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बुंदेलखंड में पंचायत का तुगलकी फरमान, परिवार को 12 साल के लिए गांव से निकाला

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में पंचायत के तुगलकी फरमान का दंश एक किसान परिवार को सहना पड़ रहा है. ये परिवार बीते 7 महीने से खेत में रहने को मजबूर है. समाज की जातिगत पंचायत ने 3 बेटियों समेत 6 बच्चों वाले परिवार को 12 साल के लिए गांव में नहीं घुसने का फरमान सुना रखा है. इस परिवार से ये भी कहा गया कि अगर वो गांव में दोबारा रहना चाहता है तो उसे एक लाख रुपए जुर्माना भरना होगा.

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खुशदीप सहगल
  • छतरपुर,
  • 10 मई 2017,
  • अपडेटेड 6:08 PM IST

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में पंचायत के तुगलकी फरमान का दंश एक किसान परिवार को सहना पड़ रहा है. ये परिवार बीते 7 महीने से खेत में रहने को मजबूर है. समाज की जातिगत पंचायत ने 3 बेटियों समेत 6 बच्चों वाले परिवार को 12 साल के लिए गांव में नहीं घुसने का फरमान सुना रखा है. इस परिवार से ये भी कहा गया कि अगर वो गांव में दोबारा रहना चाहता है तो उसे एक लाख रुपए जुर्माना भरना होगा. गरीब दलित परिवार इतना पैसा लाए तो लाए कहां से? आखिर थक हार कर परिवार के मुखिया मौजीलाल अहिरवार ने छतरपुर के कलेक्टर रमेश भंडारी की जनसुनवाई में जाकर अपनी व्यथा सुनाई.

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छतरपुर के कलेक्टर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच का निर्देश दिया है. कलेक्टर के मुताबिक इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी. छतरपुर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बंधी कला गांव में मौजीलाल अहिरवार के परिवार को 12 साल के लिए गांव से बाहर का रास्ता दिखाया गया. ये गांव ईशानगर थाने के अंतर्गत आता है.

मौजीलाल के मुताबिक बीते साल सिंतबर में अहिरवार समाज की जातिगत पंचायत में परिवार को गांव से निकालने का फरमान सुनाया गया था. मौजीलाल ने इस पूरे विवाद की जड़ में अपने सगे भाई धनीराम का नाम गिनाया. मौजीलाल का आरोप है कि उसकी बेटी के ससुराल जाकर धनीराम ने उसके चरित्र पर लांछन लगाया था. इसकी वजह से ससुराल वालों ने बेटी को घर से निकाल दिया. ये बेटी भी अब मौजीलाल के साथ ही रहती है.

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मौजीलाल ने जब धनीराम के व्यवहार पर आपत्ति की तो धनीराम ने आरोप को साबित करने के लिए अहिरवार समाज की जातिगत पंचायत बुला ली. मौजीलाल के मुताबिक इस पंचायत की सूचना तक उन्हें नहीं दी गई. रिश्तेदारों के जरिए पंचायत के फरमान का पता चला. पंचायत ने आदेश में कहा, 'पंचों के बुलाने पर मौजीलाल नही आया, इस कारण 12 वर्ष तक समाज से दूर रहेगा,जो इसका साथ देगा वह भी समाज के दण्ड का भागीदार होगा'.

मौजीलाल ने बताया कि वो खेत में रहने के लिए मजबूर है लेकिन वहां भी कुछ लोग आकर उसे इलाके से बाहर जाने के लिए धमकाते हैं. उधर, सरपंच कोमल अहिरवार के पति भागीरथ अहिरवार ने सरपंच प्रतिनिधि के नाते पंचायत के फैसले पर सफाई दी है. भागीरथ अहिरवार ने कहा कि लड़की का विवाद था तो इसलिए पंचायत ने सोचा कि बैठक में समझौता करा देते है, लेकिन मौजीलाल ने उसमें शिरकत ही नहीं की. मौजीलाल ने ऐसा कर पंचों और बैठक का अपमान किया. भागीरथ के मुताबिक मौजीलाल आकर माफी मांगे और जुर्माना भरे तो मामला खत्म कर दिया जाएगा.

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