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60 लाख रुपए की 'ब्लड-मनी' क्या बचा पाएगी 10 भारतीय युवकों की जान?

दुबई की जेल में बंद 10 भारतीय युवकों को जीवनदान मिलेगा या नहीं, ये फैसला पाकिस्तान के पेशावर में बैठे एक परिवार को लेना है. भारत के पंजाब से यूएई के दुबई शहर गए 10 युवकों को एक पाकिस्तानी युवक मोहम्मद एजाज की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है.

दुबई की जेल में बंद हैं भारतीय युवक दुबई की जेल में बंद हैं भारतीय युवक
खुशदीप सहगल
  • होश‍ियारपुर ,
  • 10 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 8:06 AM IST

दुबई की जेल में बंद 10 भारतीय युवकों को जीवनदान मिलेगा या नहीं, ये फैसला पाकिस्तान के पेशावर में बैठे एक परिवार को लेना है. भारत के पंजाब से यूएई के दुबई शहर गए 10 युवकों को एक पाकिस्तानी युवक मोहम्मद एजाज की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है.

ये सभी 10 युवक 26 अक्टूबर 2016 से दुबई की जेल में बंद है. यूएई के कानून के मुताबिक किसी हत्या के दोषी की मौत की सजा एक ही सूरत में माफ हो सकती है. और वो है कि जिस शख्स की हत्या हुई है उसका परिवार माफी देने को तैयार हो जाए. माफी हासिल करने के लिए 'ब्लड-मनी' भी दी जाती है. 'ब्लड-मनी' के मायने हैं कि जिस शख्स की हत्या हुई उसका परिवार एक तयशुदा रकम लेने के बाद हत्या के दोषी या दोषियों को माफी देने के लिए तैयार हो जाए.

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पाक युवक के परिवार को 60 लाख 'ब्लड-मनी' की पेशकश
दुबई की जेल में बंद 10 भारतीय युवकों की ओर से कारोबारी और 'सरबत दा भला ट्रस्ट' के चेयरमैन एसपी सिंह ओबेरॉय ने मोहम्मद एजाज के परिवार को 60 लाख रुपए ब्लड-मनी देने की पेशकश की है. ओबेरॉय के मुताबिक उन्होंने ये केस अपने एडवोकेट को सैौंप रखा है और उन्हें उम्मीद है कि वो सभी 10 भारतीय युवको को रिहा करा लेंगे. समझा जाता है कि पेशावर स्थित एजाज का परिवार अधिक रकम की मांग कर रहा है.

एजाज के परिवार में उसके माता-पिता और दो भाई है. इस परिवार की माली हालत बहुत खस्ता है. 10 भारतीय युवकों और उनके परिवार वालों के लिए राहत की बात ये है कि एजाज का परिवार दुबई की कोर्ट में माफीनामा देने के लिए अब तैयार होने की बात कह रहा है. पहले वो इसके लिए राजी नहीं हो रहा था.

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'सरबत दा भला ट्रस्ट' को 10 भारतीय युवकों की रिहाई का भरोसा
'ब्लड-मनी' को लेकर जो थोड़ा-बहुत पेच है, वो 'सरबत दा भला ट्रस्ट' को भरोसा है कि जल्दी ही सुलझा लिया जाएगा. बता दें कि दुबई की अदालत में इस मामले में 27 फरवरी को अहम सुनवाई होनी है. उसी दिन इजाज के परिवार के चार सदस्यों की ओर से 'पॉवर ऑफ अटॉर्नी' अदालत में पेश किया जाना है. 'ब्लड-मनी' का पेच सुलझ जाने के बाद इजाज के पिता खुद अदालत में पेश होकर 10 भारतीय युवकों को माफी देने की बात कह सकते हैं.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पंजाब सरकार से भी मदद मांगी
इस बीच, पंजाब में रहने वाले 10 भारतीय युवकों के परिवारों ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पंजाब सरकार से भी मांग की है कि उनके बेकसूर बच्चों को बचाने के लिए हर मुमकिन कदम उठाए जाएं. इन परिवारों ने ही दुबई स्थित कारोबारी एसपी सिंह ओबेरॉय से 10 युवकों को बचाने के लिए गुहार लगाई थी. दरअसल, ओबेरॉय का 'सरबत दा भला ट्रस्ट' 2013 में भी पंजाब से ताल्लुक रखने वाले 17 युवकों को 12 लाख अमेरिकी डॉलर की ब्लड-मनी देकर रिहा करा चुका है.

2014 में दुबई गया था होशियारपुर का चंद्रशेखर
जो 10 भारतीय युवक दुबई की जेल में बंद हैं, उनमें होशियारपुर के गांव हवेली का रहने वाला 23 वर्षीय चंद्रशेखर भी है. चंद्रशेखर के माता पिता- रणजीत कौर और मनजीत सिंह का कहना है कि उन्होंने 8000 रुपए का कर्ज लेकर चंद्रशेखर को 4 दिसंबर 2014 को दुबई भेजा था. चंद्रशेखर ने फिर 11 महीने मे दो किस्तों में 29,000 रुपए घर भी भेजे. फिर एक दिन चंद्रशेखर का फोन आया कि वो 26 अक्टूबर 2016 से दुबई की जेल में बंद है. उसके साथ पंजाब के 9 और युवक भी हत्या के आरोप में जेल में हैं.

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साथ के कमरे में हुआ था झगड़ा, बेकसूर पकड़े गए 10 भारतीय युवक
चंद्रशेखर ने घरवालों को बताया था कि वो और उसके साथी दुबई में टाइलें बनाने का काम करते थे. एक दिन वो काम से कमरे पर लौटे तो साथ के कमरे में कुछ युवक लड़ पड़े जिसमें एजाज की मौत हो गई. इसके बाद झगड़ा करने वाले कुछ युवक उनके कमरे में आ गए. पुलिस कमरे में पहुंची तो सभी को पकड़ लिया. चंद्रशेखर के साथ सतविंदर सिंह (ठीकरीवाल), चमकौर सिंह (मालेरकोटला), कुलविंदर सिंह (लुधियाना), बलविंदर (लुधियाना), धर्मवीर सिंह (समराला), हरजिंदर सिंह (मोगा), तरसेम सिंह (अमृतसर), गुरप्रीत सिंह (पटियाला) और जगजीत सिंह (गुरदासपुर) को भी गिरफ्तार कर लिया गया. दुबई की कोर्ट ने बाद में सभी 10 भारतीय युवकों को सजा-ए-मौत सुना दी.

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