
दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन जारी है. हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी एक महीने से ज्यादा समय से डटे हैं, जिसकी वजह से दिल्ली-नोएडा का रास्ता बंद है. लोगों को ऑफिस और बच्चों को स्कूल जाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. मंगलवार को कुछ प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात की और इस दौरान फैसला लिया गया कि स्कूल बसों के लिए रास्ता खोला जाएगा, ताकि स्कूली बच्चों को कोई दिक्कत न हो.
उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात में एक नई बात यह सामने आई कि स्कूल बसों को सहूलियत तो दी जाएगी लेकिन विरोध प्रदर्शन यूं ही जारी रहेगा. बैठक में प्रदर्शनकारियों ने उपराज्यपाल से कहा कि उनका प्रदर्शन आगे भी जारी रहेगा. साथ ही उन्होंने बताया कि उपराज्यपाल ने उनकी मांगों को सकारात्मक ढंग से लिया है. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सरकार इस विवादित कानून को वापस ले.
सरकार और प्रदर्शनकारियों की इस लड़ाई में आम लोगों को काफी दिक्कत हो रही है. खासकर स्कूली बच्चों को किसी दूसरे रास्ते से जाना पड़ रहा है. इलाके के आम लोग सड़क खुलवाने के लिए अपील भी कर चुके हैं. यहां तक कि मामला कोर्ट में भी जा चुका है.कोर्ट ने सरकार से कहा कि आम लोगों की सुविधा को देखते हुए सही कदम उठाए जा सकते हैं. पुलिस भी सड़क खाली कराने की अपील कर चुकी है.
इसी के चलते दिल्ली पुलिस अब तक कई बार धरने पर बैठे लोगों से विनती कर चुकी है. दिल्ली में जब चुनाव सिर पर हैं. ऐसे में पुलिस भी किसी 'ऊपरी' आदेश के बिना धरने पर बैठे लोगों को 'डिस्टर्ब' करके अपने सिर आफत मोल नहीं लेना चाहती है. दिल्ली पुलिस ने अपने ट्विटर हैंडल पर भी आग्रह किया है. आग्रह धरने पर बैठी भीड़ और उसके सिपहसालारों से किया गया है.
पुलिस के आग्रह में कहा गया है कि महीने भर से दिए जा रहे धरने के चलते आसपास के इलाके की सड़कें बंद हैं. पुलिस ने कहा है कि धरने पर बैठे लोग अपने ही उन लोगों के बारे में भी खुद से विचार करें, जिनका इस धरने से कुछ लेना-देना नहीं है. इस धरने के चलते तमाम लोगों को परेशानी हो रही है. अब बच्चों की परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं. जिससे उन्हें भी आने-जाने में लंबे रास्तों का इस्तेमाल करने को मजबूर होना पड़ेगा.