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जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद दुनिया के कई देशों ने इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं. भारत के बुलावे पर यूरोपियन यूनियन के कुछ सांसदों ने जम्मू-कश्मीर का दौरा भी किया, लेकिन सोमवार को ब्रिटेन की लेबर पार्टी की सांसद डेबी अब्राहम को भारत आने से रोकने का फैसला करते हुए दिल्ली एयरपोर्ट से ही वापस भेज दिया गया.
एयरपोर्ट से ही वापस भेजे जाने के मसले पर ब्रिटिश सांसद ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं. इस बीच इस प्रकरण पर ब्रिटिश हाई कमीशन के प्रवक्ता ने कहा कि हम यह समझने के लिए भारतीय अधिकारियों के संपर्क में बने हुए हैं कि सांसद डेबी अब्राहम को भारत में प्रवेश से क्यों मना किया गया. नई दिल्ली एयरपोर्ट पर रहने के दौरान हमने उन्हें कांसुलर की सुविधा प्रदान की थी.
अक्टूबर 2020 तक मान्य था वीजा, हुआ कैंसिल
हालांकि ब्रिटिश सांसद अब्राहम को पिछले हफ्ते 14 फरवरी को यह हिंट दे दिया गया था कि उनका वीजा कैंसिल किया जा सकता है.
डेबी अब्राहम ब्रिटिश सांसद हैं और ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप ऑफ कश्मीर की अध्यक्ष हैं. सोमवार सुबह करीब 8.50 पर जब डेबी अब्राहम दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचीं, तो उन्हें बताया गया कि उनका वीजा कैंसिल कर दिया गया है. हालांकि, ये वीजा अक्टूबर 2020 तक मान्य था.
भारत में एंट्री रद्द होने के मसले पर ब्रिटिश सांसद ने कहा, ‘हर किसी की तरह मैंने भी ई-वीजा के साथ डॉक्यूमेंट दिखाए, लेकिन एयरपोर्ट अथॉरिटी ने मना कर दिया. मुझे बताया गया कि मेरा वीजा कैंसिल हो गया है और वो मेरा पासपोर्ट लेकर कुछ देर के लिए चले गए.’
इस विवाद पर केंद्रीय गृह मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि ब्रिटिश सांसद का ई-वीजा पहले ही कैंसिल कर दिया गया था और उन्हें इस बारे में सूचना भी दी गई थी. जब वह इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर आईं तो उनके पास वीजा नहीं था.
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इतना ही नहीं उन्होंने ट्विटर पर भी अपनी शिकायत दर्ज की. अपने ट्वीट में लिखा, ‘मैं अपनी भारतीय रिश्तेदारों से मिलने जा रही थी, मेरे साथ हिंदुस्तानी स्टाफ मेंबर भी थे. मैंने राजनीतिक आवाज सिर्फ ह्यूमन राइट्स के लिए उठाई. मैं अपनी सरकार के खिलाफ इस मसले पर सवाल उठाती रहूंगी.’
मोदी सरकार की आलोचक अब्राहम
बता दें कि डेबी अब्राहम की गिनती भारत के द्वारा जम्मू-कश्मीर को लेकर किए गए फैसले की आलोचना करने वालों में होती है. पांच अगस्त के बाद उन्होंने कई ऐसे ट्वीट किए हैं जो मोदी सरकार की कश्मीर नीति पर सवाल उठाते हैं.
गौरतलब है कि अभी तक दो दौरे पर यूरोपियन यूनियन के कई सांसद जम्मू-कश्मीर का दौरा कर चुके हैं. इस मसले पर भारत में भी कई बार विवाद हो चुका है. भारत की राजनीतिक पार्टियों ने EU सांसदों के दौरे पर सवाल खड़े किए थे और आरोप लगाया था कि स्थानीय सांसदों की बजाय विदेशी लोगों को कश्मीर भेजा जा रहा है.
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