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गोरखपुर के BRD अस्पताल में मौत का तांडव जारी, 'जानलेवा अगस्त' में गईं 203 जानें

यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह का भी कहना था कि अगस्त महीने में आमतौर पर इंसेफेलाइटिस से ज्यादा बच्चे मरते हैं और यह मौतें भी ऐसी ही हैं.

अस्पताल में भर्ती बच्चा अस्पताल में भर्ती बच्चा
शिवेंद्र श्रीवास्तव
  • गोरखपुर,
  • 19 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 3:15 PM IST

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मासूम बच्चों की मौतों ने हर किसी को झकझोर दिया था. लेकिन अभी भी ये मामला थमा नहीं है. जानलेवा अगस्त 17 दिन में 203 लोगों की जान ले चुका है. ताजा आंकड़ों में 1 अगस्त से 17 अगस्त तक बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 203 मौतें हो चुकी हैं. इन 17 दिनों में 769 मरीज अस्पताल में भर्ती हुए हैं.

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यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह का भी कहना था कि अगस्त महीने में आमतौर पर इंसेफेलाइटिस से ज्यादा बच्चे मरते हैं और यह मौतें भी ऐसी ही हैं. 10 अगस्त को 23 तो 14 अगस्त को सबसे ज्यादा 24 मौतें हुईं.

इस बीच शनिवार को मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ स्वच्छता अभियान की शुरुआत करने गोरखपुर पहुंचे. गोरखपुर के अंधियारी बाग मोहल्ले से योगी अदित्यनाथ ने स्वच्छता अभियान शुरू किया. योगी ने मोहल्ले के दलित बस्ती में झाड़ू भी लगाई. गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इंसेफेलाइटिस से पीड़ित बच्चों की मौत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जापानी बुखार गंदगी की वजह से होता है. प्रदूषित पानी भी बड़ी वजह है. इससे बचाव के लिए सफाई और जागरुकता जरूरी है. योगी ने कहा कि हम लंबे समय से इंसेफेलाइटिस के खिलाफ लड़ रहे हैं. मैंने इंसेफेलाइटिस के खिलाफ आंदोलन शुरू किया. जब इसकी बात आती है तो रोकथाम इलाज से बेहतर है और यह स्वच्छता से शुरू होता है. योगी ने कहा कि हम पूर्वी यूपी को इंसेफेलाइटिस से मुक्त करेंगे.

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रिपोर्ट में लापरवाही का दावा

डीएम की रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल को ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स और ऑक्सीजन यूनिट के इंचार्ज डॉक्टर सतीश ने इसमें लापरवाही बरती है. रिपोर्ट में दावा है कि सतीश को लिखित रूप से अवगत भी कराया गया था, लेकिन उन्होंने ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति में बाधा पैदा की. लिहाजा वह इसके लिए दोषी हैं. इसके अलावा स्टॉक बुक में लेन-देन का पूरा ब्योरा भी नहीं लिखा गया. सतीश की ओर से स्टॉक बुक का न तो अवलोकन किया गया और न ही उसमें हस्ताक्षार किया गया, जो सतीश की लापरवाही को दर्शाता है.

 

 

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