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कैबिनेट में अटका राहुल का भ्रष्टाचार विरोधी अध्यादेश, पर जाट आरक्षण को मिली मंजूरी

राहुल गांधी जिस भ्रष्टाचार विरोधी बिल की पैरवी करते नजर आ रहे थे, उस पर अध्यादेश लाए जाने से केंद्रीय कैबिनेट ने इनकार कर दिया है. दूसरी ओर, कैबिनेट ने जाट आरक्षण का रास्ता साफ कर दिया है और तेलंगाना बिल में संशोधनों को मंजूरी दे दी है.

मनीष तिवारी मनीष तिवारी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 मार्च 2014,
  • अपडेटेड 10:32 AM IST

राहुल गांधी जिस भ्रष्टाचार विरोधी बिल की पैरवी करते नजर आ रहे थे, उस पर अध्यादेश लाए जाने से केंद्रीय कैबिनेट ने इनकार कर दिया है. दूसरी ओर, कैबिनेट ने जाट आरक्षण का रास्ता साफ कर दिया है और तेलंगाना बिल में संशोधनों को मंजूरी दे दी है.

सूत्रों के मुताबिक, भ्रष्टाचार विरोधी बिलों को लेकर अध्यादेश का रास्ता अपनाए जाने के पक्ष में राष्ट्रपति नहीं थे. इसी वजह से यह प्लान आगे नहीं बढ़ सका. संसद के हाल ही में समाप्त हुए शीतकालीन सत्र में सरकार ने भ्रष्टाचार विरोधी अहम बिलों को पारित कराने की कोशिश की थी, लेकिन हंगामे के चलते ऐसा नहीं हो सका. उसके बाद अटकलें थीं कि सरकार इस पर अध्यादेश लाएगी.

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सूचना-प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि कैबिनेट ने भ्रष्टाचार रोधी बिलों पर अध्यादेश लाने की बजाए उन पर पूरी चर्चा का समर्थन किया है. कैबिनेट की बैठक से पहले यूपीए के मंत्रियों और कांग्रेस नेताओं के बीच सलाह-मशविरा हुआ.

केन्द्रीय मंत्री एके एंटनी, सुशील कुमार शिन्दे और अहमद पटेल बैठक से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उनके आवास पर मिले. शनिवार को ही शिन्दे और कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने राष्ट्रपति से मुलाकात की थी.

जाट समुदाय को मिला ओबीसी आरक्षण
केंद्र सरकार ने जाट समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग के कोटा के तहत आरक्षण को मंजूरी दे दी. जाट समुदाय को आरक्षण के कैबिनेट के फैसले से उन्हें केन्द्र सरकार की नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिलेगा.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. चुनाव से ठीक पहले किए गए इस फैसले पर कांग्रेस ने इन आरोपों से इनकार किया कि सरकार जाटों को लुभाने की कोशिश कर रही है. मनीष तिवारी ने कहा कि हर चीज को चुनाव के लेंस से नहीं देखना चाहिए. यह मांग काफी लंबे समय से हो रही थी, जिसे कैबिनेट ने मंजूर किया है.

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देश के नौ उत्तर भारतीय राज्यों में बसे जाट समुदाय के लोग लंबे समय से अन्य पिछडे वर्ग (ओबीसी) के तहत आरक्षण की मांग कर रहे थे. कई बार इसे लेकर हिंसक आंदोलन भी हुए. हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश और देश के कुछ अन्य हिन्दी भाषी राज्यों में जाटों की मौजूदगी है.

सीमांध्र को 5 साल के लिए विशेष दर्जा
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तेलंगाना बिल में संशोधनों को मंजूरी दे दी. आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद सीमांध्र क्षेत्र को 5 साल के लिए विशेष दर्जा मिलेगा.

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