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कैश की किल्लत से उबरने में लगेगा एक हफ्ते का वक्त: SBI चेयरमैन

भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने स्वीकार किया कि देश में कैश की किल्लत है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
विकास जोशी
  • मुंबई,
  • 17 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 5:50 PM IST

देश के कई राज्यों में एटीएम से कैश नहीं निकल रहा है. वहीं, कुछ बैंकों में भी यही हाल है. देश के सबसे बैंक भारतीय स्टेट बैंक का कहना है कि इस समस्या से उभरने के लिए एक हफ्ते का समय लग सकता है.

भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने स्वीकार किया कि देश में कैश की किल्लत है. हालांकि उन्होंने कहा कि यह समस्या सिर्फ कुछ समय के लिए है. महज एक हफ्ते के भीतर ही स्थ‍िति सामान्य हो जाएगी.

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रजनीश ने कहा कि अगले हफ्ते तक सब सामान्य हो जाएगा. उन्होंने बताया कि एक ऐसा विभाग है, जो ऐसी स्थितियों पर नजर रखता है. उन्होंने इसके साथ ही बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक को 500 रुपये के नोट की सप्लाई बढ़ाने के लिए कहा गया है.

एसबीआई चेयरमैन ने कैश की किल्लत को कुछ ही समय के लिए बताते हुए कहा कि यह भौगोलिक परिस्थ‍ितियों की वजह से है. उन्होंने कहा कि इस स्थ‍िति से निपटने के लिए कैश मैनेजमेंट सिस्टम को मेंटेंन करने की जरूरत है.

इससे पहले वित्तमंत्री ने मंगलवार को ट्वीट किया, मैंने देश की कैश समस्या की समीक्षा की है. बाज़ार और बैंकों में पर्याप्त मात्रा में कैश मौजूद है. जो एक दम दिक्कतें सामने आई हैं वो इसलिए है क्योंकि कुछ जगहों पर अचानक कैश की मांग बढ़ी है.

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RBI ने कहा- समस्या कुछ दिनों की

कैश संकट पर वित्तमंत्री के बाद आरबीआई का भी बयान आया है. आरबीआई ने कहा है कि देश में कैश का कोई संकट नहीं है. बैंकों के पास पर्याप्त मात्रा में कैश मौजूद है. सिर्फ कुछ एटीएम में ही लॉजिस्टिक समस्या के कारण ये संकट पैदा हो गया है.

आरबीआई ने कहा कि एटीएम के अलावा बैंक ब्रांच में भी भरपूर मात्रा में कैश मौजूद है. आरबीआई ने सभी बैंकों को आदेश दिया है कि वह एटीएम में कैश की व्यवस्था करें. RBI ने कहा कि मार्च-अप्रैल के दौरान इस प्रकार की समस्या आती है. पिछले साल भी ऐसा हुआ था. ये समस्या सिर्फ एक-दो दिनों के लिए ही है.

बता दें कि देश के कई राज्यों में पिछले कुछ दिनों से एटीएम में कैश न उपलब्ध होने से फिर नोटबंदी जैसी परेशानी का माहौल बनने लगा. लोगों की बढ़ती परेशानी को देखते हुए आखिरकार रिजर्व बैंक और सरकार को आगे आना पड़ा. यह परेशानी सबसे ज्यादा उत्तराखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात, दिल्ली-एनसीआर समेत कई राज्यों में सामने आ रही है.

 

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