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सिसोदिया के घर CBI, केजरीवाल टीम के साथ अस्पतालों की जांच में

'आजतक' को मिले वीडियो में नज़र आ रहा है कि अरविंद केजरीवाल हाथ मे दवाई का एक पर्चा लेकर खड़े हैं. सीएम के नजदीकी सूत्रों ने बताया कि वह मरीज से दवाई न होने की शिकायत मिलने के बाद डॉक्टर का इंतजार कर रहे थे.

अस्पताल का निरीक्षण करते केजरीवाल अस्पताल का निरीक्षण करते केजरीवाल
पंकज जैन
  • श्रीनगर,
  • 16 जून 2017,
  • अपडेटेड 7:25 PM IST

एक तरफ जहां दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई के अधिकारी पहुंचे, तो दूसरी तरफ़ सीएम अरविंद केजरीवाल सरकारी अस्पतालों का औचक निरीक्षण कर रहे थे. केजरीवाल के साथ दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी मौजूद हैं, जो मरीजों से अस्पताल में सुविधाओं और व्यवस्थाओं का जायजा ले रहे थे.

'आजतक' को मिले वीडियो में नज़र आ रहा है कि अरविंद केजरीवाल हाथ मे दवाई का एक पर्चा लेकर खड़े हैं. सीएम के नजदीकी सूत्रों ने बताया कि वह मरीज से दवाई न होने की शिकायत मिलने के बाद डॉक्टर का इंतजार कर रहे थे. आगे वीडियो में एक महिला डॉक्टर केजरीवाल से आकर मिलती हैं. केजरीवाल दवाई का पर्चा दिखाते हुए डॉक्टर को कह रहे हैं कि मैडम काउंटर की लिस्ट में यह दवाई मौजूद ही नहीं है. दवाई नहीं है, तो डॉक्टर ने क्यों लिखी? जिस डॉक्टर ने यह दवाई लिखी है, उसे बुलाइए. वीडियो के बीच महिला डॉक्टर केजरीवाल के सामने हाथ जोड़ती नज़र आ रही है.

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इसके आगे केजरीवाल एक और मरीज का पर्चा दिखाते हुए अस्पताल से बाहर निकलते हैं, जहां महिला डॉक्टर मौजूद है. वीडियो में मरीज शिकायत कर रहा है कि दवाई बाहर मेडिकल से खरीदने के लिए कहा जा रहा है, जिस पर केजरीवाल डॉक्टर से पूछ रहे हैं कि दवाई उपलब्ध न होने पर किससे मिलना है, यह कहां लिखा है? वीडियो के आखिरी में केजरीवाल ने डॉक्टर को दवाई न उपलब्ध होने पर एक बोर्ड लगाने की नसीहत देते हुए हेल्थ सेक्रेटरी को निर्देश देते नजर आ रहे हैं.

मालूम हो कि हाल ही में सीएम केजरीवाल ने दिल्ली के अस्पतालों में दवाइयों की 50% कमी का ज़िक्र करते हुए चीफ सेक्रेटरी को निर्देश जारी किए थे. इसके अलावा दवाइयों की पेमेंट और रखरखाव को लेकर भी सवाल खड़े हुए थे. ऐसे में केजरीवाल और स्वास्थ्य मंत्री लगातार अस्पतालों के दौरे कर रहे हैं, लेकिन तस्वीर देखकर साफ होता है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दवाई अब भी नहीं मिल पा रही है. अस्पताल प्रशासन भी इस पर ध्यान नहीं दे रहा है.

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क्या है Talk to AK ?

- दिल्ली सरकार ने जून 2016 के आखिर में ये तय किया कि मुख्यमंत्री फेसबुक, गूगल, यूट्यूब के जरिये जनता से सीधे संवाद करेंगे. जनता से सवाल मांगे जाएंगे और उनके जवाब दिए जाएंगे.
- इसके लिए दिल्ली सरकार के सूचना एवं प्रचार विभाग (डीआईपी) को कहा गया कि 8 जुलाई से इस कार्यक्रम को लेकर प्रचार-प्रसार करे. - डीआईपी का जवाब आया कि उनके पास यूट्यूब, फेसबुक, गूगल इत्यादि के जरिये प्रचार-प्रसार के संसाधन नहीं है.
- इसलिए दिल्ली सरकार के साथ पहले से ही काम कर रही कंसलटेंट एजेंसी के परफेक्ट रिलेशन से पूछा गया कि क्या वो इस काम को करने में सक्षम है?
- परफेक्ट रिलेशन ने कहा कि गूगल, फेसबुक, यूट्यूब ऐसे माध्यम है, जिनका दुनिया भर में कोई कंप्टीशन नहीं है. ये दुनिया भर में अपनी तरह की इकलौती कंपनियां है. इसलिए विज्ञापन देने के लिए इनका कोई टेंडर कंप्टीशन नहीं हो सकता.
- कंसलटेंट कंपनी परफेक्ट रिलेशन ने कहा कि गूगल, फेसबुक, यूट्यूब से उनके द्वारा निर्धारित रेट पर ये काम वो करा सकती है.
- कंसलटेंट कंपनी परफेक्ट रिलेशन ने 6 जुलाई को अपना प्रपोजल दिया.
- सरकार ने परफेक्ट रिलेशन को ये काम निम्न 3 शर्तों के साथ दिया.
- कंसलटेंट कंपनी एक अंटरटेकिंग देगी कि फेसबुक, यूट्यूब और गूगल द्वारा तय किये गए रेट कम से कम और नॉन-नेगोसियबल हैं. कंसलटेंट कंपनी इन कंपनियों से किसी भी तरह की रियासत, छूट या कमीशन नहीं लेगी और अगर कंसलटेंट को किसी तरह की रियासत, छूट या कमीशन या और किसी भी तरह का फायदा मिलता है, तो वह उसके बिलों से काट लिया जाएगा.
- इस काम के लिए कंसलटेंट कंपनी को डीआईपी के साथ अनुबंध उपलब्ध शर्तो के अलावा किसी भी तरह का चार्ज नहीं दिया जाएगा.
- सरकार इसके लिए कोई एडवांस पेमेंट नहीं देगी और न ही रियल टाइम टाइम पेमेंट दिया जाएगा. भुगतान एक्चुअल बिल जमा करने के बाद ही किया जाएगा.
- इस मामले में डीआईपी ने 8 जुलाई 2016 को इस संबंध में पूरी जानकारी की फ़ाइल दिल्ली सरकार के वित्त विभाग को भेजा. वित्त विभाग ने इन बातों को एग्जामिन करके 11 जुलाई 2016 को कहा कि डिपार्टमेंट इसे कैबिनेट अप्रूवल के लिए ले जाए.
- 17 जुलाई को ये कार्यक्रम सुचारू रूप से सम्पन्न हुआ.
- वित्त विभाग के प्रस्ताव पर पूरे मामले को एक सितंबर को कैबिनेट के अप्रूवल के लिए रखा गया और इसके भुगतान को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी.
- पूर्व उप-राज्यपाल श्री नजीब जंग ने इस मामले में सीबीआई केस दर्ज करा दिया.
- समझ नहीं आता कि जब सरकार ने कॉस्ट टू कॉस्ट, बिना मशीन और बिना एडवांस पेमेंट किये पहले से काम कर रही कंसलटेंट एजेंसी को बिना किसी अतिरिक्त भुगतान के ये काम सफलतापूर्वक कराया तो इसमें घोटाला कहां हुआ?
- क्या कॉस्ट टू कॉस्ट बिना कमीशन काम कराना घोटाला है?
- क्या मुख्यमंत्री का फेसबुक, यूट्यूब गूगल के जरिये जनता से संवाद घोटाला है?

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