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बजट 2018: जानिये क्या है आम आदमी के दिल में, टैक्स छूट और कर सीमा 5 लाख तक

आम बजट 2018 1 फरवरी को पेश होने वाला है. ऐसे में देश का हर तबका वित्त मंत्री अरुण जेटली से कुछ उम्मीदें बांधे हुए है. जहां महिलाएं घर के बजट में थोड़ी राहत चाहती हैं, वहीं पढ़ने वाले छात्र सस्ती पढ़ाई चाहते हैं. वहीं निजी क्षेत्रों में नौकरी करने वाले लोग टैक्स लिमिट 5 लाख करना चाहते हैं. जानिये है इस बजट से लोगों की उम्मीदें...

आने वाला है आम बजट 2018 आने वाला है आम बजट 2018
आशुतोष मिश्रा/वंदना भारती
  • नई दिल्ली,
  • 25 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 9:49 AM IST

देश का महा बजट आ रहा है. ऐतिहासिक बहुमत के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार का यह आखिरी बजट होगा. इस आखिरी बजट से पहले देश नोटबंदी से जुड़ चुका है और जीएसटी की जटिलता से जूझ रहा है. मोदी सरकार ने इसे अपने कार्यकाल का सबसे बड़ा आर्थिक रिवोल्यूशन करार दिया था. जाहिर है मोदी के इस आखिरी बजट से देश उम्मीदों का आशियाना सजाए बैठा है.

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उद्योग जगत, छोटे और मध्यम वर्ग के कारोबारी, नौकरी पेशा तबका, सरकारी कर्मचारी, कामकाजी महिलाएं, घरेलू महिलाओं के साथ उच्च शिक्षा की लालसा रखने वाले छात्र, शायद ही ऐसा कोई है, जिसकी नजर इस महा बजट पर नहीं है.

आज तक की टीम ने हर उस तबके से जानने की कोश‍िश की जो अच्छे दिनों के इंतजार में इस महा बजट पर नजरें गड़ाए बैठा है और उम्मीद कर रहा है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली का पिटारा जब खुले तो वह अच्छे दिनों के सपनों को पूरा करने के लिए कुछ ठोस रास्ते सामने लेकर आए.

वित्त मंत्री को सलाह

बजट से सबसे ज्यादा उम्मीदें उन लोगों को है जो रोजगार देते हैं. देश की राजधानी दिल्ली में अपनी कंपनी चलाने वाले टैक्स विशेषज्ञ अश्विनी तनेजा की उम्मीदें मोदी सरकार के इस आखिरी और महा बजट से कुछ ज्यादा ही हैं. वह एंटरप्रेन्योर भी हैं और इनकम टैक्स के अपीलेट ट्रिब्यूनल के सदस्य रह चुके हैं. इसलिए देश में कारोबार और निवेश को लेकर वह वित्त मंत्री को कुछ सलाह भी देना चाहते हैं.

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अश्विनी तनेजा का मानना है कि इस बजट के जरिए सरकार को टैक्स से जुड़ी उन जटिलताओं को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए, जिससे आम आदमी को 365 दिन दो चार होना पड़ता है. दक्षिणी दिल्ली में अपना कारोबार जमाए अश्विनी तनेजा का मानना है कि 'इज ऑफ डूइंग बिजनेस' में सरकार के दावों के विपरीत भारी कमियां अब भी दिखाई देती हैं. इसको जितनी जल्दी दूर किया जाए, अच्छे दिन उतनी ही जल्दी आएंगे.

आज तक से बातचीत करते हुए सुनील तनेजा मानते हैं कि साल 2014 में मोदी के भाषणों में देश को विकास की ओर ले जाने के दावों का जिक्र किया गया था. अब उन्हें जमीन पर लाने का वक्त है. वहीं करोबारी और पूर्व टैक्स विशेषज्ञ अश्व‍िनी तनेजा कमाई पर लगने वाले टैक्स की दरों को कम करने से लेकर आयकर स्लैब को 5 लाख की कमाई तक ले जाने के साथ-साथ बेनामी संपत्ति कानून में मामूली बदलाव की मांग कर रहे हैं.

बढ़ाई जाए आयकर की सीमा

जब बजट आता है तो समाज का एक ऐसा तबका है जिसके दिल की धड़कन तेज हो जाती है. दरअसल ये वो तबका है जो निजी सेक्टर में काम करता है. यह तबका देश के आर्थिक विकास में सबसे ज्यादा योगदान करता है. इसी योगदान के आधार पर बजट से सबसे ज्यादा उम्मीदें इन्हें ही होती हैं.  

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आदित्य एक स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं और इसलिए चाहते हैं कि स्टार्टअप में फंड की सीमा फ्लेक्सिबल हो. स्टार्टअप के लिए फंड लेने के लिए आने वाली जटिलताओं को और सुगम किया जाए.

कामकाजू और होम मेकर महिलाओं की मांग

आजतक की टीम ने दिल्ली की निजी कंपनियों में काम करने वाले युवाओं से उनकी बजट से अपेक्षाओं के बारे में जानने की कोश‍िश की. सालाना कमाई पर लगने वाला आयकर इन युवाओं के लिए सबसे बड़ा सिर दर्द है. निजी क्षेत्रों में काम करने वाले युवाओं ने वित्त मंत्री से गुहार लगाई है कि आयकर की सीमा ढाई लाख से बढ़ाकर सीधे-सीधे 5 लाख कर दिया जाए.

वहीं ऑफिस में काम करने वाली और हाउस मेकर लड़कियों की भी इस बजट से कुछ उम्मीदें हैं. महिलाएं और लड़कियां रोज की महंगाई से निजात चाहती हैं. उनका कहना है कि वित्त मंत्री अपने बजट में कुछ ऐसा करें कि उनके किचन का बजट संभल जाए. जाहिर है आयकर में छूट इन कामकाजी महिलाओं की भी प्राथमिकता है.

वहीं दूसरी ओर निजी कंपनी में काम कर रही नेहा कहती हैं कि निर्भया फंड के तहत सरकार द्वारा आवंटित की जाने वाली राशि का इस्तेमाल सही तरीके से नहीं हुआ. इनका कहना है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए वित्त मंत्री को निर्भया फंड के तहत और ज्यादा राशि का आवंटन करना चाहिए और यह सुनिश्च‍ित करना चाहिए कि उसका इस्तेमाल महिलाओं की सुरक्षा के लिए सही ढंग से हो.

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महंगाई पर लगाम और आयकर की सीमा 5 लाख

मोदी सरकार के महा बजट और वित्त मंत्री के पिटारे पर सबसे ज्यादा नजर देश के आम घरों में मोर्चा संभाले उनके गृह मंत्रियों की है, जो घर का बजट बनाती हैं. कामकाजी गृहणियों पर एक तरफ जहां महंगाई की मार है, वहीं दूसरी जरूरतें बजट बिगाड़ देती हैं. रेणु तनेजा ऐसे ही उन महिलाओं में से हैं, जो घर भी संभालती हैं और घर के बाहर मर्दों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की आर्थिक तरक्की में अपना योगदान भी देती हैं.

शाम के वक्त किचन में परिवार के सदस्यों के लिए लजीज खाना बनाते समय रेनू को अपने घर के मासिक बजट की चिंता हमेशा रहती है. जल्दी ही रोजमर्रा की जरूरतों के मुताबिक काम आने वाली चीजों की खरीदारी होनी है और किचन में खाना बनाने के बीच जो समय मिला रेनू ने कागज कलम उठा कर उन रोजमर्रा की चीजों की लिस्ट बनानी शुरू कर दी है. रेणु का कहना है कि खाने पीने की चीजें जिन की कीमतें 3 साल पहले कुछ और थी वह इन 3-4 सालों में दुगनी कीमत तक पहुंच चुकी हैं.

अरुण जेटली से रेणु तनेजा ने गुहार लगाई है कि इस बार जब अपना पिटारा खोलें तो कुछ करें ना करें महंगाई पर लगाम जरूर लगाएं. घर के अलावा रेणु दफ्तर भी जाती हैं और पेट्रोल की कीमतें उन्हें भी तंग करती हैं. कामकाजी महिला हैं, इसलिए वित्त मंत्री से फरियाद की है कि बजट में तेल की कीमतों को कम करने की कोई योजना लाएं. तमाम कामकाजी महिलाओं की ओर से रेणु तनेजा ने देश के वित्त मंत्री से यह अपील की है कि महिलाओं के लिए आयकर की सीमा 5 लाख तक की जाए, जिससे घर में चार पैसे ज्यादा आए और हर परिवार अपने अच्छे दिनों का सपना पूरा कर सके.

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एजुकेशन लोग आसानी से मिले और ज्यादा मिले

घर में महिलाओं के साथ वह बच्चे भी हैं जो पढ़ रहे हैं और बुलंद हौसलों के साथ इस खुले आसमान में उड़ने की तैयारी कर रहे हैं. परिवार के साथ डिनर टेबल पर बैठे सिद्धांत तनेजा चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना चाहते हैं. छात्र हैं इसलिए छात्रों की समस्या समझते हैं. युवाओं की ओर से उनकी मांग है कि उच्च शिक्षा के लिए मिलने वाला एजुकेशन लोन आसानी से मिले, कम ब्याज दर पर मिले और ज्यादा से ज्यादा मिले. सिद्धांत की फरियाद है कि वह युवा जो स्टार्ट अप करना चाहते हैं, उन्हें सुगमता से स्टार्टअप फंड कम ब्याज दरों पर मिले.

सीनियर सिट‍ीजन की ये है मांग

यह देश का महाबजट है तो देश का वो तबका भी इस बजट पर निगाहें लगा कर बैठा है जिसने अपनी जिंदगी के शुरू के 60 सालों में कमाई का एक बड़ा हिस्सा देश की आर्थिक विकास में बतौर टैक्स योगदान दिया. रिटायरमेंट के बाद अपनी जमा पूंजी से बची हुई जिंदगी में हौसलों की उड़ान भर रहे हैं. देश की यह पिछली पीढ़ी भी मोदी सरकार के महा बजट से उम्मीदें लगाए बैठी है. आइए जानते हैं क्या उम्मीद कर रहे हैं वह इस महा बजट से.

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CRPF के पूर्व ऑफिसर प्रदीप कुमार छेत्री सरकार से गुहार लगाते हैं कि उनके अच्छे दिन आ जाएंगे, अगर सरकार पेंशन पर टैक्स की सीमा हटा दे. साथ ही पूर्व CRPF अधिकारी को यह भी लगता है कि अगर सरकार उनके जैसे रिटायर्ड कर्मचारियों के इलाज में सहूलियत दे तो उन पर पड़ने वाला बोझ बेहद कम हो जाएगा.

पेशे से डॉक्टर अर्चना दयाल मानती हैं कि अस्पतालों में होने वाला इलाज बेहद सस्ता हो, जिससे रिटायर्ड लोगों को ज्यादा लाभ मिले. PUC में काम करने वाले अजय वर्मा और रमेश निशानी भी मानते हैं कि EPF के कानूनों में मामूली बदलाव के साथ जमा पूंजी पर ब्याज ज्यादा मिले और वह टैक्स की सीमा से बाहर हो.

कुसुम भगत रिटायर्ड हैं, लेकिन सालों तक अपनी पूंजी का एक हिस्सा सरकार को टैक्स देती रही हैं. महा बजट से उन्हें उम्मीद है कि सरकार बजट का एक बड़ा हिस्सा प्रदूषण से लड़ने के लिए खर्च करें, जिससे वह और उनकी आने वाली पीढ़ियां खुली हवा में अच्छी सांस ले सकें. साथ ही उन्होंने वित्त मंत्री से गुहार लगाई है कि अगर इनकम पर लगने वाले टैक्स की सीमा 5 लाख तक बढ़ा दी जाए तो वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी यह किसी अच्छे दिन से कम नहीं होगा.

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एयरफोर्स के रिटायर्ड पूर्व विंग कमांडर आर के सिंह कि वित्त मंत्री से मांग है कि अगर पेंशन पर लगने वाला कर हटा दिया जाए तो रिटायर तबका भी ज्यादा खर्च कर सकेगा और जब वह ज्यादा खर्च करेगा तो सरकार को अप्रत्यक्ष करों में ज्यादा इजाफा देखने को मिलेगा.

देश का हर तबका वित्त मंत्री से राहत की गुहार लगा रहा है. लेकिन अरुण जेटली के पिटारे से क्या निकलेगा, यह तो आम बजट के दिन ही पता चल पाएगा.

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