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बीएसएफ ने कहा है पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम और स्नाइपरों द्वारा किए जा रहे हमले का बीएसएफ 5 साल से वैज्ञानिक विश्लेषण कर रही है. बीएसएफ के सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीएसएफ डीजी रजनीकांत मिश्रा ने कहा कि इस विश्लेषण से मिले तथ्यों के आधार पर ही भविष्य की रणनीति तय की जाएगी. बता दें कि पाकिस्तान की बैट ने जम्मू-कश्मीर के रामगढ़ सेक्टर में बीएसएफ जवान की हत्या कर दी थी. क्रूर हत्याओं के लिए कुख्यात बैट न केवल बीएसएफ जवान के सीने में तीन गोलियां मारीं थीं बल्कि उनके गले को भी धारदार हथियार से काट दिया था.
पूर्व बीएसएफ डीजी केके शर्मा ने उस समय यह जानकारी दी थी कि पाकिस्तान की बैट फोर्स ने झाड़ियों का फायदा उठाते हुए हेड कांस्टेबल नरेंद्र कुमार को कब्जे में कर लिया, इसके बाद उन पर हमला कर किया. बैट टीम फिर उसे अपनी सीमा में ले गई. कांस्टेबल नरेंद्र कुमार पर हमले के बाद बीएसएफ ने अब ये तय किया है कि पिछले 5 सालों में बैट और स्नाईपिंग के साईंटिफिक आंकड़े लेकर उस पर बीएसएफ नए तरीके से रणनीति बनाएगी.
बीएसएफ डीजी रजनीकांत मिश्रा ने कहा कि बीएसएफ ऑपरेशन भीम 1 और ऑपरेशन भीम 2 के तहत अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर पाकिस्तान की आक्रामक कार्रवाई का लगातार मुंहतोड़ जवाब दे रही है. उन्होंने कहा की घुसपैठ स्नाइपिंग और सीमापार से की जाने वाली बेवजह फायरिंग जम्मू कश्मीर क्षेत्र की सीमाओं पर रूटीन बन गई है. इस वजह से इस इलाके में बीएसएफ को बड़ी सावधानी बरतनी पड़ती है, ताकि भारतीय सीमा में रहने वाले लोगों की रोजाना की जिंदगी कम से कम प्रभावित हो सके.
बीएसएफ डीजी ने दो उदाहरण देते हुए कहा की ऑपरेशन भीम जब लॉन्च किया गया तो उससे घबराकर पाकिस्तान पीछे हट गया बाद में उसने अलग अलग सीमाओं पर अंधाधुंध फायरिंग की लेकिन बीएसएफ जवानों की जांबाज़ी से उन्हें मुंह की खानी पड़ी.
बीएसएफ डीजी ने कहा कि पूरे भारत-पाक बॉर्डर पर हेरोइन की तस्करी गंभीर समस्या है. उन्होंने कहा कि पंजाब से सबसे ज्यादा स्मगलिंग होती थी पर अब पंजाब में ज्यादा दबाव के चलते ये राजस्थान और जम्मू कश्मीर की तरफ शिफ्ट हो रहा है.
डीजी बीएसएफ ने आजतक की उस रिपोर्ट पर भी अपनी टिप्पणी की जिसमें बताया गया था कि जैसलमेर से सटे सरहदी इलाकों में हाल के वर्षों में कट्टर धार्मिक गतिविधियां बढ़ी हैं, जो कि सुरक्षा बलों के लिए खतरे का सबब बन सकती हैं. इस पर डीजी बीएसएफ ने कहा कि बॉर्डर पर जो अलग-अलग तरीके की गतिविधियां होती हैं उसकी रिपोर्ट उनकी टीम तैयार करती है. इसके बाद इस रिपोर्ट को जरूरी एजेंसियों के साथ शेयर किया जाता है. उन्होंने कहा कि बॉर्डर पर टोपोग्राफी कैसी है, वहां पर पानी की क्या जानकारी है, क्या इकोनॉमिक एक्टिविटी चल रही है, खेती का क्या पैटर्न चल रहा है, ज्योग्राफी और सोशियोलॉजी के बारे में पूरी जानकारी इकट्टा कर शेयर की जाती है. उन्होंने कहा कि इन रिपोर्ट्स में इस पर कोई ऐसा चिंता व्यक्त नहीं की है गई है.