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जीएसटी के लिए संविधान संशोधन का ज्रिक बजट में होगा: चिदंबरम

वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि अगर राज्यों में वस्तु एवं सेवा कर के मुद्दे पर आम सहमति बन जाती है तो वह इस संबंध में संविधान संशोधन की रूपरेखा का जिक्र अपने बजट भाषण में ही कर देंगे.

पी चिदंबरम पी चिदंबरम
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2013,
  • अपडेटेड 12:28 PM IST

वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि अगर राज्यों में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के मुद्दे पर आम सहमति बन जाती है तो वह इस संबंध में संविधान संशोधन की रूपरेखा का जिक्र अपने बजट भाषण में ही कर देंगे.

बजट की तैयारियों में लगे चिदंबरम ने राज्यों के वित्तमंत्रियों के साथ बजट पूर्व विचार विमर्श किया. ऐसा माना जाता है कि चिदंबरम ने कहा कि जीएसटी पर बचे मुद्दों को निपटाने का समय आ गया है.

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सूत्रों के अनुसार चिंदबरम ने उन्हें बताया कि अगर राज्यों में सहमति बन जाती है तो तो वे संशोधनों की रूपरेखा अपने बजट भाषण में शामिल करने को तैयार हैं. वित्त वर्ष 2013-14 का बजट 28 फरवरी को पेश किया जाना है.

संविधान (संशोधन) विधेयक, 2011 को संसद में पेश किया जा चुका है और इस समय संसद की वित्त समिति के विचाराधीन है.

सूत्रों के अनुसार केंद्रीय ब्रिकी कर (सीएसटी) में कटौती के लिए अधिक मुआवजे की राज्यों की मांग के मुद्दे पर, राज्यों को बताया गया कि केंद्र इस बारे में विचार को तैयार है लेकिन सबकुछ वित्तीय हालत पर निर्भर करेगा. सीएसटी मुआवजे के लिए समिति तथा जीएसटी प्रारूप समिति अपनी रिपोर्टें 31 जनवरी तक केंद्र को सौंप देंगी.

चिदंबरम ने दोहराया कि केंद्र राजकोषीय खाके (रोडमैप) को लेकर प्रतिबद्ध है वह राजकोषीय घाटे को 2016-17 तक जीडीपी के तीन प्रतिशत तक सीमित करना चाहता है. उन्होंने राज्यों से कहा है कि वे अपने क्षेत्राधिकार में आने वाली परियोजनाओं को जल्द से जल्द मंजूरी दें ताकि निवेश को गति दी जा सके.

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बैठक के बाद बिहार के वित्तमंत्री तथा राज्यों के वित्तमंत्रियों की अधिकार संपन्न समिति के अध्या सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सभी राज्यों ने सीएसटी को घटाने के लिए मुआवजे की मांग की.

उन्होंने कहा, 'सभी राज्यों ने अपने अपने मुद्दे उठाये लेकिन कुछ मुद्दे सभी ने उठाए.'

मोदी ने कहा कि राज्‍यों ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं पर बीके चतुर्वेदी समिति की सिफारिशों के कार्यान्वयन की मांग की. राज्य चाहते हैं कि केंद्रीय योजनाओं में उनका योगदान 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. मध्यप्रदेश के वित्तमंत्री राघवजी ने कहा कि राज्यों ने मांग की कि 33 सेवाओं को सेवा कर की 'नकारात्मक सूची' में शामिल किया जाना चाहिए.

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