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केरल में हिंदू समुदाय के लोगों ने गुरुवार की सुबह से ही पारंपरिक नववर्ष 'विषु' का जश्न मनाया. विषु सौभाग्य व अच्छी किस्मत के आगमन का प्रतीक माना जाता है और इस दिन केरल में सार्वजनिक अवकाश होता है.
मंदिरों में लगी रही भक्तों की कतार
केरल के इस खास पर्व पर राज्य के मंदिरों में हजारों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. गुरुवार की सुबह से ही राजधानी तिरुवनंतपुरम स्थित सबरीमाला मंदिर, गुरुवयूर श्री कृष्णा मंदिर और पद्मनाभस्वामी जैसे मुख्य मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी गई. महिलाएं पारंपरिक कसुवु साड़ी(सुनहरी किनारी वाली सफेद साड़ी) और पुरुष धोती पहने नजर आए. केरल की 3.34 करोड़ की आबादी में 1.82 करोड़ हिंदू हैं.
क्या है विषुकनी?
विषु पर्व के अहम पहलुओं में से एक है 'विषुकनी' की रस्म, जो घर के सभी लोग निभाते हैं. इसमें घर के लोग सुबह सबसे पहले अपने ईष्ट देवी-देवता के दर्शन करते हैं. विषुकनी की तैयारी एक रात पहले शुरू हो जाती है. रात में ही चावल, अनाज, खीरा-ककड़ी, सीताफल, नारियल, आम, पान के पत्ते और धातु पोत जैसी चीजों को एक शीशे के साथ पूजा घर में रखा जाता है. फिर घर के सदस्य सुबह उठने के बाद इन सभी चीजों के देखते हैं. इस दिन बड़े-बुजुर्ग बच्चों को पैसे देते हैं और सभी नए कपड़े पहनते हैं.