
सीबीएसई 12वीं बोर्ड के नतीजे सामने आ चुके हैं. इस परीक्षा में हंसिका शुक्ला और करिश्मा अरोड़ा ने 500 में 499 अंक प्राप्त कर पहले स्थान पर परचम लहराया. वहीं दूसरे स्थान पर 498 अंकों के साथ गौरांगी चावला रहीं. 12वीं बोर्ड के तीसरे स्थान पर 18 स्टूडेंट्स रहे. जिनमें 11 लड़कियां है. इस साल 83.01 प्रतिशत छात्रों ने सफलता हासिल की है. वहीं दिल्ली से विराज जिंदल सबसे आगे रहे.
12वीं के नतीजे आने के साथ ही बच्चों में एक नई उमंग है. इन नतीजों में दिल्ली के टॉपर वसंत वैली स्कूल के विराज जिंदल रहे हैं. विराज कॉमर्स स्ट्रीम के स्टूडेंट हैं और इन्होंने दो विषयों में 100-100 अंक हासिल किए हैं. इसके अलावा तीन विषयों में 99-99 अंक हासिल करने के साथ ही दिल्ली में सबसे आगे रहे हैं. वहीं देशभर में विराज ने तीसरा स्थान हासिल किया है.
दिल्ली के वसंत कुंज में स्थित वसंत वैली स्कूल बेहद लोकप्रिय है और यहां इस बार भी 12वीं के नतीजे दूसरे प्राइवेट स्कूल के मुकाबले काफी अच्छी रहे हैं. इस बार विराज जिंदल ने 497 अंकों के साथ स्कूल का नाम रोशन किया है और दूसरे बच्चों के लिए भी प्रेरणा बने हैं. दिल्ली के पंजाबी बाग के रहने वाले विराज जिंदल यूएसए से इकोनॉमिक्स और मैथ्स ऑनर्स करना चाहते हैं. इसके बाद भारत में अपने आगे का काम निर्धारित करेंगे. विराज का मानना है कि भारत में भी अच्छे कॉलेज हैं लेकिन विदेशों में जिस तरह की सुविधाएं और अवसर दिए जा रहे हैं वैसे भारत में फिलहाल छात्रों को नहीं मिल पा रहे हैं. विराज भारत के लिए भी बहुत कुछ करना चाहते हैं. इसीलिए वह पढ़ाई पूरी कर भारत में ही किसी अच्छी कंपनी में कार्यरत होंगे.
सरीना ने भी किया कमाल
विराज की तरह ही सरीना भुल्लर भी अच्छे अंकों के साथ वसंत वैली स्कूल से 12th पास करने के बाद न्यूयॉर्क में डिजाइनिंग के कोर्स में दाखिला लेने की तैयारी में है. सरीना का मानना है कि अगर साल भर पढ़ाई की जाए तो 12वीं के परीक्षा के ठीक पहले प्रेशर फील नहीं होता और पढ़ाई सहज लगने लगती है. बता दें कि सरीना के बोर्ड एग्जाम्स के ठीक पहले अपेंडिक्स के ऑपरेशन के चलते एग्जाम्स बहुत अच्छे नहीं हुए थे लेकिन फिर भी वह अपने 98 फीसदी अंकों से बेहद खुश हैं और विदेश में पढ़ाई करने की तैयारी में जुटी हुई हैं.
सरीना की मां खुद वसंत वैली स्कूल में एक शिक्षिका है. उनका मानना है कि इन दिनों अभिभावकों पर भी उतना ही दबाव होता है जितना छात्रों पर होता है. भारत में कॉलेजों की संख्या ज्यादा नहीं है. जिसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ता है. अगर किसी छात्र को दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना है तो कई बार सिर्फ आधे अंकों की वजह से वह पिछड़ जाते हैं. यही कारण है कि छात्र और अभिभावक दोनों ही एक दबाव महसूस करते हैं और कई बार यह डिप्रेशन का कारण भी बन जाता है.