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नीदरलैंड के पूर्व हॉकी स्टार और ओलंपियन फ्लोरिस यान बोवलैंडर के अनुसार भारत को यदि विश्व में फिर से शीर्ष स्थान हासिल करना है तो उसे हॉकी के आधारभूत ढांचे पर बड़ी धनराशि का निवेश करना होगा.
अटलांटा ओलंपिक 1996 के स्वर्ण पदक विजेता बोवलैंडर झारखंड में हॉकी अकादमी स्थापित करने के बार में टाटा स्टील के अधिकारियों से बैठक करने के लिए मीडियाकर्मियों से बात कर रहे थे.
बोवलैंडर के साथ ‘वन मिलियन हॉकी लेग्स’ परियोजना से जुड़े रॉब वान नेस और टाटा ट्रस्ट के वरिष्ठ विकास अधिकारी खुर्शीद तलाटी भी थे. उन्होंने कहा कि भारत में यूरोपीय और ऑस्ट्रेलियाई शैली की हॉकी की बराबरी करने के लिए पर्याप्त क्षमता और कौशल है.
बोवलैंडर ने कहा, ‘मैंने मुंबई, अहमदाबाद और वड़ोदरा जैसे स्थानों का दौरा किया. भारत के पास प्रतिभाशाली खिलाड़ी है और उनकी तकनीक विश्वस्तरीय है लेकिन उनके लिए पर्याप्त आधारभूत ढांचा नहीं है.’
उन्होंने कहा कि एस्ट्रोटर्फ पर निवेश किए जाने की जरूरत है जिसमें युवा प्रतिभा (अंडर-14 आयु वर्ग) को प्रशिक्षण दिया जाएगा और फिर हॉकी के स्तर में नाटकीय सुधार होगा. भारत और नीदरलैंड की सरकारों ने जनवरी 2014 में देश में हॉकी में सुधार करने के लिए समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए थे.
बोवलैंडर ने कहा, ‘करार के तहत हम संभावनाएं तलाशना चाहते हैं कि भारत में सुविधाओं में सुधार, कोचिंग और प्रतिभा को निखारने में हम कैसे मदद कर सकते हैं.’
इनपुट: भाषा