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क्या होता है गंभीर आपदा और राष्ट्रीय आपदा में अंतर, कैसे मिलती है मदद?

केरल में आई बाढ़ के बाद इसे राष्ट्रीय आपदा या गंभीर आपदा घोषित करने को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

केरल की बाढ़ का दृश्य (फोटो- रॉयटर्स) केरल की बाढ़ का दृश्य (फोटो- रॉयटर्स)
भारत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 21 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 11:30 AM IST

केरल में आई भीषण बाढ़ से पिछले 13 दिनों में 233 मौतें हो चुकी हैं. बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की जा रही है.

हालांकि, केंद्रीय मंत्री अल्फोंस कन्ननथानम ने कहा है कि आपदा प्रबंधन कानून 2005 में किसी आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रावधान नहीं है. आइए जानते हैं कि राष्ट्रीय आपदा और गंभीर आपदा में क्या अंतर होता है.

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आपदा की परिभाषा

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के मुताबिक 'आपदा' का मतलब होता है किसी भी इलाके में प्राकृतिक या मानवजनित कारणों से, या दुर्घटना या उपेक्षा की वजह से आई ऐसी कोई महाविपत्ति, अनिष्ट, तबाही आदि जिससे मानव जीवन की भारी हानि या संपत्ति को भारी नुकसान और विनाश, या पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचे और यह इतने बड़े पैमाने पर हो कि जिससे स्थानीय समुदाय के लिए निपटना संभव न हो.

प्राकृतिक और मानव जनित आपदा

भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, चक्रवात, सुनामी, शहरी इलाकों में बाढ़, लू आदि को 'प्राकृतिक आपदा' माना जाता है, जबकि न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल आपदाओं को 'मानव जनित आपदा' माना जाता है.

कैसे तय होती है राष्ट्रीय आपदा

किसी भी आपदा को राष्ट्रीय आपदा मानने के बारे में कोई सरकारी या कानूनी प्रावधान नहीं है. हाल ही में संसद के मानसून सत्र में गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था, 'स्टेट डिजास्टर रेस्पांस फंड (SDRF) या नेशनल डिजास्टर रेस्पांस फंड (NDRF) की मौजूदा गाइडलाइन इसके बारे में नहीं बताती कि किस आपदा को 'राष्ट्रीय आपदा' घोषित किया जाए.'

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कई सवालों के जवाब तय नहीं

दसवें वित्त आयोग (1995-2000) के सामने विचार के लिए यह प्रस्ताव आया था कि किसी आपदा को 'असाधारण प्रचंडता की राष्ट्रीय आपदा' घोषित किया जा सकता है, यदि यह राज्य की एक-तिहाई जनसंख्या को प्रभावित करती हो. आयोग ने इसे स्वीकार तो किया, लेकिन यह तय नहीं किया कि 'असाधारण प्रचंडता की आपदा' किसे कहेंगे. लेकिन आयोग ने कहा कि यह केस टू केस पर निर्भर होगा यानी अलग-अलग मामलों के हिसाब से तय किया जा सकता है. उत्तराखंड में बादल फटने से आई बाढ़ और चक्रवात हुदहुद को इस तरह की आपदा घोषित किया गया था.

किस आपदा में कौन सा फंड?

नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट पॉलिसी के मुताबिक राज्य सरकार को स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड से राहत मुहैया करानी होती है. अगर गंभीर प्रकृति की आपदा होती है तो ही नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (एनडीआरएफ) से मदद उपलब्ध कराई जाती है. 'असाधारण प्रचंडता की राष्ट्रीय आपदा ' घोषित कर दी जाए तो राज्य सरकार को राष्ट्रीय स्तर से सहयोग मिलता है. केंद्र सरकार एनडीआरएफ की अतिरिक्त सहायता भेजती है. एक आपदा राहत कोष (CRF) का गठन किया जाता है और इसमें जमा पैसे को केंद्र और राज्य के बीच 3:1 के अनुपात में साझा किया जाता है. कोष में जमा रकम अगर जरूरत से कम होती है तो केंद्र के 100 फीसदी फंडिंग वाले 'राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक फंड' (NCCF) से अतिरिक्त सहायता दी जाती है. प्रभावित लोगों से लोन वसूली में माफी या रियायती दरों पर नए लोन देने की भी व्यवस्था की जाती है.

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किस फंड में कैसे आता है पैसा?

एनडीआरएफ में नेशनल कैलेमिटी कंटिन्जेंट ड्यूटी लगाने से आई रकम जमा होती है. ये ड्यूटी पान मसाला, तंबाकू और सिगरेट से आती है. इसके अलावा अलग-अलग समय पर इसके लिए बजट में प्रावधान भी किए जाते हैं. एसडीआरएफ में केंद्र और राज्य सरकारें 75:25 के अनुपात में रकम देती हैं. विशेष राज्य के दर्जे में यह अनुपात 90:10 का हो जाता है.

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