
देश की अर्थव्यवस्था की हालत खस्ता है, इसके बावजूद सरकार ने अगले पांच साल में 5 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य रखा है. ऐसे में अब सबकी नजरें अगले वित्त वर्ष के बजट पर है जो 1 फरवरी शनिवार को पेश होने वाला है. क्या कर सकती हैं वित्त मंत्री? इकोनॉमी में सुधार के लिए क्या किया जा सकता? जानकारों का मानना है कि अर्थव्यवस्था की तरक्की का रास्ता देश के खेतों यानी कृषि से होकर गुजरता है. कृषि में सुधार से समूची अर्थव्यवस्था में सुधार का रास्ता बनेगा.
भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका होने के बावजूद कृषि की हालत खराब है और सबको इसकी जानकारी है. खाद्य महंगाई ऊंचाई पर रहने के बावजूद किसानों को इसका कोई फायदा नहीं मिलता है. कृषि का देश के जीडीपी और रोजगार सृजन में भी काफी महत्वपूर्ण योगदान है.
देश में फसलों और तमाम कृषि उत्पादों की बर्बादी एक आम बात है. स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन की अत्याधुनिक सुविधा न होने से बड़े पैमाने पर कृषि उत्पाद बर्बाद हो जाते हैं. इसलिए वेयरहाउस सेक्टर को मजबूती देने और एग्री फाइनेंस को सुविधाजनक बनाने जैसे उपाय करने होंगे. इसके अलावा सरकार को कृषि क्षेत्र की कई अन्य दिक्कतों को दूर करना होगा. कुछ प्रमुख कदम इस प्रकार हो सकते हैं:
1 . कृषि क्षेत्र में कर्ज को बढ़ावा दें
आधुनिक खेती में बीज, खाद, सिंचाई जल, मशीनरी एवं उपकरण आदि का खर्च काफी बढ़ गया है और इसकी वजह से खेती में कर्ज की जरूरत भी बढ़ती जा रही है. किसानों को बैंकों या अन्य सरकारी संस्थाओं से पर्याप्त लोन नहीं मिल पाता जिसकी वजह से वे साहूकारों के जाल में फंस जाते हैं. पर्याप्त धन न मिलने की वजह से वे बेहतर बीज, खाद या आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहते. ऐसे में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है. सरकार हर बजट में नाबार्ड जैसी संस्थाओं को ज्यादा पैसा देती है. नाबार्ड इसका फायदा एग्रो प्रोसेसिंग और एग्री इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसी गतिविधियों को देता है, लेकिन कृषि से जुड़े एनबीएफसी को सस्ता कर्ज नहीं मिल पा रहा.
कृषि से जुड़ी एनबीएफसी की छोटे किसानों को आसानी से कर्ज मुहैया कराने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इसलिए उन्हें भी नाबार्ड की तरह सस्ता कर्ज मुहैया करना होगा. किसानों की आमदनी दोगुनी करने के मोदी सरकार के लक्ष्य के लिहाज से भी यह जरूरी है.
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2 . किसान सम्मान निधि बढ़ाई जाए
मौसम के पैटर्न सामान्य न होने की वजह से देश में खेती का कामकाज बाधित होता रहा है. इसकी वजह से पिछले साल के मुकाबले इस वित्त वर्ष में ज्यादातर फसलों के उत्पादन में गिरावट आई है. इसलिए कृषि क्षेत्र में कई अन्य उपाय जरूरी हैं जिन पर बजट में ऐलान होना चाहिए. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में आमूल बदलाव की जरूरत है. इसके अलावा घरेलू खाद्य तेलों को भी बढ़ावा देने की जरूरत है. मलेशिया से रिफाइंड पाम ऑयल के आयात पर रोक के बाद यह करना जरूरी हो गया है.
पिछले साल बजट में सरकार ने किसान सम्मान निधि (PM-Kisan) की घोषणा की थी, जिसकी लोकसभा चुनाव से पहले शुरुआत भी हो गई. इसके तहत छोटे एवं सीमांत किसानों को साल में 6,000 रुपये की सहयोग राशि दी जाती है. ऐसी आमराय बन रही है कि यह राशि वास्तव में अपर्याप्त है और इसे बढ़ाया जाना चाहिए.
3 . कृषि बुनियादी ढांचे पर बढ़े खर्च
कृषि के बुनियादी ढांचे जैसे सिंचाई, बीजों के कोल्ड स्टोरेज को बड़े पैमाने पर खर्च बढ़ाने की जरूरत है ताकि खेती की पैदावार बढ़ सके. देश में सिंचाई सुविधा की हालत बेहद खराब है. देश में बड़ी और मध्यम परियोजनाओं के द्वारा सिर्फ 38 फीसदी हिस्से पर ही सिंचाई हो पाती है. इसे बढ़ाकर कम से कम 60 फीसदी करने की जरूरत है. कृषि उत्पादों के लिए लॉजिस्टिक पार्क, बंदरगाहों पर समर्पित क्षेत्र, रेल मार्ग, एयरपोर्ट क्षेत्र बनाने की जरूरत है.
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4.वेयरहाउसिंग सेक्टर में टैक्स को तर्कसंगत बनाया जाए
वेयरहाउसिंग सेक्टर लंबे समय से यह मांग कर रहा है कि उस पर लगने वाले इनडायरेक्ट टैक्सेज को तर्कसंगत बनाया जाए. वेयरहाउस के लीज को कॉमर्शियल लीज माना जाता है और उस पर 18 फीसदी का जीएसटी लगाया जाता है. यह 18 फीसदी का टैक्स वेयरहाउस कंपनियों को सहन करना होता और उनकी लागत बढ़ जाती है. तो वह इसका बोझ अपने ग्राहकों पर डालती है. इसका नुकसान यह होता है कि ग्राहक असंगठित सेक्टर से सेवाएं लेना चाहते हैं क्योंकि ऐसे प्लेयर उनसे अक्सर टैक्स वसूल नहीं करते.
5. e-NAM जैसे कदम और उठाए जाएं
एक मंडी या एक कृषि कर्ज बाजार और एक उत्पादन बाजार के लिए e-NAM (ऑनलाइन राष्ट्रीय कृषि बाजार) अच्छी पहल है. लेकिन इसके साथ ही अच्छा बुनियादी ढांचा भी होना चाहिए. ऐसी कृषि कंपनियों को इसमें हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए जो कृषि वैल्यू चेन में हर छोर तक भौतिक संसाधन मुहैया कराती हैं.