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विवादों के बीच नागरिकता संशोधन बिल कुछ 'बदलाव' के साथ कैबिनेट से पास

नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय से जुड़े अप्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने की सुविधा प्रदान करना है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह (फाइल फोटो) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह (फाइल फोटो)
कमलजीत संधू
  • नई दिल्ली,
  • 04 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:13 PM IST

  • बिल सोमवार को संसद में पेश किया जा सकता है
  • 2019 में यह विधेयक लोकसभा से पास हो गया था
  • बहुमत ना होने से राज्यसभा में नहीं पेश किया गया

केंद्रीय कैबिनेट ने दो अहम बदलावों के साथ नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) बुधवार को पास कर दिया. अब इसे संसद से पास कराने के लिए पेश किया जाएगा. यह बिल सोमवार को संसद में पेश किया जा सकता है. इसके पहले भी इसे सरकार ने पास कराने की कोशिश की थी, लेकिन विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध किया था.

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नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय से जुड़े अप्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने की सुविधा प्रदान करना है.

मोदी सरकार दूसरी बार पेश कर रही बिल

यह दूसरी बार है जब मोदी सरकार संसद में यह विधेयक पेश करने जा रही है. इसके पहले जनवरी, 2019 में यह विधेयक लोकसभा से पास हो गया था, लेकिन बहुमत न होने के कारण सरकार ने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया. हालांकि, आधिकारिक रूप से सरकार ने कहा था कि '16वीं लोकसभा भंग होने के चलते यह विधेयक रद्द हो गया.'

शाह ने पूर्वोत्तर राज्यों के सीएम के साथ की बैठक

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर के राज्यों की चिंताओं को देखते हुए इसमें कुछ परिवर्तन किए हैं. इसलिए नए संशोधन बिल में अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम के भीतरी इलाकों को (inner line permit areas) को इसके दायरे से बाहर रखा गया है. इसके अलावा इस विधेयक में उन इलाकों को भी सुरक्षा दी गई है, जो 6वीं अनुसूची के तहत पूर्वोत्तर के राज्यों में आते हैं. बुधवार को कैबिनेट की मंजूरी​ मिलने के पहले गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों और सिविल सोसायटी के लोगों के साथ कई दौर की बैठक की थी.

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विधेयक के ड्राफ्ट में ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड धारक के बारे में भी प्रावधान किया गया है. 2016 के बिल के विपरीत, कैबिनेट ने जिस विधेयक को मंजूरी दी है वह ओसीआई कार्ड धारक को सुनवाई का मौका देने की बात करता है, यदि वह किसी अन्य कानून का उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है.  

रवि किशन के बयान पर खड़ा हो गया विवाद

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को बीजेपी सांसदों से कहा कि जब गृह मंत्री नागरिकता संशोधन विधेयक संसद में पेश करें तो उस समय सभी सदस्य उपस्थित रहें. राजनाथ सिंह ने विधेयक के प्रावधानों का बचाव करते हुए कहा कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान मुस्लिम देश हैं. इसलिए वहां पर गैर-मुस्लिमों का उत्पीड़न होता है. लेकिन कैबिनेट की बैठक के बाद गोरखपुर से बीजेपी सांसद रवि किशन ने भारत को ​'हिंदू राष्ट्र' कहकर विवाद खड़ा कर दिया. संसद के बाहर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'हिंदुओं की आबादी 100 करोड़ है, इसलिए यह स्वाभाविक है कि भारत हिंदू राष्ट्र है.'

विपक्ष ने बांटने वाला बिल बताया

विपक्षी दलों ने नागरिकता संशोधन विधेयक को बांटने वाला बताया है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इंडिया टुडे से कहा, 'मेरा मानना है कि यह विधेयक मूल रूप से असंवैधानिक है क्योंकि इसमें भारत के मूल विचार का उल्लंघन किया जा रहा है. जो यह सोचते हैं कि धर्म के आधार पर नागरिकता तय होनी चाहिए... यह पाकिस्तान का आइडिया है. उन्होंने पाकिस्तान बनाया. हम पहले ही कह चुके हैं कि हमारा राष्ट्र का विचार वह है जो महात्मा गांधी, नेहरू जी, मौलाना आजाद और डॉ अंबेडकर ने कहा था कि धर्म से लोगों की नागरिकता तय नहीं होगी.'

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क्या कहा विपक्ष के नेताओं ने ?

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'हम विधेयक का मसौदा देखेंगे. लेकिन हां, विभाजनकारी होने के कारण हम इस विधेयक का हर तरह से विरोध करेंगे.'

माकपा नेता सीताराम येचुरी ने असंतोष जाहिर करते हुए ट्वीट किया, 'सीधी बात है कि धर्म के आधार पर नागरिकता तय नहीं हो सकती. यह प्रावधान नागरिकता संशोधन विधेयक को अस्वीकार्य और असंवैधानिक बनाता है. इस विधेयक का मकसद भारत की बुनियाद को ध्वस्त करना है.'

इस विरोध को देखते हुए कहा जा सकता है कि बीजेपी यह विधेयक लोकसभा में भले पास करा ले जाए, राज्यसभा में उसे कठिनाई का सामना करना पड़ेगा.

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