
पंजाब में कांग्रेस सरकार लगातार एक के बाद एक पॉलिसी बनाकर पंजाब के सरकारी महकमों में जड़ें जमा चुके बादल परिवार और उनके सहयोगी कंपनियों के बिजनेस के वर्चस्व को तोड़ने में लगी है. कैप्टन सरकार पंजाब के लिये नई पॉलिसी लेकर आने की तैयारी कर रही है और इन तमाम सेक्टर के ज्यादातर बिजनेस पर बादल परिवार और उनके सहयोगियों की कंपनियों का ही वर्चस्व है. कैप्टन सरकार की सबसे बड़ी मुहिम बादल परिवार के ट्रांसपोर्ट बिजनेस के खिलाफ शुरु होने जा रही है. बादलों की बस कंपनियों पर इस नई ट्रांसपोर्ट पॉलिसी का असर पड़ सकता है.
कांग्रेस की कैप्टन सरकार ने मौजूदा बस परमिटों की जांच की तैयारी कर ली है. इसके लिए सरकार 15 मई तक नई ट्रांसपोर्ट पॉलिसी का ऐलान करने जा रही है. नई पॉलिसी में प्राइवेट बस ऑपरेटर्स की मोनोपोली खत्म कर पीआरटीसी और पंजाब रोडवेज को बढ़ावा देने के उपाय किए जाएंगे. हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार नई नीति 15 मई, 2017 तक तैयार कर ली जाएगी.
इससे 750 प्राईवेट बस रूट परमिटों, 24 किलोमीटर के 1840 असल रूटों में की बढ़ोतरी और 6700 मिनी बसों के परमिटों पर प्रभाव पड़ेगा. पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने बादलों और अकालियों की बस कंपनियों की मोनोपोली को तोड़ने के लिए नई ट्रांसपोर्ट पॉलिसी लाने का सुझाव सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को दिया था. जिसे सीएम ने हरी झंडी दे दी है.
वहीं अकाली दल के प्रवक्ता और पूर्व कैबिनेट मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ये सब कुछ बदले की राजनीति और द्वेष के तहत कर रही है. उनकी सरकार के वक्त कोई भी ट्रांसपोर्ट बस लाइसेंस और परमिट गलत तरीके से नहीं दिये गये और ना ही किसी खास परिवार की कंपनी को फायदा पहुंचाया गया. लेकिन अगर अब कैप्टन अमरिंदर सिंह किसी परिवार से बदला लेने के लिये उनकी बस कंपनियों को निशाने पर लेना चाहते है तो इससे साफ हो जाता है कि वो ये सब कुछ बदले की भावना और राजनीतिक द्वेष से कर रहे है.
अकाली दल और कांग्रेस में ये राजनीतिक लड़ाई यहीं नहीं रुक रही, कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अकाली-बीजेपी शासनकाल में दर्ज झूठे मामलों और FIR की जांच के लिए एक आयोग बनाया है. इस आयोग में दो सदस्य होंगे, जिसका अध्यक्ष पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज मेहताब सिंह गिल को बनाया गया है. कांग्रेस ने चुनाव में जाने से पहले अपने कार्यकर्ताओं और जनता से वादा किया था कि अकाली सरकार ने राजनीतिक द्वेष और बदले की भावना से कई लोगों पर मुकदमा दर्ज करवाया है और सत्ता में आने पर इन मुकदमों की जांच करवाई जाएगी.
वहीं अकाली दल को भी ये डर सता रहा है कि कांग्रेस के शासन में उनके नेताओं और कार्यकर्ताओं पर भी झूठे मुकदमे दर्ज हो सकते हैं. इसलिए अकाली दल ने 8 वरिष्ट वकीलों का पैनल बनाया है जो इस तरह के मुकदमे दर्ज होने पर कानूनी कार्यवाही पर नजर रखेगा. वहीं अकाली दल का कहना है कि उनकी सरकार के वक्त कोई भी झूठा मुकदमा किसी पर भी दर्ज नहीं किया गया है. और अगर ऐसा होता तो कैप्टन पंजाब पुलिस के डीजीपी पर भरोसा क्यूं रखते और उन्हें अपनी सरकार में पुलिस की जिम्मेवारी क्यूं सौंपते.
पंजाब की राजनीति का ये इतिहास रहा है कि अकाली दल हो या कांग्रेस, जो भी सत्ता में आती है वो एक-दूसरे के खिलाफ जांच शुरू कर देता है. सत्ता परीवर्तन के बाद भी पंजाब में एक बार फिर कुछ ऐसा ही हो रहा है और इस बार सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के निशाने पर बादल परिवार का बिजनस भी आ गया है.