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महिलाओं में स्तन कैंसर से बढ़ रहा है ये खतरा

भारतीय लोगों में कैंसर (Cancer) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. महिलाएं सबसे ज्यादा स्तन कैंसर की गिरफ्त में आ रही हैं. लेकिन स्तन कैंसर की वजह से महिलाओं में दूसरी तरह के कैंसर का खतरा भी बढ़ रहा है.

cancer: प्रतीकात्मक फोटो cancer: प्रतीकात्मक फोटो
प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 25 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 6:20 PM IST

India में स्तन कैंसर महिलाओं की मौत का प्रमुख कारण बना हुआ है, लेकिन अब इसके कारण महिलाओं में गर्भाशय कैंसर (Uterus Cancer) के मामले भी बढ़ रहे हैं. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के कैंसर रोग विशेषज्ञ, सर्जिकल ऑन्कोलोजिस्ट डॉ. एम. डी. रे का कहना है कि स्तन कैंसर (Breast Cancer) से पीड़ित महिलाओं में गर्भाशय कैंसर का भी खतरा बना रहता है, क्योंकि एक ही प्रकार के जीन के मौजूद रहने से दोनों तरह के कैंसर होने की अधिक संभावना होती है.

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उन्होंने बताया, "कैंसर के लिए जीन उत्तरदायी होते हैं. हमने देखा है कि स्तन कैंसर के मामले बढ़ने से पिछले कुछ सालों में गर्भाशय कैंसर के मामलों में इजाफा हुआ है. एम्स में भी कई ऐसे मामले आए हैं, जहां महिलाओं में दोनों तरह के कैंसर पाए गए हैं." दरअसल, मानव में पाए जाने वाले बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 जीन से जो ट्यमूर पैदा होता है, उससे प्रोटीन का दमन होता है. दोनों में से किसी एक जीन में जब बदलाव आता है, यानी वह ठीक से काम नहीं करता, तो उससे क्षतिग्रस्त डीएनए की मरम्मत नहीं हो पाती है. इसके फलस्वरूप कोशिकाओं में अतिरिक्त आनुवांशिक तब्दीली आती है, जिससे कैंसर हो सकता है.

उनके मुताबिक, "बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 जीन स्तन और गर्भाशय दोनों प्रकार के कैंसर के लिए उत्तरदायी होते हैं. इनके काम नहीं करने से कैंसर के खतरे बढ़ जाते हैं. इसलिए स्तन कैंसर से पीड़ित मरीज में गर्भाशय कैंसर का खतरा बना रहता है. इसी प्रकार गर्भाशय कैंसर के मरीज को स्तन कैंसर का खतरा रहता है."

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बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 में खासतौर से वंशानुगत परिवर्तन से स्तन और गर्भाशय कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा होता है. इसके अलावा, गर्भाशय नाल, अग्न्याशय कैंसर सहित कई अन्य प्रकार के रोग होने का भी खतरा बना रहता है.

डॉ. रे ने कहा कि पहले ऐसा माना जाता था कि ज्यादातर 50 साल से अधिक उम्र की महिलाएं स्तन और गर्भाशय कैंसर से पीड़ित होती हैं, मगर अब 35 साल से कम उम्र की महिलाओं में भी स्तन और गर्भाशय कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि जीवनशैली खराब होने के कारण महिलाएं कैंसर से पीड़ित हो रही हैं.

अगर किसी परिवार में एक-दो सदस्य स्तन या गर्भाशय कैंसर से पीड़ित हैं, तो परिवार की सभी महिलाओं को बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 की जांच करानी चाहिए. साथ ही, स्तन और गर्भाशय कैंसर की जांच जल्द करानी चाहिए. अगर किसी महिला की मां को 45 साल की उम्र में स्तन कैंसर हुआ था तो उसे 35 साल की उम्र में ही मैमोग्राफी शुरू कर देनी चाहिए.

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