
पंजाब में बीएसएफ के एक जवान और पाकिस्तान में बैठे हथियार स्मगलरों के बीच एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ है. पंजाब पुलिस ने मोहाली से बीएसएफ के एक जवान अनिल को गिरफ्तार किया है, जो तस्करों की मदद करता था. 'आज तक' से एक्सक्लूसिव बातचीत में आरोपी जवान ने कबूला कि वह सरहद पार खेप पहुंचाने में पाकिस्तानी तस्करों की मदद करता था. हथियारों की तस्करी के बदले उसे पैसे मिलते थे.
पंजाब पुलिस के मुताबिक, पाकिस्तान में बैठे हैंडलर इम्तियाज ने तरनतारन की एक मैरिज पार्टी के दौरान कॉमन कनेक्शन के जरिए बीएसएफ जवान अनिल को अपने जाल में फांसा था. उसे धीरे-धीरे मोटी कमाई का लालच दिया जाने लगा. उसे बताया गया कि अगर वो ड्रग्स की तस्करी में उनकी मदद करें, तो हर बार कंसाइनमैंट रिसीव करने पर उसे 50 हजार रुपये तक दिए जाएंगे.
ड्रग्स और असलहों की होती थी तस्करी
अनिल ने बताया कि वह इस जाल में फंस गया. इसके बाद उसने इम्तियाज के लिए तस्करी का काम शुरू कर दिया. उसकी तरह एक बदमाश गुरजंट सिंह भी इम्तियाज के संपर्क में था, जो उसके इशारे पर ड्रग्स और असलहों की तस्करी कर रहा था. पुलिस ने 2013 में गुरजंट को गिरफ्तार किया था, लेकिन वो हिरासत से भाग निकला. दलजीत सिंह के नाम से अपनी पहचान बदल कर उसी काम में लग गया.
इस मॉडस ऑपरेंडी से होती थी तस्करी
ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के जरिए हिंदुस्तान को कमजोर करने की साजिश रचने वाले पाकिस्तानी हैंडलर्स आम तौर पर दो तरह की मॉडस ऑपरेंडी के जरिए अपने मोहरों से ये पूरा काम करवाते थे. उन्होंने दलजीत सिंह को इसके लिए बाकायदा पाकिस्तान का मोबाइल सिम भी दे रखा था. पाकिस्तान में बैठे हैंडलर जवान से उसकी तैनात के नजदीकी पाकिस्तान पोस्ट का नाम पूछते और वहां माल की सप्लाई करते थे.
तस्करी में सोशल मीडिया का इस्तेमाल
इसके बाद हैंडलर्स व्हाट्सएप और गुगल मैप के जरिए भी अपने इन मोहरों को लोकेट करने कर काम करने लगे. तस्करी का दूसरा जरिया गुड्स ट्रेन का इस्तेमाल था. इसमें हैंडलर पहले से तय जगह पर माल छिपा देते थे और फिर उनके बताए पर गुरजंट जैसे लोग वो माल ट्रेन से हासिल कर लेते थे. फिलहाल एक के बाद एक अब तक इस सिलसिले में तीन तस्कर और एक बीएसएफ जवान की गिरफ्तारी हो चुकी है.