
बजट में घोषित स्वास्थ्य बीमा की 'नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम' को लागू करने के लिए सरकार 'आधार' नंबर का इस्तेमाल कर सकती है ताकि इसका लाभ सही हकदारों को मिले. आधार कार्ड की मदद से बीमा क्लेम की राशि डायरेक्टर बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के द्वारा सीधे अस्पताल के खाते में पहुंच जाएगी.
इसके पहले फर्टिलाइजर सब्सिडी के मामले में ऐसा प्रयोग किया जा चुका है. इकानोमिक टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि 'मोदीकेयर' के नाम से चर्चित इस योजना को लागू करने के लिए सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों में हुई चर्चा के दौरान इस पर भी बात हुई कि इसके लिए आधार कार्ड का इस्तेमाल किया जाए.
गौरतलब है कि आधार एक्ट की धारा 7 में कहा गया है कि भारत सरकार के समेकित निधि से यदि किसी योजना के लिए खर्च किया जाता है तो उसको आधार से लिंक करना होगा. इस योजना के लिए 11,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बजट में वित्त मंत्री ने 1 फीसदी का अतिरिक्त सेस लगाया है. यूआईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पांडे ने कहा कि आधार से ऐसे कार्यक्रमों को सही ढंग से चलाने में मदद मिल सकती है. जो लोग वाजिब हकदार हैं उन्हें बीमा का लाभ लेने में कोई कठिनाई नहीं आएगी.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट स्पीच में बताया था कि योजना के तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों यानी करीब 50 करोड़ लोगों को सालाना 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर दिया जाएगा.
सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि 50 करोड़ लाभार्थियों वाली इतनी बड़ी योजना को बिना आधार के लागू नहीं किया जा सकता. गौरतलब है कि अभी करीब 14-15 करोड़ लोगों को मिलने वाली एलपीजी सब्सिडी को भी आधार और डीबीटी के द्वारा ही देना पड़ता है.
ये होंगे फायदे
आधार का फायदा यह होगा कि इससे लोगों का एक तो साफ-सुथरा डेटा बेस तैयार मिलेगा और आधार कार्ड होने की वजह से किसी व्यक्ति के अस्पताल पहुंचने पर उसका तत्काल इलाज शुरू हो सकेगा. इमरजेंसी या कैसलेश इलाज के मामले में यह काफी मददगार साबित होगा. यही नहीं, इससे किसी तरह के फर्जीवाड़े पर भी अंकुश लगेगा.