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असफलता एक ऐसा पड़ाव है जिससे गुजरने के बाद ही आप सफल हो सकते हैं. ये कोई सूक्तिपरक वाक्य नहीं, इसे साबित कर दिखाया है देश के ऐसे कई दिग्गजों ने जिन्हें असफलता के पहाड़ से गुजरने के बाद सफलता का आसमान छूने का मौका मिला. ये हैं हमारे ऐसे सक्सेसफुल सेलेब्रिटी, जिनकी सक्सेस से हम वाकिफ हैं लेकिन उसके पीछे के संघर्ष से नहीं :
महात्मा गांधी:
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन की दास्तान से बड़ी प्रेरणा देने वाली जीवनी शायद ही कोई हो. महात्मा गांधी पेश्ो से बैरिस्टर थे . बतौर वकील वे गवाह से सवाल-जवाब करने में काफी कमजोर थे, जो कि इस पेश्ो की सबसे बड़ी खासियत और जरूरत है. लेकिन इसे पीछे छोड़ वे साउथ अफ्रीका गए और वहां राजनीति में अपनी स्किल बढ़ाने पर काम किया और उसका नतीजा आज सारा देश जानता है.
अमिताभ बच्चन:
सदी का महानायक के खिताब से नवाजे जा चुके बिग बी ने अपने जीवन में सफलता के दौर के बाद बहुत बड़ा असफलता का दौर देखा. यह दौर उनके प्रोडक्शन हाउस अमिताभ बच्चन कारपोरेशन लिमिटेड में नाकामी मिलने के बाद शुरू हुआ. लेकिन यहीं अंत नहीं हुआ उसके बाद बिग बी ने केबीसी के साथ छोटे पर्दे पर इंट्री की और इतिहास रच दिया.
धीरूभाई अंबानी:
रिलायंस ग्रुप की नींव रखने वाले धीरूभाई अंबानी का नाम देश ही नहीं दुनिया में भी जाना जाता है. लेकिन इस शोहरत को पाने के लिए उन्होंने असफलता के कई दौर देखे. पहली जॉब की बात करें तो 1949 में 17 वर्ष की उम्र में यमन से की. वहां सफलता नहीं मिलने के बाद 1954 में वे वतन वापस आ गए. इसके बाद धीरू भाई 1955 में जेब में 500 रुपए रखकर किस्मत आजमाने मुंबई पहुंच गए. अपनी मेहनत और लगन के बाद उन्होंने सफलता का वो मुकाम हासिल किया, जिसे पाने की ख्वाहिश हर किसी को होती है.
रतन टाटा:
1991 में टाटा ग्रुप की कमान संभालने के बाद उनके नेतृत्व पर उंगली उठाने वालों की कोई कमी नहीं थी. रतन टाटा के शुरुआती तीन-चार साल बेहद मुश्किल भरे थे, उस दौरान टाटा ग्रुप की कई कंपनियों के असफल होने से हालात और भी बिगड़ गए. लेकिन इस समय से निपटने के लिए उन्होंने लोगों से खुलकर बात करनी शुरू की जबकि रतन टाटा स्वभाव अंतर्मुखी थे. इस में हारकर बैठने के बजाए रतन टाटा ने अपने कुशल नेतृत्व की क्षमता को दिखाया और टाटा ग्रुप को सफल मुकाम दिया.
नरेंद्र मोदी:
देश के प्रधानमंत्री के जीवन के बारे में आज देश का हर बच्चा जानता है. एक चाय बेचने वाले से लेकर प्रधानमंत्री बनने का सफर आसान नहीं था लेकिन इस सफर को पूरी मेहनत और लगन से पूरा किया गया. नरेंद्र मोदी आरएसएस के विचारों से प्रेरित होकर संघ में शामिल होने के बाद उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ. इसके बाद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आज देश नहीं दुनिया के बड़े-बड़ें दिग्गज उनसे प्रेरित है.
स्मृति ईरानी:
रूढ़िवादी पंजाबी-बंगाली परिवार की तीन बेटियों में से एक स्मृति ने सारी बंदिशें तोड़कर ग्लैमर की दुनिया में कदम रखा. उन्होंने 1998 में मिस इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. हालांकि, वे फाइनल तक जगह नहीं बना पाईं. इसके बाद स्मृति ने मुंबई जाकर अभिनय की दुनिया में अपनी किस्मत आजमाई. इसके बाद उनके निभाए तुलसी विरानी के किरदार ने हर घर में पहचान दिलाई. लेकिन यह सफर यहीं नहीं रुका, क्योंकि इसके बाद शुरू हुआ राजनीतिक सफर. 2014 के आम चुनाव में स्मृति ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और उन्हें कड़ी चुनौती दी. वे चुनाव हार गईं, लेकिन अभिनेत्री से राजनेता बनीं स्मृति ने राज्यसभा की सदस्य होने के नाते मोदी सरकार में महत्वपूर्ण मानव संसाधन मंत्रालय संभालने का मौका मिला.
मंसूर अली खान पटौदी:
मंसूर अली खान ने एक दुर्घटना के दौरान अपनी एक आंख गंवा दी थी.लेकिन उन्होंने क्रिकेट खेलना नहीं छोड़ा और अपनी प्रेक्टिस को जारी रखा. 16 साल की आयु में पटौदी को अपना पहला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का मौका मिला. इतना ही नहीं पटौदी भारत के एक सफल कप्तानों में से एक रहे हैं.
नवाजुद्दीन सिद्दीकी:
बॉलीवुड में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुके नवाजुद्दीन ने एक वक्त बतौर केमिस्ट भी काम किया है. लाइफ में रोचक करने की चाहत उन्हें दिल्ली लेकर आ गई, यहां उन्होंने वॉचमैन की नौकरी की. इसके बाद उन्होंने रुख किया मुंबई का और यहां आकर कई छोटे-छोटे रोल किए लेकिन धीरे-धीरे अपनी चमक से सभी को चौंका दिया.