कि उन्होंने सलमान के पूर्वजों को लेकर जिन जानकारियों का किताब में समावेश किया है, वह गहन शोध और कड़ी मेहनत से ही संभव है. खासकर सलमान के दादा अब्दुल रशीद खान और उनके भी दादा अब्दुल लतीफ खान का परिवार सहित अफ-पाक इलाके से भारत आने की कहानी. परिवार की तीन पीढ़ियों का सेना में भर्ती होना. शहजादी बेगम की डायरी. यह सब सलमान से आगे उनके परिवार और पूर्वजों को जानने में हमारी मदद करते हैं.

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किताब में सलमान के बचपन की शरारतें, इंदौर में भाई और दोस्तों के साथ आम के बगीचों की सैर, ट्रैक्टर की यात्रा और चाचा को देखकर बॉडी बिल्डिंग के चस्के जैसी खूब सारे किस्से किताब की ताजगी को बनाए रखते हैं.

किताब में पिता सलीम खान की सलमान को लेकर सोच, खासकर सलमान के प्रेम-संबंधों पर सलीम खान टिप्पणी और राय नयापन लिए हुए है. सलमान का इंडस्ट्री में प्रवेश, सूरज बड़जात्या से पहली मुलाकात, 'मैंने प्यार किया' में रोल और उससे पहले स्ट्रगल की कहानी, पढ़ने लायक है.

जसीम ने अपनी किताब में सलमान के बचपन और उनके परिवार से जुड़ी कई तस्वीरों को भी शामिल किया, जो सहेजने लायक है. हालांकि, और अच्छा लगता अगर साधारण कागज की जगह इन तस्वीरों को ग्लॉसी पेपर पर प्रकाशित किया जाता.

सलमान की जिंदगी और वह होटल
किताब में बांद्रा बैंडस्टैंड पर उस जमाने में स्थि‍त सी-रॉक होटल की भी चर्चा है. यह वही होटल है, जहां सलमान की संगीता बिजलानी से लेकर सोमी अली से मुलाकात हुई. कुछ रिश्ते बने तो कुछ टूटे. इसी होटल के जिम में मोहनिश बहल सलमान के दोस्त बने. यह वह दौर था जब सलमान परिवार से छिपकर जिम किया करते थे. अपने बहनोई अतुल अग्निहोत्री से भी सलमान की मुलाकात इसी होटल में हुई थी.

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यहां खलती है कमी
किस्से, कहानियों से इतर लेखक जिस सवाल का जवाब ढूंढ़ने के लिए स्याही खर्च करते हैं, वहां यह किताब हल्की साबित होती है. क्योंकि सलमान से जुड़े जिन मुद्दों और सवालों का जवाब उनके प्रशंसक जानना चाहते हैं, उसकी पड़ताल में लेखक ने थोड़ी जल्दबाजी दिखाई है. मसलन, किताब खबरों और इंटरव्यूज के जरिए सलमान के टूटते रिश्तों की कहानी तो बताती है, लेकिन ऐसा क्यों हुआ, ऐसा होने के पीछे क्या परिस्थि‍तियां रहीं, इसकी कोई चर्चा किताब में नहीं है.

ठीक इसी तरह सलमान से जुड़े विवादों को लेकर भी पाठक के तौर पर हमें उतनी ही जानकारी मिल पाती है, जितनी हम अब तक खबरों के माध्यम से जान पाए हैं. सलमान के दादा, परदादा और परदादा के भी पिता के बारे में लेखक ने तसल्ली से जिक्र किया है, लेकिन सलमान के पिता सलीम खान की जिंदगी के बारे में वह उतनी बारीकी से तथ्य नहीं रखते हैं. सलीम खान की जिंदगी के दो सबसे बड़े पहलू- पहली पत्नी और सलमान की मां सुशीला चरक से मुलाकात और दूसरी पत्नी हेलन से प्यार और फिर शादी की चर्चा एक से दो लाइन में सिमटकर रह जाती है.

नहीं की गई सलमान से सीधी बात
यह किताब सलमान को समझने के लिए लिखी गई है, लेकिन दुखद है कि किताब के लिए सलमान से ही सीधे तौर पर बात नहीं हो सकी. मसलन, सलमान के बारे में हमें लेखक जो भी जानकारी देते हैं, वह पिता सलीम खान, चाचा नईम खान, चाची सूफिया खान, चचेरे भाइयों, बहनोई अतुल अग्नि‍होत्री, मोहनिश बहल से बातचीत और अभि‍नेता से जुड़ी खबरों पर आधारित है.

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क्यों पढ़ें
अगर सलमान के फैन हैं या उनको पसंद करते हैं तो यह किताब एक बार पढ़ने लायक जरूर है. सलमान से जुड़ी खबरों, विवादों को एक बार बिना ढूंढ़े पढ़ना चाहते हैं तो यह किताब आपके लिए है. सलमान के बचपन, इंदौर में स्कूली दिनों, मुंबई में हाई स्कूल और कॉलेज के दिनों के कुछ रोचक किस्सों के बारे में जानना चाहते हैं तो यह किताब आपके लिए है.

क्यों न पढ़ें
अगर यह सोचकर पढ़ना चाहते हैं कि सलमान की निजी जिंदगी से जुड़े सबसे चर्चि‍त मामलों के बारे में कोई अंदर की बात पता चलेगी तो यह किताब आपके लिए नहीं है.

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