
भारत-चीन सीमा पर बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन (BRO) के द्वारा बनाई गई सड़कों पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट संसद में पेश की गई. कैग की इस रिपोर्ट में सड़कों के डिजाइन, क्वालिटी, निर्माण कार्य पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं.
सामरिक महत्व है इन सड़कों का
बॉर्डर रोड डेवलपमेन्ट बोर्ड ने चीन सीमा पर 61 सड़कों के 2012 तक पूरा करने की योजना बनाई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन सीमा पर जो सड़क बनने थे, उसे मार्च 2016 तक भी पूरा नहीं किया जा सका, जबकि सुरक्षा की कैबिनेट कमेटी ने इन सड़कों का सामरिक महत्व देखते हुए समय से पहले पूरा करने पर जोर दिया था.
61 में से सिर्फ 15 सड़कें ही 2012 तक बन पाईं
चीन सीमा पर 61 में से सिर्फ 15 सड़कें ही 2012 तक बन पाईं. बची हुई 46 सड़कों में से भी सिर्फ 7 सड़कें ही मार्च 2016 तक बन पाई हैं यानी सिर्फ 22 सड़कें ( 36%) ही मार्च 2016 तक बन पाईं जबकि बीआरओ ने कुल बजट 4644 करोड़ में से 98 फीसदी रकम यानी 4536 करोड़ इतने में ही खर्च कर दिए.
इस सड़क पर नहीं चल सकते वाहन
nacho tama Chung Chung ( N-TCC ) रोड जिसकी लंबाई 78.45 किलोमीटर थी उसमें से सिर्फ 53 किलोमीटर सड़क ही गाड़ियों के चलने लायक थी. बाकी कुछ हिस्से ऐसे हैं जिस पर भारी वाहन तो दूर हल्के वाहन भी नहीं चल सकते. लिहाजा रोड के उस हिस्से को बंद करना पड़ा.
सड़कों के निर्माण में कई कमियां
जिन 24 सड़कों का ऑडिट किया गया है, उसमें से 17 सड़कों का निर्माण कार्य तय मानक से भी खराब था. उनमें से 6 सड़कों का निर्माण कार्य तो इतना खराब था कि उन पर से बोफोर्स तोपें, पिनाका और smerch जैसे स्पेशल गाड़ियां और सैन्य साजो-सामान तक नहीं ले जाये जा सकते. सीएजी को अपने ऑडिट में सड़कों के डिजाइन, एलाइनमेंट ,स्पेसिफिकेशन और कनेक्टिविटी को लेकर भारी कमियां मिली.