
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हिंसा हुई थी. हिंसा को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसपर सोमवार को सुनवाई हुई. राज्य की योगी सरकार ने हलफनामे के साथ जवाब दाखिल किया था, जिससे कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ और कई बिंदुओं पर रिपोर्ट की मांग की है.
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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूछा कि पुलिस ने कितनी शिकायतों पर केस दर्ज किया. हिंसा में मारे गए 23 प्रदर्शनकारियों की मौत के मामले में दर्ज एफआईआर और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी कोर्ट ने तलब किया. अदालत ने हिंसा में घायल पुलिस वालों का भी ब्योरा मांगा. सोमवार को हुई सुनवाई मुंबई के वकील अजय कुमार और पीएफआई संगठन समेत 14 अर्जियों पर हुई. चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की बेंच में सुनवाई हुई. मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी.
अलीगढ़ समेत कई जिलों में सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस कार्रवाई के खिलाफ पर दाखिल जनहित याचिकाओं पर कुछ दिन पहे भी इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी. इसमें चीफ जस्टिस गोविंद माथुर की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पूरे मामले की जांच करने का आदेश दिया था. इसकी भी अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी.
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सीएए के खिलाफ प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा की घटनाएं सामने आई थीं. इसे देखते हुए मुंबई के अधिवक्ता अजय कुमार ने ईमेल के जरिये हाईकोर्ट को पत्र भेजा था. हाईकोर्ट ने पत्र का स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया था. इसके बाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था. इस नोटिस को अतिरिक्त मुख्य स्थायी अधिवक्ता ए के गोयल ने स्वीकार किया. सीएए के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शन मामले की चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस विवेक वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई हुई. इसी मामले में हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता फरमान नक़वी और अधिवक्ता रमेश कुमार यादव को न्याय मित्र नियुक्त किया.(इनपुट/पंकज)