
2014 में किसानों और ग्रामीणों के समर्थन से केंद्र की सत्ता में पहुंची मोदी सरकार के लिए समय निकलता जा रहा है. अगले साल लोकसभा चुनाव होंगे इस तरह इस साल का बजट मोदी सरकार के लिए आखिरी मौका है, जिसमें वो अपनी घोषणाओं के जरिए ग्रामीण मतदाताओं और किसानों को लुभा सकती है.
बीजेपी को शहरी इलाकों की पार्टी माना जाता रहा है. सरकार शहरी वोटरों और मुद्दों पर फोकस भी करती है, लेकिन यह कवायद चुनावी सफलता के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाती. ग्रामीण भारत और किसानों के बीच फैली निराशा के चलते मोदी सरकार पर इस बात का दबाव बढ़ता जा रहा है कि वो देश की 68 फीसद आबादी पर अपना ध्यान केंद्रित करे. 1.3 अरब लोगों की आबादी वाले सबसे बड़े लोकतंत्र में 68 फीसदी आबादी चुनावी सफलता के लिए एक बड़ा वोटिंग ब्लॉक है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक ग्रामीणों का जीवन स्तर सुधारने और किसानों की आय डबल करने का वादा किया है.
2018 में 8 राज्यों में चुनाव, मुख्य मुकाबला कांग्रेस से
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों और ग्रामीणों के बीच अपनी सरकार को लेकर व्याप्त निराशा को गुजरात विधानसभा चुनाव के समय ही महसूस कर लिया है. गुजरात की ग्रामीण सीटों पर बीजेपी को कुछ खास सफलता नहीं मिली. 2018 में बीजेपी के सामने 8 राज्यों का चुनाव है, जहां मुख्य तौर पर उसका मुकाबला कांग्रेस से है, जिसको हाल के दिनों में किसानों में व्याप्त आक्रोश का पूरा फायदा मिला है.
बता दें कि इस साल मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड, कर्नाटक, मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं.
गुजरात में मिले झटके से साफ है कि बीजेपी सिर्फ शहरी वोटरों के भरोसे नहीं रह सकती. मोदी अपने आखिरी पूर्ण बजट का उपयोग कृषि बीमा, कोल्ड स्टोरेज और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए कर सकते हैं. इसी महीने वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कहा था कि कृषि क्षेत्र सरकार की प्राथमिकता में सबसे ऊपर है.
आम भारतीयों की जेब में पैसा डाले मोदी सरकार
ग्रामीण सेक्टर के अलावा मोदी सरकार पर इस बात का भी दबाव है कि वो आम भारतीयों के पॉकेट में पैसा डाले. इसके लिए टैक्स में छूट पर विचार चल रहा है. हालांकि इसे लेकर मोदी सरकार की कुछ चिंताएं भी हैं.
बजट में ग्रामीण और पिछड़े इलाकों पर फोकस करने से इकोनॉमिक ग्रोथ 6.5 फीसद से आगे बढ़ सकती है, हालांकि इससे महंगाई के बढ़ने की आशंका है, जो बजट के वित्तीय घाटे को पटरी से उतार सकती है. मोदी सरकार की कोशिश है कि अगले वित्तीय वर्ष के लिए बजट के वित्तीय घाटे को जीडीपी का तीन फीसद ही रखा जाए.
किसान आत्महत्या के मामलों में 42 फीसदी की बढ़ोत्तरी
मोदी सरकार ने कृषि और ग्रामीण युवाओं के रोजगार के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन कृषि विकास अभी भी 1 फीसद से कम है. 2014 और 2015 में आए सूखे ने कृषि के मोर्चे पर मोदी सरकार को बड़ा झटका दिया था. पिछले दो सालों में ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी के आंकड़े लगातार बढ़े हैं. 2015 के बाद से किसानों के आत्महत्या करने के मामलों में 42 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है.
इन सबके बीच किसानों पर एक और मार पड़ी और 2016-17 में हुई बेहतर बारिश से बंपर पैदावार हुई तो फसल की कीमतें जमीन पर आ गईं और किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिला.
चुनावी रणनीति के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण भारत पर ध्यान देना शुरू किया है. केंद्र ने मनरेगा को सबसे बड़ा बजट दिया, तो इस साल मार्च के अंत तक जॉब गारंटी प्रोग्राम भी लागू किया है. साथ ही सरकार आवास, पानी और ग्रामीण सड़कों के निर्माण पर फोकस कर रही है.