
ब्राजील के फोर्टेलेजा शहर से भारत के लिए एक अच्छा पैगाम आया है. ब्रिक्स विकास बैंक को मंजूरी मिल गई. इस बैंक का मुख्यालय चीन के शंघाई में होगा, लेकिन बैंक का पहला सीईओ हिंदुस्तानी होगा.
इस बैंक की शुरुआती पूंजी 100 अरब डॉलर (लगभग छह लाख करोड़ रुपये) होगी. ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका इस बैंक को 20-20 अरब डॉलर की रकम देंगे. ये रकम ब्रिक्स देशों के नकदी संकट के समय काम आएगी. इसके अलावा ब्रिक्स सहयोग को बढ़ावा देने में पैसा लगाया जाएगा. साथ ही वैश्विक वित्तीय सुरक्षा को भी मजबूत किया जाएगा.
बैंक के ऐलान के साथ ही मोदी ने ब्रिक्स देशों को याद दिलाया की दो साल पहले इस बैंक की बुनियाद दिल्ली में ही रखी गई थी.
यह बैंक ठीक उसी तरह काम करेगा, जिस तरह वर्ल्ड बैंक और इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड काम करता है, लेकिन इन दोनों पश्चिमी देशों का ही प्रभाव चलता है. विकासशील देश उपेक्षित ही रहते हैं, इसलिए ब्रिक्स देशों ने मिलकर अपना एक बैंक बनाने की शुरुआत की.
ब्रिक्स देशों को बैंक से साथ ही मोदी मंत्र भी मिला. मोदी ने ब्रिक्स देशों के राष्ट्राध्यक्षों को युवा शक्ति का एहसास कराया और उसे निखारने, संवारने का रास्ता भी दिखाया.
पीएम बनने के बाद मोदी ने सार्क देशों के प्रमुखों को शपथ-ग्रहण में बुलाकर पड़ोसियों से दोस्ती की नई शुररुआत की. एक दिन पहले ब्राजील के फोर्टलेजा में चीनी राष्ट्रपति से जिस तरह से दिल खोलकर मिले मोदी, उसने सीमा विवाद की कड़वाहट को फिलहाल के लिए खत्म कर दिया. अब युवा शक्ति, शिक्षा, तकनीकी और पर्यटन का मंत्र देकर मोदी ने ब्रिक्स समिट में अपनी छाप छोड़ने की कामयाब कोशिश की है.
ब्रिक्स सम्मेलन में भारत को मिली जीत
ब्रिक्स सम्मेलन ने 100 अरब डॉलर की शुरुआती अधिकृत पूंजी के साथ नए विकास बैंक की स्थापना को भारत के लिए एक बड़ी जीत माना जा रहा है. इस पूंजी के लिए शुरुआती अंशदान में संस्थापक सदस्यों की बराबर भागीदारी होगी. दरअसल, भारत इस बात पर जोर देता रहा है कि इस पर किसी भी सदस्य देश का वर्चस्व नहीं हो.
पांच राष्ट्रों की सदस्यता वाले समूह की शिखर बैठक में बैंक और 100 अरब डॉलर के शुरुआती आकार के साथ एक ‘कंटींजेंसी रिजर्व अरेंजमेंट’ स्थापित करने का समझौता हुआ. इस बैठक के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक नेताओं के साथ अपनी प्रथम बहुपक्षीय वार्ता की शुरुआत की.
बैंक की शुरुआती अधिकृत पूंजी 100 अरब डॉलर होगी. शुरुआती अंशदान पूंजी 50 अरब डॉलर की होगी, जो संस्थापक सदस्य बराबर बराबर साझा करेंगे. हालांकि, चीन ने बैंक का मुख्यालय शंघाई में बनाए जाने की दौड़ जीत ली, जबकि भारत ने भी नई दिल्ली में इसे बनाना चाहा था. बैंक का प्रथम अध्यक्ष भारत होगा, जबकि संचालन मंडल बोर्ड का प्रथम अध्यक्ष रूस से होगा.
नए विकास बैंक का अफ्रीकी क्षेत्रीय केंद्र दक्षिण अफ्रीका में होगा. सम्मेलन में स्वीकार किए गए फोर्तालेजा घोषणापत्र में नेताओं ने कहा, ‘हम अपने वित्त मंत्रियों को निर्देश देते हैं कि वे इसके संचालन के लिए तौर तरीकों पर काम करें.’
शुरुआती अंशधारिता पूंजी की समान साझेदारी पर भारत का जोर इस बात को लेकर रहा है कि ब्रिक्स बैंक भी अमेरिका के आधिपत्य वाले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक सरीखे ब्रेटन वुड्स संस्थानों का रूप नहीं ले. बैंक और सीआरए की स्थापना की सराहना करते हुए मोदी ने पूर्ण सत्र में कहा कि बैंक से अब न सिर्फ सदस्य राष्ट्रों को फायदा होगा बल्कि विकासशील विश्व को भी फायदा होगा.
आर्थिक स्थिरता को सुरक्षित रखने में ये दोनों संस्थान अब नये माध्यम होंगे. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और वित्तीय संस्थानों में सुधारों की बड़ी जरूरत है, ताकि जमीनी सचाई जाहिर हो सके तथा एक नया वित्तीय ढांचा तैयार हो सके.