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सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (CBSE) ने हाल ही में नए रूल्स तय किए हैं. शिक्षक अब बसों में स्टूडेंट्स को कहीं ले जाने और गैरअकादमिक कार्यों में संलिप्त नहीं होंगे.
सीबीएसई ने बीते शुक्रवार को देश के तमाम प्राइवेट स्कूलों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि शिक्षक कैंटीन की व्यवस्था देखने समेत बसों में बच्चों के साथ ट्रैवल करने वाले गैरअकादमिक कार्य न करें.
सीबीएसई ने यह नए आदेश शिक्षकों की ओर से आने वाली शिकायतों के बाद उठाए गए हैं. ऐसे कार्यों में संलिप्त होने के बाद शिक्षकों के पास बच्चों को पढ़ाने लायक उर्जा नहीं बचती.
इसके मद्देनजर आई शिकायतों में ऐसे भी खुलासे हुए कि प्राइवेट स्कूल शिक्षकों से मल्टीटास्किंग करवा रहे हैं. वे उन्हें फीस जमा करने की प्रक्रिया समेत क्लर्क के काम में भी लगा लेती हैं. लागत में बचत करने की प्रक्रिया से शिक्षक अपना मुख्य काम नहीं कर पा रहे हैं.
शिक्षा का अधिकार क्या कहता है...
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के चैप्टर 4 का कहना है कि किसी भी शिक्षक को दसवर्षीय जनगणना, किसी प्राकृतिक आपदा और चुनाव के दौरान ड्यूटी के अलावा कहीं नहीं लगाया जा सकता. इसके बावजूद शिक्षकों को स्कूल बसों में बच्चों को लाने-पहुंचाने के लिए भी नियुक्त भी किया गया है. अब इसके बाबत सीबीएसई ने स्कूल के प्रिंसिपल से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि वे इस दिशा में होने वाली प्रगति का खयाल रखें और आगे से ऐसा न हो.