
उस समय गुलाम भारत अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई लड़ रहा था. आंदोलनकारी देश की आजादी के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहे थे. साइमन कमीशन की मुखालफत करते हुए एक प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज में घायल हुए लाला लाजपत राय ने दम तोड़ दिया था. आजादी की लड़ाई के प्रहरी शहीद-ए-आजम भगत सिंह और राजगुरु ने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या की थी.
ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सान्डर्स की हत्याः
- वो दिन था 17 दिसंबर, 1928 का. पूरी तैयारी के साथ ब्रिटिश अधिकारी का इंतजार कर रहे भगत सिंह और राजगुरु ने .32 एमएम की सेमी ऑटोमैटिक पिस्टल कॉल्ट से जॉन सॉन्डर्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
- इतिहास में दर्ज बातों पर यकीन करें तो गुस्साए भगत सिंह ने सॉन्डर्स की हत्या के बाद भी उस पर तीन गोलियां दागी थीं.
- कुछ समय पहले ही जॉन सॉन्डर्स की वायसराय के पीए की बेटी से सगाई हुई थी. वायसराय के पीए के होने वाले दामाद की हत्या से समूचा ब्रिटिश तंत्र आगबबूला हो गया था.
- यह मामला 'लाहौर षड्यंत्र केस' के नाम से भी जाना जाता है. 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को लाहौर की सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई.
- घटना के लगभग 83 साल बाद लाहौर पुलिस ने अनारकली पुलिस स्टेशन से कोर्ट के आदेश के बाद सॉन्डर्स की हत्या में दर्ज हुई FIR की कॉपी खोजी थी.
- FIR के अनुसार, यह मामला 17 दिसंबर, 1928 को शाम में 4.30 बजे अनारकली पुलिस स्टेशन पर दर्ज हुआ था. FIR की कॉपी उर्दू में लिखी गई थी.
- यह केस आईपीसी के सेक्शन 302, 1201 और 190 के तहज दर्ज हुआ था.
- चौंकाने वाली बात यह है कि 2014 में लाहौर पुलिस ने 1928 में सॉन्डर्स की हुई हत्या की FIR की ओरिजिनल कॉपी मुहैया कराई थी. इस FIR में भगत सिंह का नाम नहीं है, जबकि इसी मामले में भगत सिंह को फांसी दी गई थी.
- इस मामले में भगत सिंह को बेगुनाह साबित करने की बात कहने वाले याचिकाकर्ता वकील कुरैशी ने बताया था कि इस केस में गवाहों को नहीं सुना गया था. भगत सिंह के वकीलों को उनकी बेगुनाही साबित करने का मौका तक नहीं दिया गया.
- भगत सिंह ने जिस पिस्टल से जॉन सॉन्डर्स की हत्या की थी, वह साल 1969 से इंदौर के सेंट्रल स्कूल ऑफ वेपंस एंड टेक्टिक्स (CSWT) में रखी थी.
- इस पिस्टल को 7 अक्तूबर, 1969 को 7 अन्य हथियारों के साथ पंजाब की फिल्लौर स्थित पुलिस अकादमी से बीएसएफ के इंदौर स्थित CSWT भेज दिया गया था.
- शहीद-ए-आजम भगत सिंह के ऐतिहासिक हथियार को विशेष सम्मान देने के लिए जल्द ही अब इसे नए शस्त्र संग्रहालय में खासतौर पर प्रदर्शित किया जाएगा.