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Film Review: कमजोर और दिशाहीन है 'कैलेंडर गर्ल्स'

एक जमाने में 'फैशन', 'पेज 3', 'चांदनी बार' और 'ट्रैफिक सिग्नल' जैसी बेहतरीन फिल्में दे चुके फिल्ममेकर मधुर भंडारकर की पिछले दिनों आई फिल्में 'जेल', 'हीरोइन', 'दिल तो बच्चा है जी', ने बॉक्स ऑफिस पर कुछ ज्यादा कमाल नहीं दिखाया है

फिल्म 'कैलेंडर गर्ल्स' फिल्म 'कैलेंडर गर्ल्स'
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 24 सितंबर 2015,
  • अपडेटेड 3:42 PM IST

फिल्म का नाम: कैलेंडर गर्ल्स
डायरेक्टर:
मधुर भंडारकर
स्टार कास्ट:
आकांक्षा पुरी, कियारा दत्त, अवनी मोदी, रूही सिंह, सतरूपा पाईन, सुहेल सेठ
अवधि:
131 मिनट
सर्टिफिकेट: A
रेटिंग: 1 स्टार

एक जमाने में 'फैशन', 'पेज 3', 'चांदनी बार' और 'ट्रैफिक सिग्नल' जैसी बेहतरीन फिल्में दे चुके फिल्ममेकर मधुर भंडारकर की पिछले दिनों आई फिल्में 'जेल', 'हीरोइन', 'दिल तो बच्चा है जी', ने बॉक्स ऑफिस पर कुछ ज्यादा कमाल नहीं दिखाया है, लेकिन अब एक बार फिर से मधुर ने सामाजिक मुद्दों पर आधारित कहानी को दर्शकों तक पहुंचाने की कोशिश की है. मधुर की कहानियों की यही विशेषता होती है की वो उन बातों को सामने लाना चाहते हैं जिनकी अक्सर लोग छुप छुप के बातें करते हैं. अब क्या कैलेंडर गर्ल्स के साथ मधुर भंडारकर को एक बार फिर से दर्शक अपनाएंगे ? आइये फिल्म की समीक्षा करते हैं.

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कहानी
यह कहानी भारत के चार अलग-अलग प्रदेशों और एक पाकिस्तान से आई हुई लड़की की है जो मुंबई में साल 2014 के कैलेंडर गर्ल्स के रूप में सेलेक्ट हुई हैं इन लड़कियों में हैदराबाद से आई नंदिता मेनन(आकांक्षा पुरी) ,रोहतक की मयूरी चौहान (रूही सिंह), गोवा की शेरोन पिंटो (कियारा दत्त), कोलकाता से परोमा घोष(सतपुरा पाइन) और लाहौर की रहने वाली नाजनीन मालिक (अवनी मोदी) भी हैं. अब इन सभी लड़कियों की जिंदगी किस तरह से मुंबई आकर बदलती है, किन-किन हालातों से होकर इन्हें गुजरना पड़ता है, इसके बारे में ही मधुर ने अपनी बात कहने की कोशिश की है.

स्क्रिप्ट
फिल्म की स्क्रिप्ट किसी टीवी सीरियल के जैसे लगती है जहां इस बार मधुर भंडारकर ने कैलेंडर मॉडल्स को टारगेट किया है. मधुर ने दिखाया है की किस तरह से कैलेंडर लॉन्च के बाद उन मॉडल्स का करियर आगे बढ़ता है और क्या-क्या कठिनाइयां सामने आती हैं. लेकिन ये कहानी भावनाओं को छू पाने में असमर्थ सी दिखाई पड़ती है. मधुर की इस फिल्म में कहीं ना कहीं बहुत सी खामियां नजर आई और लग रहा था की जल्दीबाजी के चक्कर में उन्होंने कहानी का मूल खो दिया. जिस मधुर की फिल्म को देखने के लिए हम एक वक्त पर बेसब्री से इन्तजार करते रहते थे, वो कहानी वाली आत्मा इस फिल्म में कतई नहीं दिखाई पड़ी. और अगर कोई बड़ा स्टार इस फिल्म से जुड़ा होता, तो यह फिल्म किसी और लेवल की बनती, 'फैशन' तथा 'पेज 3' जैसा जलवा दिखा पाती.

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अभिनय
फिल्म में हरेक पात्र ने एक्टिंग करने की कोशिश की है, कुछ एक्ट्रेसेस ऐसी हैं जिन्हें भविष्य में काम मिलने में दिक्कत का सामना नहीं करना पडेगा क्योंकि उनकी मौजूदगी से कुछ हिस्से अच्छे लग रहे थे. रूही सिंह, कियारा दत्त और अवनी मोदी की एक्टिंग ठीक है. फिल्म में मधुर ने भी कुछ हिस्सों में अभिनय की कोशिश की है, जिस तरह से उन्होंने रंगीला में भी छोटी सी भूमिका निभायी थी, लेकिन उनकी मौजूदगी भी किसी ब्रम्हास्त्र का रूप ले पाने में असमर्थ रही.

संगीत
फिल्म में बैकग्राउंड में आने वाला गीत काफी अच्छा है ,लेकिन फिल्म का कोई भी गीत ऐसा नहीं रहा जो फेमस हुआ हो और फिल्म के दौरान दिल में घर कर पाया हो.

कमजोर कड़ी
सबसे कमजोर कड़ी फिल्म की स्क्रिप्ट है. मधुर भंडारकर ने एक ही वक्त पर मैच फिक्सिंग, पत्रकारिता, रियलिटी शो जैसे विषयों पर अपनी बात कहने की कोशिश तो जरूर की है लेकिन कभी कभी बहुत कुछ दिखाने के चक्कर में पूरी फिल्म दिशाहीन हो जाती है. दर्शकों को मधुर के जानिब से पेज 3, और फैशन के लेवल वाली फिल्में देखने का बेसब्री से इन्तजार है और 'कैलेंडर गर्ल्स' उम्मीदों पर खरी उत्तर पाने में नाकामयाब सी लगती है.

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क्यों देखें
अगर आप एडल्ट हैं, मधुर भंडारकर के दीवाने हैं तो ही इस फिल्म को देखें.

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