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बजट 2016: शहर में नहीं ठिकाना....आ अब गांव चलें

वित्त मंत्री ने आम बजट में एक हाथ से, घर खरीदने और किराए के घर में रहने वालों को थोड़ी सहूलियत दी तो सर्विस टैक्स और कई चीजों के दाम बढ़ाकर अकाउंट खाली करने का भी इंतजाम कर दिया.

ब्रजेश मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 29 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 5:55 PM IST

बजट देखने के बाद मुझे अनायास ही लग रहा है कि 'आ अब लौट चलें...गांव'. नौकरी और पैसों के लिए गांव छोड़कर शहर तो भागा लेकिन बजट में फिर से जेब ढीली करने का पूरा इंतजाम सरकार ने कर लिया है. वित्त मंत्री ने आम बजट में एक हाथ से, घर खरीदने और किराए के घर में रहने वालों को थोड़ी सहूलियत दी तो सर्विस टैक्स और कई चीजों के दाम बढ़ाकर अकाउंट खाली करने का भी इंतजाम कर दिया.

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पढ़ें- बजट 2016: ...तो दूसरी पारी भी पक्की!

सरकार ने हाउस रेंट अलाउंस 24 हजार से 60 हजार करके थोड़ी राहत दी लेकिन सर्विस टैक्स बढ़ाकर मेरे बाहर खाने और घूमने-फिरने पर भी ब्रेक लगा दिया. जिम, रेल टिकट, मोबाइल बिल, कपड़े सब-कुछ महंगे होने के बाद अब शहर का ठिकाना छोड़ घर वापसी करना बेहतर विकल्प दिख रहा है, क्योंकि बजट में सरकार का ज्यादा जोर गांवों पर दिखा है.

गावों में बिजली और सड़क...फिर क्या चाहिए
सरकार ने ग्रामीण इलाकों और किसानों के विकास पर ध्यान दिया है. एक मई 2018 तक देश के हर गांव में बिजली पहुंचाने की बात करने वाली सरकार ने साथ ही 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का भी लक्ष्य रखा है, जो बेशक एक बेहतरीन कदम है. गांवों में सड़कों के लिए 19 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा गया है यानी शहरों से गांवों को जोड़ना भी प्राथमिकता है और गांव में सड़क होने से किसी भी तरह के रोजगार में आसानी होगी. स्किल इंडिया के तहत में 3 साल में एक करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित करने की योजना भी इस लिहाज से अहम है.

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खेती में भी सहूलियत
जिस तरह खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पैसे बांटे हैं उस लिहाज से शहर में रहकर नौकरी के बजाय गांव में खेती करना और खुद का रोजगार शुरू करना ज्यादा फायदे का सौदा है. 2016-17 के लिए कृषि ऋण लक्ष्य नौ लाख करोड़ रुपये है और खेती के लिए 35,984 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. कृषि, ग्रामीण क्षेत्र, अवसंरचना और सामाजिक क्षेत्र के लिए भी ज्यादा पैसा दिया गया है.

गांव होगा डिजिटल तो शहर में क्या करना
गांवों में सरकार न सिर्फ डिजिटल इंडिया स्कीम ला रहा है बल्कि किसानों के लिए ई-प्लेटफॉर्म और स्वास्थ्य बीमा योजना के अलावा ग्राम स्वराज योजना के लिए भी 655 करोड़ का बजट रखा है. डिजिटल इंडिया स्कीम अगर बेहतर तरीके से लागू हुई तो गांवों के विकास में पंख लग जाएंगे. खेती में लगातार सूखे की मार और नुकसान को देखते हुए सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए फसल बीमा के लिए 5500 करोड़ रुपये, सूखाग्रस्‍त इलाकों के लिए दीनदयाल अंत्‍योदय योजना और ग्राम पंचायतों के विकास के लिए 2.87 करोड़ का फंड दिया है, जो कि गांवों में विकास की राह आसान बनाएगा.

सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों का भी पूरा ध्यान रखा और नई स्‍वास्‍थ्‍य बीमा योजना से लेकर एलपीजी कनेक्शन तक की सुविधा देने का वादा किया है. जो कि शहर में रहकर मुनासिब नहीं है. इस लिहाज से गांव लौटकर खुद का रोजगार करना ज्यादा फायदे का सौदा है.

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