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छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल गरियाबंद जिले में एक दुल्हन ने मंडप में चार फेरे लेने के बाद पांचवां फेरा लेने से इनकार कर दिया, क्योंकि दूल्हा नशे में धुत्त था और फेरे के समय ठीक से चल भी नहीं पा रहा था. उसे दो लोग पकड़कर फेरे दिलवा रहे थे. यह घटना देवभोग से आठ किलोमीटर दूर लाटापारा गांव की है. स्थानीय पंचायत ने दूल्हे को ठुकराने के युवती के साहसिक फैसले को जायज ठहराया है. दुल्हन उर्मिला सोनवानी का कहना है कि उसने मंडप में दूल्हे की हालत देखने के बाद सोच लिया कि शादी नहीं करेगी. उसका कहना है कि शराबी व्यक्ति सुखी परिवार की बुनियाद कैसे बन सकता है.
उर्मिला के अनुसार, मंडप में दूल्हा बृजलाल जब उसकी बगल में बैठा तो उसे शराब की तेज बदबू लगी. नशे में धुत्त दूल्हा ठीक से बैठ भी नहीं पा रहा था. वह जब फेरे की रस्म के लिए उठा तो लड़खड़ाने लगा. दो बारातियों ने दूल्हे को पकड़कर किसी तरह चार फेरे दिलवाए.
दूल्हे की हालत देख उर्मिला सहम गई. उसने आगे फेरा लेने से साफ इनकार कर दिया. मंडप में हड़कंप मच गया. गांव के बड़े-बुजुर्ग जुटे. दुल्हन को समझाने का प्रयास हुआ, मगर उर्मिला अपने फैसले पर अडिग रही. बदनामी के डर से खामोश पिता ने भी दूल्हे और उसके पिता की हालत देख अंत में बेटी का साथ दिया. अंतत: नाराज घरातियों ने बारात को शराबी दूल्हे सहित बैरंग लौटा दिया. बारात लौटाए जाने के बाद भी वरपक्ष दुल्हन को ले जाने की जिद पर अड़ा रहा. इस मसले पर 11 अप्रैल को लाटापारा में पंचायत भी हुई.
समाज के प्रमुख लोगों ने दुल्हन उर्मिला के फैसले को जायज ठहराते हुए शादी तोड़ने पर रजामंदी जता दी. उर्मिला के इस साहसिक फैसले की पूरे इलाके में चर्चा है. गांव की बेटियों के लिए उर्मिला आदर्श बन गई है.