Advertisement

सिंगल रेगुलेटर-बोर्ड परीक्षाओं में बदलाव हो, HRD मंत्रालय का नाम बदलने की भी सिफारिश

मानव संसाधन विकास मंत्रालयन ने रेगुलेटर बनाने का प्लान पहले ही तैयार कर लिया है. इस रेगुलेटर का नाम होगा- नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी (एनएचईआरए) या हायर एजुकेशन कमिशन ऑफ इंडिया.

छात्रों के लिए बड़े ऐलान संभव (फाइल फोटो) छात्रों के लिए बड़े ऐलान संभव (फाइल फोटो)
मंजीत नेगी/मिलन शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 29 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 12:36 PM IST

  • वर्षों से अधर में अटकी नई शिक्षा नीति की योजना
  • शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव की तैयारी में ऐलान संभव

केंद्र की नरेद्र मोदी सरकार बुधवार को कैबिनेट बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे सकती है. इसका मतलब है कि पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक ही रेगुलेटरी बॉडी होगी ताकि शिक्षा क्षेत्र में अव्यवस्था को खत्म किया जा सके. सरकार की तरफ से बुधवार शाम 4 बजे इसके बारे में जानकारी दी जाएगी.

Advertisement

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि मंत्रालय का मौजूदा नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया जाए. कैबिनेट बैठक में इस पर फैसला हो सकता है.

ये हो सकते हैं सुधार

सिंगल रेगुलेटर- मानव संसाधन विकास मंत्रालय यूजीसी और एआईसीटीई को एक साथ मिलाने की तैयारी कर रहा है. इससे एक रेगुलेटरी बॉडी बनाई जाएगी और मौजूदा रेगुलेटरी बॉडी को नए रोल में लगाया जाएगा. पूरे उच्च शिक्षा के लिए नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन किया जाएगा.

बोर्ड परीक्षा का पुनर्गठन- नई शिक्षा नीति में बोर्ड परीक्षाओं को लेकर बड़ा बदलाव किया जा सकता है. छात्रों के मुताबिक कोर्स चुनने की आजादी हो सकती है. स्किल पर खास ध्यान दिया जाएगा. सबसे बड़ा बदलाव परीक्षा के तौर-तरीकों में किया जा सकता है. ऐसा हो सकता है कि छात्रों को साल में परीक्षा के लिए दो या तीन बार मौका मिले ताकि वे दबाव से खुद को बचा सकें. बोर्ड की एक परीक्षा के बजाय सेमेस्ट प्रणाली की सलाह दी जा सकती है.

Advertisement

आरटीई एक्ट में बदलाव?- 6 से 14 साल के बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) बनाया गया था. इसमें मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है. इस कानून के तहत हर स्कूल के प्रबंधन को इस श्रेणी के छात्रों के लिए कुछ सीटें रिजर्व रखनी होती हैं. अब सरकार इसमें प्री-प्राइमरी एजुकेशन को भी शामिल कर सकती है. ग्रेड 9-12 तक भी मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान हो सकता है. इस हिसाब से यह 18 साल तक लागू हो सकता है.

क्षेत्रीय भाषाओं पर जोर- क्लासिकल लैंग्वेज पर सरकार जोर दे सकती है. स्कूलों में संस्कृत के अलावा उड़िया, तेलुगू, तमिल, पाली और मलयालम भाषाओं को शामिल किया जा सकता है. यह प्रावधान क्लास 6 से 8 तक किया जा सकता है. इसके अलावा देश में वैश्विक विश्वविद्यालयों के कैंपस खोले जाने की इजाजत दी जा सकती है.

रेगुलेटर का नया नाम

मानव संसाधन विकास मंत्रालयन ने रेगुलेटर बनाने का प्लान पहले ही तैयार कर लिया है. इस रेगुलेटर का नाम होगा- नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी (एनएचईआरए) या हायर एजुकेशन कमिशन ऑफ इंडिया. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण 1986 में किया गया था और 1992 में इसमें कुछ बदलाव किए गए थे. इसके बाद तीन दशक गुजर गए हैं, लेकिन इसमें कुछ बड़ा बदलाव नहीं किया गया है.

Advertisement

केंद्र सरकार का मानना है कि शिक्षा के क्षेत्र में बड़े स्तर पर बदलाव की जरूरत है ताकि भारत दुनिया में ज्ञान का सुपरपावर बन सके. इसके लिए सभी को अच्छी क्वालिटी की शिक्षा दिए जाने की जरूरत है ताकि एक प्रगतिशील और गतिमान समाज बनाया जा सके. प्राथमिक स्तर पर दी जाने वाली शिक्षा की क्वालिटी सुधारने के लिए एक नए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम का फ्रेमवर्क तैयार करने पर जोर है. इस फ्रेमवर्क में अलग-अलग भाषाओं के ज्ञान, 21वीं सदी के कौशल, कोर्स में खेल, कला और वातारण से जुड़े मुद्दे भी शामिल किए जाएंगे.

खेल भी होगा शामिल?

शिक्षा में खेल को जहां तक शामिल करने की बात है तो खेल मंत्री किरण रिजिजू ने अभी हाल में कहा था कि देश की नई शिक्षा नीति में खेल पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगे. रिजिजू ने कहा, ‘भारत की नई शिक्षा नीति को अभी आधिकारिक रूप से घोषित नहीं किया गया है, लेकिन यह अंतिम चरण पर है. बातचीत के दौरान मेरा मंत्रालय पहले ही पुरजोर तरीके से अपना पक्ष रख चुका है.’ रिजिजू के मुताबिक, राष्ट्रीय खेल शिक्षा बोर्ड के गठन के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement