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EXCLUSIVE: दुनिया की सबसे ऊंची सड़क पर पहुंचा आजतक, भारत ऐसे बिगाड़ रहा चीन का गेम प्लान!

दौलत बेग ओल्डी रोड को दुनिया की सबसे ऊंची सड़क के तौर पर जाना जाता है. ये वही सड़क है चीन जिसे लेकर भारत से चिढ़ा हुआ है और चिंतित है. ये सड़क चीन को बहुत चुभती है.

डीएस-डीबीओ रोड पर एक पुल के निर्माण पर काम कर रहे मजदूर (फोटो- किरपाल सिंह) डीएस-डीबीओ रोड पर एक पुल के निर्माण पर काम कर रहे मजदूर (फोटो- किरपाल सिंह)
गौरव सावंत
  • दौलत बेग ओल्डी,
  • 06 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 10:45 PM IST

  • चीन को चुभती है दुनिया की सबसे ऊंची सड़क दौलत बेग ओल्डी रोड
  • BRO के अफसर और मजदूर दिन-रात सड़क को पूरा करने में जुटे

दौलत बेग ओल्डी रोड को दुनिया की सबसे ऊंची सड़क के तौर पर जाना जाता है. ये वही सड़क है चीन जिसे लेकर भारत से चिढ़ा हुआ है और चिंतित है. ये सड़क चीन को बहुत चुभती है, क्योंकि इसकी मदद से भारतीय सेना को चीन पर वार करने और उसे रोकने की ताकत मिलती है. ये सड़क बनाना किसी युद्ध से कम नहीं है. इस इलाके में सांस लेना मुश्किल होता है. दोपहर तीन बजे यहां शाम हो जाती है. साल में 8 महीने तक तापमान शून्य से नीचे होता है.

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18000 फीट की ऊंचाई पर दौलत बेग ओल्डी का ये इलाका देश की आखिरी चौकी है. ये वो मोर्चा है जहां चीन नजरें गड़ाए बैठा है. इसके एक तरफ पाकिस्तान है तो दूसरी तरफ चीन. ये वो सड़क है जो सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है. लेह से दौलत बेग ओल्डी को जोड़ने वाली इस सड़क की लंबाई करीब 321 किमी है.

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ये सड़क लगभग चीन से लगने वाली LAC के साथ-साथ दौलत बेग तक जाती है. सबसे कठिन मोर्चे वाली सड़क पर कुछ किलोमीटर चलते ही चुनौतियां दिखाई देने लगती हैं. हर तरफ ऊंची पहाड़ियां. चौड़ी खाई. तेज धार से बहती नदियां और इस सब के बीच खतरनाक सड़क.

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सेना के ट्रक श्योक नदी और कई दूसरे नालों से गुजरते हुए ये सफर तय करते थे. रास्ते में श्योक समेत 2 बड़ी नदियां और दर्जनों छोटे नाले हैं जिनपर 35 पुल बन रहे हैं. कई पुलों की क्षमता बढ़ाई जा रही है ताकि सेना के भारी वाहन हर मौसम में बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ सकें.

सीमा सड़क संगठन (BRO) के अफसर और मजदूर दिन-रात इस सड़क को पूरा करने के लिए दम लगा रहे हैं. इससे पहले दौलत बेग ओल्डी तक पहुंचने में लगभग एक हफ्ते का समय लगता था. सबसे बड़ी चुनौती पुराने रास्ते के उन हिस्सों को ठीक करना है जहां ऊंचाई की वजह से सेना के भारी वाहनों का आना-जाना मुश्किल था. ऐसी जगहों पर अब बिल्कुल नए रास्ते बनाए जा रहे हैं. लेकिन अब पहाड़ों को नए सिरे से काटना पड़ रहा है.

यहां पत्थरों को काटना सबसे बड़ी चुनौती है. बीआरओ इस काम के लिए दुनिया की बेहतरीन मशीनों का इस्तेमाल कर रही है. ये मशीनें फिनलैंड और स्वीडन से लाई गई हैं. बीआरओ को स्पाइडर नाम की एक मशीन भी मिली है जो यहां काम करने के लिए बेहद खास है. इस मशीन को संकरे रास्ते में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

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ये सड़क लद्दाख के दूरदराज के इलाके पर भारत की पकड़ को मजबूत करने वाली है. चीन इसीलिए बेचैन है, लेकिन भारत पीछे मुड़ने वाला नहीं है. सामरिक महत्व वाली ये सड़क हकीकत का रंग ले रही है. लेह से दौलत बेग ओल्डी तक सड़क का बनना एक बड़ी सामरिक कामयाबी है. ये ना सिर्फ चीन जैसे चालाक पड़ोसी को काबू में रखेगा बल्कि हमारे सैनिक भी तेजी से सरहद वाले इलाकों में मूवमेंट कर सकेंगे.

मनमोहन सिंह सरकार के वक्त इस रोड का काम शुरू हुआ था और अब मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में ये सड़क लगभग बनकर तैयार है. बेजान ऊंची-ऊंची पहाड़ियां. हरियाली का नामोनिशान नहीं. हर तरफ बंजर पहाड़ और इसके बीच से चीन को बेचैन करने वाली सड़क. ये सड़क बनाना भारत के लिए युद्ध लड़ने से कम नहीं है. इस सड़क का काम तेजी से चल रहा है.

यहां सड़क के लिए पहाड़ काटना ही मुसीबत का अंत नहीं है. रास्ता बनाने के लिए एक खास तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. सामान्य सड़क शून्य से नीचे तापमान होने पर कई बार फट जाती है, जिसकी वजह से पहले रास्ते पर खासतौर पर सीमेंट और पत्थर का इस्तेमाल किया जाता है. इसके बाद सड़क पक्की की जाती है.

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