
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने साल 2017 से आंसर शीट के पुनर्मूल्यांकन को बंद करने का निर्णय किया है.
सीबीएसई के वरिष्ठ अधिकारियों ने संवाददाताओं को बताया कि 2014 के बाद से 12वीं कक्षा के लिए 10 विषयों में आंसर शीट का पुनर्मूल्यांकन होता था. उन्होंने कहा कि हालांकि पूनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या 1.8 प्रतिशत थी और इसका फायदा उठाने वाले काफी कम थे.
अधिकारी ने बताया कि इसे ध्यान में रखते हुए सीबीएसई ने पुनर्मूल्यांकन की व्यवस्था को खत्म करने का निर्णय किया है. सीबीएसई के अध्यक्ष आर के चतुर्वेदी ने कहा कि बोर्ड के संचालक मंडल ने पूनर्मूल्यांकन को समाप्त करने के निर्णय को मंजूरी दे दी है.
CBSE ने क्लास 10th के ऑप्शनल बोर्ड एग्जाम और संबद्ध स्कूलों में Continuos and Comprehensive Evaluation (CCE) में रिव्यू की शुरुआत की है.
CBSE के चेयरमैन इस पूरे मामले पर कहते हैं कि बोर्ड इस विषय पर तमाम स्टेकहोल्डर्स से सलाह ले रहा है. "अधिकांश लोगों का कहना है कि क्लास 10th में डूअल सिस्टम कंनप्यूज करने वाला है. यह एग्जाम CCE से जुड़ें हैं और अधिकांश स्टेकहोल्डर्स का मानना है कि अनावश्यक चीजें हटायी जा सकती हैं."
वे आगे कहते हैं कि इस रिव्यू की जरूरत तब आन पड़ी जब कई स्कूल और राज्य सरकारों ने इन परीक्षाओं को अनिवार्य बनाने के पक्ष में बातों को उठाया. वे आगे कहते हैं कि परीक्षा के रूल-रेगुलेशन और एफिलिएशन को लेकर कमिटी का गठन हुआ है.
वे कहते हैं कि ये (bylaws) बहुत पहले ही लिख दिए गए थे. हालांकि इनमें समय के साथ-साथ कई बदलाव होते रहे हैं, अभी भी कई चीजें क्लियर नहीं हैं. शिक्षा खुद में ही एक डायनेमिक विषय है और जिसमें रिफॉर्म की जरूरत है. वे सिस्टम के भीतर जारी अनियमितता को लेकर लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं और एग्जाम सिस्टम में सुधार करने के साथ-साथ एफिलिएशन के नियमों को वायलेट करने पर भी कड़ा रुख अपनाएंगे.
फिलवक्त बोर्ड के जिम्मे 18,000 से अधिक स्कूल हैं और वे उन तमाम स्कूलों से जुड़े आंकड़ों को डिजिटाइज करने की प्लानिंग कर रहे हैं. वे आगे कहते हैं कि इस स्तर पर स्कूलों को ट्रैक करना बहुत बड़ा काम है. उन्होंने इसके लिए कुछ जरूरी नियमावली तय की है. जब तक बोर्ड के पास सारे आंकड़े नहीं होंगे, वे प्लानिंग में सुधार नहीं कर सकेंगे. इसके अलावा पैरेंट्स और स्टूडेंट्स को भी स्कूलों की तमाम सुविधाओं के बारे में पता होना चाहिए.