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व्‍यापारियों की संसद से गायब रहे केजरीवाल,मनोज तिवारी ने दिया आश्‍वासन

मुख्यमंत्री के नहीं पहुंचने पर व्यापारी मायूस थे, लेकिन मनोज तिवारी और अजय माकन के आने से वे आश्वस्त दिखे. प्रवीण खंडेलवाल ने साफ किया कि व्यपारियों में आस जगी है और मनोज तिवारी की बातों से एक नई दिशा मिली है.

अरविंद केजरीवाल-मनोज तिवारी (फाइल) अरविंद केजरीवाल-मनोज तिवारी (फाइल)
रणविजय सिंह/स्मिता ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 11 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 2:13 AM IST

कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज मंगलवार को कांस्टिट्यूशन क्लब में ऑल पार्टी ट्रेडर पार्लियामेंट का आयोजन किया. इसमें कांग्रेस के अजय माकन और बीजेपी के मनोज तिवारी ने हिस्सा लिया. लेकिन आम आदमी पार्टी से कोई भी यहां नहीं आया. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी न्योता दिया गया था, लेकिन वो सेशन चलने का हवाला दे यहां नहीं आए.

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मुख्यमंत्री के नहीं पहुंचने पर व्यापारी मायूस थे, लेकिन मनोज तिवारी और अजय माकन के आने से वे आश्वस्त दिखे. प्रवीण खंडेलवाल ने साफ किया कि व्यपारियों में आस जगी है और मनोज तिवारी की बातों से एक नई दिशा मिली है. प्रमुख व्यापारी संघ के अध्यक्षों ने एक स्वर में दोनों ही पार्टियों से अपील की है कि जल्द ही दिल्ली में लगातार हो रही सीलिंग को रोका जाए. साथ ही सील हो चुकी दुकानों को खोल दिया जाए. व्‍यापरियों का कहना था कि दिल्ली में प्रदूषण, पार्किंग और दूसरी समस्याओं के लिए सिर्फ व्यपारियों को गलत ठहराना सही नहीं है.

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री  प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि कैट जल्‍द ही एक समग्र श्वेत पत्र जारी करेगा और उस श्वेत पत्र पर दिल्ली भर में "हल्ला बोल" आंदोलन चलाया जाएगा.  

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प्रवीण खंडेलवाल ने केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में कल दाखिल नोट में एक स्पेशल टास्क फोर्स के गठन का सुझाव दिया है. कैट पिछले तीन महीने से यह मांग कर रहा था. उन्होंने कहा कि यह टास्क फोर्स दिल्ली के उपराज्यपाल की अध्यक्षता में बननी चाहिए और इसमें व्यापारियों का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए.

मनोज तिवारी ने कोर्ट में अपनी बातें मजबूत तरीके से रखने की बात की और बार बार इस बात पर जोर दिया कि इस महीने व्यपारियों की समस्याओं का समाधान निकाला जाएगा. वहीं, अजय माकन ने कहा कि दिल्ली के मौजूदा मास्टर प्लान में दिल्ली की समस्याओं का समाधान है. जरूरी है दिल्ली के सभी इलाकों का विकास प्लान बने, जिससे दिल्ली के सभी इलाके एक साथ प्रगति की दिशा में चलें.

व्यपारियों की संसद में व्यपारियों ने अपनी बातों को स्पष्ट किया. इसका दोनों ही पार्टीयों ने स्वागत किया, लेकिन मुख्यमंत्री या उनकी पार्टी के किसी भी नुमाइंदे की गैरमौजूदगी कई सवाल खड़े कर रही है.

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