
नगालैंड लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के समर्थन वाले नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) उम्मीदवार तोखेहो येपथेमी 1,73,746 मतों के अंतर से बड़ी जीत हासिल कर ली.
बीजेपी के समर्थन वाले एनडीपीपी उम्मीदवार को कुल 5,94,205 और एनपीएफ के उम्मीदवार अपोक जमीर को 4,20,459 वोट मिले. जबकि नोटा के पक्ष में 3,991 वोट मिले. बीजेपी ने उपचुनाव में एनडीपीपी को और कांग्रेस एनपीएफ को समर्थन किया था. यह नगालैंड राज्य की एकमात्र लोकसभा सीट है.
28 मई को हुए उपचुनाव के दौरान काफी चुस्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. करीब 70 फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया था. राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से चुनाव संपन्न कराने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 40 कंपनियां, नगालैंड सशस्त्र पुलिस की 40 कंपनियां, 770 होम गॉर्ड्स और 2600 चौकीदार को तैनात किया गया था.
बीजेपी, एनडीपीपी और पीपल्स डेमोक्रेटिक अलायंस (पीडीए) ने इस सीट पर पूर्व मंत्री तोखेहो येपथेमी को उतारा था, जबकि कांग्रेस ने एनपीएफ उम्मीदवार सी अपोक जमीर को समर्थन दिया.
यह सीट नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोगेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेता नेफ्यू रियो के सीएम बन जाने के बाद खाली हुई थी. विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.
सबसे ज्यादा बार कांग्रेस जीती
नगालैंड लोकसभा क्षेत्र के लिए पहली बार 1967 में चुनाव होने पर सबसे पहले नगालैंड नेशनलिस्ट ऑर्गनाइजेशन के एससी जमीर सांसद बने थे. तब जमीर निर्विरोध सांसद चुने गए थे. उसके बाद यह सीट अलग-अलग पार्टियों के पास गई. 2018 से पहले तक इस सीट पर 13 बार चुनाव हुए हैं जिनमें से पांच बार कांग्रेस को विजय मिली. 2014 से हाल तक यहां नगालैंड पीपल्स फ्रंट के नेफ्यू रियो सांसद थे.
2014 के चुनाव में एनपीएफ के नेफ्यू चार लाख मतों के भारी अंतर से विजयी हुए थे. नेफ्यू को 7 लाख 13 हजार 372 वोट (68.67 फीसदी) हासिल हुए थे. दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के उम्मीदवार के. वी पुसा को 3 लाख 13 हजार 147 वोट ही मिले थे. यहां करीब 12 लाख मतदाता हैं.