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भारत-चीन युद्ध के मुहाने पर, पूरी दुनिया भुगतेगी अंजाम

चीन 2018 में ही युद्ध इसलिए लड़ना चाहता है क्योंकि भारत ने युद्ध के लिए जिन साजो सामान की खरीद की है, उसकी पहली खेप 2019 में आनी है. भारत को पहला राफेल युद्धक विमान 2019 से पहले नहीं मिलने वाला है. लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तो 2021 से पहले नहीं मिलेगा.

भारत-चीन भारत-चीन
सुरभि गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 11 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 7:34 AM IST

डोकलाम पर बढ़ते भारत-चीन विवाद के बीच युद्ध की आशंका काफी दिनों से जताई जा रही है. खबर ये भी आ रही है कि अगले साल यानी 2018 में ड्रैगन भारत से भिड़ सकता है. दोनों ही देशों के सेना अपने स्तर पर तैयारी कर रही हैं. चीन की कोशिश है कि यह युद्ध 2018 से आगे ना टले. इसकी एक खास वजह है. इस साल में भारत की एक कमजोर नस दबी हुई है.

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चीन की सत्ता और कम्युनिस्ट पार्टी पर एकक्षत्र राज हासिल करने की कोशिश में शी जिनपिंग के सामने भारत से युद्ध सबसे आसान रास्ता है और बहुत सोच समझकर उन्होंने इसके लिए 2019 से पहले का वक्त चुना है. मतलब चीन को ये लगता है कि अगर 2018 में युद्ध हुआ तो उसके लिए स्थितियां बहुत मजबूत होंगी और वो आसानी से भारत को हरा सकेगा.

इसलिए 2018 में ही युद्ध चाहता है चीन

चीन 2018 में ही युद्ध इसलिए लड़ना चाहता है क्योंकि भारत ने युद्ध के लिए जिन साजो सामान की खरीद की है उसकी पहली खेप 2019 में आनी है. भारत को पहला राफेल युद्धक विमान 2019 से पहले नहीं मिलने वाला है. लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तो 2021 से पहले नहीं मिलेगा.

ये है भारतीय सेना की जरूरत

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भारतीय सेना को युद्ध के लिए जितने गोला बारूद की जरूरत है, उतना अभी हमारे पास मौजूद नहीं है. सेना ने इस जरूरत का जो चिट्ठा सरकार को भेजा है उस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है. रक्षा मंत्रालय ने हथियार और गोला बारूद की खरीदारी में तेजी लाने के लिए 20 हजार करोड़ मांगे हैं. सरकार ने बजट में 2 लाख 74 हजार करोड़ का बजट रखा था लेकिन यह युद्ध की सूरत में नाकाफी साबित होगा. हालांकि रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस मांग का चीन के साथ युद्ध की तैयारी से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन सबको पता है कि युद्ध की सूरत में गोला-बारूद और हथियार की इस खरीद की कितनी जरूरत पड़ेगी.

डोकलाम सिर्फ भारत-चीन का मसला नहीं

हम भले शांति की कामना कर रहे हों लेकिन सच ये है कि भारत और चीन जहां पहुंच गए हैं, वहां युद्ध को रोकना अब नामुमकिन लग रहा है. सीआईए के पूर्व विश्लेषक ब्रूस रीडेल ने कहा है कि डोकलाम को केवल भारत और चीन का मुद्दा समझना विश्व बिरादरी की भारी भूल होगी. इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है.. रीडेल के मुताबिक दोनों देशों की सेना किसी भी समय एक दूसरे पर हमला बोलने के लिए पूरी तरह तैयार है.

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पूरी दुनिया भुगतेगी अंजाम

सीआईए के पूर्व एनालिस्ट ब्रूस रीडेल ने तो यहां तक कह दिया है कि चीन और भारत दोनों ने परमाणु शस्त्र से लैस अपनी मिसाइलें एक दूसरे की तरफ तैनात कर दी हैं. रीडेल के मुताबिक यह ऐसा टकराव होगा जिसका अंजाम पूरी दुनिया को भुगतना होगा क्योंकि दोनों देशों के बीच व्यापक व्यापारिक रिश्ते हैं और युद्ध की सूरत में दुनिया का आर्थिक संतुलन बिगड़ने से कोई नहीं रोक सकता.

हार का बदला लेने उतरेगा भारत

इंडियन मिलिट्री रिव्यू के मुताबिक युद्ध को टालना अब लगभग नामुकिन हो गया है. दोनों देश इसके लिए तैयार हैं और अपनी-अपनी तैयारियों को अंतिम तौर पर परख रहे हैं. भले इसकी तारीख अभी तय ना हो लेकिन इतना तय है कि भारत 1962 की हार का बदला लेने के इरादे से युद्ध में उतरेगा. बीजिंग बोले कुछ भी लेकिन उसे भी यह मालूम है कि भारत अपने 55 साल पुराने इतिहास से बहुत आगे निकल चुका है.

 

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