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असम में सामान्य हो रहे हालात, आज से हटेगा कर्फ्यू, इंटरनेट सेवाएं भी होंगी बहाल

असम और त्रिपुरा के कुछ संवेदनशील इलाकों में कर्फ्यू भी लगाया गया है. असम में स्थितियां अब धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं. असम सरकार ने राज्य में इंटरनेट सेवाएं बहाल करने और कर्फ्यू हटाने का फैसला किया है.

असम में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन (फाइल फोटो) असम में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन (फाइल फोटो)
aajtak.in
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  • 16 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 7:57 AM IST

  • असम के हर हिस्से से हटेगा कर्फ्यू
  • इंटरनेट कनेक्टिविटी सेवाएं होंगी बहाल

नागरिकता कानून पर जारी उग्र विरोध प्रदर्शन के चलते नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में अस्थिरता बनी हुई है. पूर्वोत्तर के कई राज्यों में भारी संख्या में पुलिसबलों की तैनाती की गई है. कुछ संवेदनशील इलाकों में कर्फ्यू भी लगाया गया है. वहीं, असम में स्थितियां अब धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं. असम सरकार ने राज्य में इंटरनेट सेवाएं बहाल करने और कर्फ्यू हटाने का फैसला किया है.

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असम के मंत्री हेमंत बिस्वसरमा ने दावा किया है कि मंगलवार से असम के हर हिस्से से कर्फ्यू पूरी तरह हटा लिया जाएगा. रात में भी कर्फ्यू नहीं लगाया जाएगा. ब्रॉडबैंड और इंटरनेट कनेक्टिविटी सेवाएं कल से ही बहाल कर दी जाएंगी. असम सरकार ने राज्य में शांति बहाली के बाद कर्फ्यू हटाने का फैसला किया गया है. बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ असम में कई जगहों पर प्रदर्शन हुआ, जिसके बाद प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं ठप कर दी थी.

16 दिसंबर तक इंटरनेट सेवा हुई थी बंद

असम में 16 दिसंबर तक इंटरनेट सेवाओं को बंद किया गया था. इसके अलावा स्कूल और कॉलेज को भी बंद करने का ऐलान किया गया था. अधिकारियों ने दावा किया कि परिस्थिति सामान्य होने पर ही इंटरनेट सेवाएं बहाल की जाएंगी. हालांकि बंद के बाद भी शनिवार को कुछ इलाकों में कुछ घंटो के लिए ब्रॉडबैंड सेवाएं चालू हो गई थीं.

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इससे पहले गुवाहाटी में नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे AASU एडवाइज़र समुजल भट्टाचार्य, महासचिव लुरिनज्योति गोगोई समेत 1000 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया.

नागरिकता संशोधन विधेयक के संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद कानून बनने पर गुवाहाटी के साथ-साथ असम के अन्य हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन हुए. यह कानून 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश के हिंदुओं, सिखों, पारसी, जैन व बौद्ध लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करेगा. कानून के अनुसार, इन समुदायों को अवैध अप्रवासी नहीं माना जाएगा और इन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी.

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